अवैध कॉलोनियों पर सरकार सख्त अफसरशाही से खफा हैं माननीय

अवैध कॉलोनियों

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र ऐसा राज्य बन चुका है जहां पर अवैध कॉलोनियों का पूरा जाल बिछा हुआ है। इस मामले में अब प्रदेश सरकार जागी तो सख्ती की पूरी तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए नियमों व कानूनों में जरूरी बदलाव किया जा रहा है, लेकिन ऐसे मामलों में अफसरशाही का रवैया बेहद लचर रहने की वजह से अवैध कॉलोनाइजर्स कानूनी फेर से बचे रहते हैं। शहरी विकास के जिम्मेदारों द्वारा अपनी संस्था का मूल काम छोड़कर वो सारे काम किए जा रहे हैं जो उसके दायरे से बाहर हैं। यही वजह है कि प्रदेश के माननीय भी इन संस्थाओं व उनके प्रमुखों से बेहद खफा बने हुए हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा अवैध कॉलोनियों पर नकेल कसने के लिए अब सरकार ने नया कानून बनाकर तय किया है कि कॉलोनाइजर्स की सम्पति का विक्रयकर कॉलोनी के अंदर जरुरी विकास के काम कराए जाएंगे। इसी तरह से अब बगैर परमिशन के कॉलोनी बनाने को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में शामिल करते हुए उन पर लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि को 10 हजार रुपए की जगह 10 लाख कर दिया गया है। इसके लिए नगरीय विकास विभाग द्वारा कॉलोनियों के विकास से संबंधित अधिनियम व नियमों में संशोधन का  खाका तैयार कर लिया गया है।
इसके नए एक्ट को सरकार द्वारा पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। अब इसके नियमों को अंतिम रूप देने का काम किया जा रहा है। बनाए जा रहे नियमों में प्रावधान किया गया है की अनाधिकृत कॉलोनी के खिलाफ कार्रवाई न करने वाले अफसर या कर्मचारी से आयुक्त की लिखित शिकायत के बिना पुलिस पूछताछ या जांच नहीं कर सकेगी। कॉलोनाइजर के खिलाफ भी जांच के लिए कमिश्नर या प्राधिकृत अधिकारी की लिखित शिकायत जरूरी होगी। इसके साथ ही अवैध कॉलोनियों के विकास की प्रक्रिया आसान करने के लिए कई तरह के प्रावधान किए जा रहे हैं। इससे कॉलोनाइजर को भी राहत मिल सकेगी। नए प्रावधानों के तहत प्रत्येक नगरीय निकाय में अलग-अलग रजिस्ट्रेशन नहीं कराना होगा सभी निकायों में एक ही रजिस्ट्रेशन से काम किया जा सकेगा। रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन कराया जा सकेगा। इसी तरह से रजिस्ट्रेशन की अवधि बढ़ाकर 5 साल करने का भी प्रस्ताव है। इसी तरह से कॉलोनी के आंतरिक विकास के लिए 3 वर्ष की बजाय 5 साल का समय देने की भी तैयारी की जा रही है। बंधक संपत्तियों को विकास कार्य के अनुपात में मुक्त किया जाएगा साथ ही विकास अनुमति शुल्क को कलेक्टर गाइडलाइन से जोड़ा गया है।
यह होगी अवैध कॉलोनी वैध करने की प्रक्रिया
आयुक्त द्वारा किसी भी कॉलोनी को अवैध घोषित करने के पहले सार्वजनिक सूचना जारी कर आपत्तियां बुलाई जाएंगी। अनाधिकृत कॉलोनी घोषित करने के बाद एक लेआउट तैयार कराकर हितधारकों से आपत्तियां व सुझाव मागें जाएंगे। इसके बाद ही लेआउट को अंतिम रूप दिया जा सकेगा। रहवासी भवन निर्माण, पुनर्निर्माण और कंपाउंडिंग के लिए आवेदन करने के लिए पात्र होंगे। आंतरिक विकास के लिए अनाधिकृत कॉलोनी विकसित करने वाले व्यक्ति की उस कॉलोनी या बाहर स्थित प्रॉपर्टी अटैच किया जा सकेगा।
जिम्मेदार अफसरों को बचाने का प्रावधान
खास बात यह है कि अवैध कॉलोनियों के बनाने के मामले में संबंधित निकायों या फिर पंचायतों से जुड़े अफसरों की लापरवाही ही होती है। वे समय रहते इन पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। दरअसल यह पूरा खेल अफसरों व बिल्डरों द्वारा मिलकर खेला जाता है। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना होता है। इन अफसरों को कानूनी उलझनों से बचाने के लिए नए प्रावधानों में इस तरह की शर्तों को शामिल किया गया है, जिससे जिम्मेदार अफसरों को कानूनी कार्रवाई से बचाया जा सके। इन प्रावधानों को लेकर आम आदमी यह नहीं समझ पा रहा है कि आखिर ऐसा करना क्यों जरूरी है। खास बात यह है कि इस तरह के मामलों में कॉलोनाइजर के साथ ही जिम्मेदार अफसरों पर भी सख्त कार्यवाही के कानूनी प्रावधानों की जरूरत बनी हुई है।
माननीयों की नाराजगी
नगरीय विकास विभाग द्वारा बीते रोज की गई कार्यशाला में हमारे माननीयों का विकास के लिए जिम्मेदार संस्थाओं , उनके प्रमुखों व सरकारी सिस्टम पर जमकर गुस्सा फूटा। इस दौरान सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक के माननीयों ने खुलकर नगरीय निकायों, नगर एवं ग्राम निवेश के अफसरों पर मिली भगत तक के खुलकर आरोप लगाते हुए उनके द्वारा धांधली की जाने की बात कही है। इस दौरान संबंधित संस्थाओं पर मास्टर प्लान की अनदेखी कर काम कराने और सड़कों की बेतरतीब तरीके से खुदाई को लेकर जमकर विधायक बरसे। दरअसल यह कार्यशाला नगरीय निकाय संचानालय द्वारा नगरीय इलाकों में बेहतर प्रबंधन तथा विकास के लिए नियम प्रक्रियाओं में सुधार और  कॉलोनी भवन अनुज्ञा से संबंधित नियमों को बनाने आदि पर सुझाव देने के लिए की गई थी , जिसमें 44 विधायकों और पूर्व महापौरों के अलावा विषय विशेषज्ञों को बुलाया गया था। भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कार्यशाला में कहा कि उन्हें ही नहीं पता है कि सिटी प्लानर शहर में कहां पर जाते हैं और क्या काम करते हैं। उनके इलाके में ही अफसरों के कुप्रबंधन को सड़कों की खुदाई के रुप में देखा जा सकता है। इसी तरह से भाजपा के इंदौर के विधायक महेन्द्र हार्डिया ने कहा कि इंदौर विकास प्राधिकरण और  बिल्डरों के गठजोड़ से जमकर धांधली की जा रही है। इसी तरह से वरिष्ठ भाजपा विधायक यशपाल सिसौदिया ने भी जिम्मेदार अफसरों की हकीकत बयां कर अपने गुस्से का इजहार किया।

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