
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के समय सांची में अवैध अंग्रेजी शराब से भरे ट्रक का पकड़े जाने का मामला तो है ही साथ ही मालवा अंचल की केड़िया समूह की दो डिस्टलरियों से अवैध शराब की तस्करी के अलावा सोम डिस्टलरी में की गई बड़े पैमाने पर गडबड़ियों को लेकर इन दिनों आबकारी विभाग के अफसरों की मुसीबत बढ़ती ही जा रही है।
हाल ही में सांची शराब तस्करी के मामले में पुलिस द्वारा चालान पेश किया जा चुका है। इसकी वजह से इस मामले से जुडे कई अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिरना तय मानी जा रही है। दरअसल रायसेन जिले के सांची में उपचुनाव के समय आदर्श आचार संहिता लागू थी जिसके चलते वाहनों की जांच के लिए दीवानगंज सहित जिले के 10 स्थानों पर चेक पोस्ट बनाए गए थे, इसके बाद भी भोपाल के गांधी नगर से करीब 50 लाख रुपए कीमत की अंग्रेजी शराब की 450 पेटियां भरकर एक मिनी ट्रक भोपाल के थाना गांधीनगर, करोंद, सूखी सेवनिया के सामने से होते हुए रायसेन की दीवानगंज चौकी, सलामतपुर थाने के सामने से होता हुआ सांची तक पहुंच गया था, जिसे देर रात सांची पुलिस ने पकड़ लिया था। इसके बाद रायसेन से लेकर भोपाल तक हड़कंप मच गया था। खास बात यह थी कि ट्रक चालक के पास शराब के परिवहन के परमिट पर बैच नंबर ही दर्ज नहीं था, जिसकी वजह से उस शराब को अवैध माना गया है। खास बात यह है कि इस शराब को खुद एसडीओपी अदिति भावसार और सांची थाना प्रभारी एमएल भाटी की टीम ने सांची तिराहे पर पकड़ा था। इस मामले में दिखावे के लिए उस समय भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने आबकारी भोपाल के वृत क्रमांक 6 के उपनिरीक्षक चंदरसिंह को निलंबित कर दिया था और उसकी जांच का जिम्मा सहायक जिला आबकारी अधिकारी अरविंद सागर को सौंपी गई थी। इसकी जांच का क्या हुआ किसी को नहीं पता है। इस मामले में तब भोपाल के गांधीनगर से लाइसेंसी योगेंद्र सावनेर, गांधीनगर भोपाल निवासी अहमद अली और अकील खान पर आबकारी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। इस पूरे मामले में आबकारी विभाग के कई स्थानीय अधिकारियों की मिली भगत की बात सामने आयी है। इस मामले में अब न्यायालय के निर्देश पर परमिट जारी करने वाले कन्हैया लाल अतुलकर पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के आसार बन गए हैं।
इसी तरह का दूसरा मामला प्रमुख सचिव के आदेश पर इंदौर में पदस्थ नए आईएएस अधिकारी द्वारा धार और खरगोन की शराब कंपनियों पर छापे मारने का है। इस कार्रवाई के बाद ईमानदार व साफ स्वच्छ छवि की महिला आईएएस व विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी कई लोगों के निशाने पर आ गई हैं। इस मामले में प्रदेश की ताकतवर लॉबी धार और खरगोन की कार्रवाई पर लीपापोती चाहती है। इसी बीच प्रमुख सचिव अचानक लंबे अवकाश पर चली गई थीं। इसके बाद से ही माना जा रहा है कि अब वे आबकारी विभाग में अधिक समय नहीं रहेंगी। इस छापे के बाद से सरकार पर बेहद दबाव है कि रायसेन की सोम डिस्टलरी की अनियमितताओं को लेकर उसका लाइसेंस निरस्त हो सकता है तो धार और खरगोन की डिस्टलरी में मिली अनियमितताओं को लेकर ऐसी ही कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। माना जा रहा है कि इस मामले में भी कार्रवाई होने पर कई आला अफसर नप सकते हैं। दरअसल इन दोनों ही जगहों पर सेनेटाइजर की आड़ में बड़े पैमाने पर अवैध रुप से शराब बनाई जा रही थी। छापे के बाद यहां पदस्थ जिला आबकारी अधिकारी आरके गुप्ता को निलंबित कर दिया गया था। यह कार्रवाई तब की गई थी जब प्रशासन द्वारा अवैध शराब से भरे चार ट्रकों को पकड़ा गया था। यह ट्रक शराब लेकर गुजरात जा रहे थे।
गुपचुप तरीके से चलता है खेल
यह ऐसा विभाग है जिसमें अफसरों पर जितने गंभीर आरोप होते हैं, वे उतने ही पॉवरफुल माने जाते हैं। इसकी वजह है गंभीर मामलों में भी आरोपी उन्हें के बाद भी उनकी पदस्थापना में उनका पूरा ख्याल रखा जाता है। फिर चाहे सरकार को करोड़ों की चपत लगाने का मामला हो या फिर अन्य कोई भ्रष्टाचार का प्रकरण। वह इन अफसरों की राह मेंं रोड़ा कभी नहीं बन पाता है। बात यहीं समाप्त नहीं होती है। विभाग जब कभी अपने कर्मचारियों पर छोटी या बड़ी कार्रवाई करता भी है तो उसे बेहद गोपनीय रखा जाता है जिससे कि किसी को उसकी जानकारी नहीं हो सके। इसके पीछे वह सोच होती है कि जब भी मौका मिले तो उन्हें बहाल कर उपकृत किया जा सके।
अफसर रहते हैं बेफिक्र
यह ऐसा विभाग है, जिसके अफसरों द्वारा पूरी बेफिक्री से मनमाना काम किया जाता है। यही वजह है कि उनका मूल काम पुलिस विभाग को करना पड़ता है। पुलिस महकमा जितने अवैध शराब के मामलों में एक सप्ताह में कार्रवाई करती है, उतनी कार्रवाई पूरा का पूरा आबकारी अमला पूरे साल में भी नहीं करता है, जबकि विभाग में मैदानी अमले के अलावा उड़नदस्ता के रुप में अलग से अमला तक तैनात रहता है। इसका उदाहरण विभाग के अफसर आलोक खरे हैं, जो बीते एक पखवाड़े से हर रोज शाम होते ही अपनी गायन प्रतिभा का सोशल मीडिया पर लाइव प्रदर्शन करते आ रहे हैं।
अब नकली होलोग्राम का आया मामला
हाल ही में धार और उसके आसपास के जिलों से नकली होलोग्राम लगाकर गुजरात के लिए शराब तस्करी किए जाने का मामला जोर पकड़ता जा रहा है। यह पूरा खेल आबकारी विभाग के अफसरों से मिलीभगत कर खेला जा रहा है। इससे हर रोज सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। इन नकली होलोग्राम का खुलासा लैब में पिछले दिनों हुई जांच में हुआ है। खास बात यह है कि पुलिस और आबकारी अमले के पास इनकी जांच के लिए संसाधन भी मौजूद नहीं हैं, जिसका फायदा इन तस्करों द्वारा उठाया जाता है। इन होलोग्राम को हर कहीं नहीं छापा जा सकता है। इनकी छपाई करंसी मशीन द्वारा की जाती है। इसी तरह से शराब की तस्करी के लिए परमिट में जमकर खेल किया जा रहा है। बताया जाता है कि गुजरात से इलाके के सटे होने की वजह से धार और उसके आसपास के इलाके से ही बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी की जाती है।