होम-स्टे से रुका पलायन…

होम-स्टे
  • मप्र में टूरिज्म के हॉट स्पॉट बने गांव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अगर आप गांव की सादगी के साथ आरामदायक रहन-सहन का अनुभव लेना चाहते हैं तो मप्र अब आपका अगला डेस्टिनेशन हो सकता है। इसकी वजह यह है कि मप्र  में सरकार ने ग्रामीण टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए होम-स्टे का जो अभियान शुरू किया है उसमें उत्तरोतर सफलता मिल रही है। होम-स्टे से जहां गांवों में पलायन रूका है, वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। राज्य सरकार का लक्ष्य 1,000 होम-स्टे बनाकर मप्र को ग्रामीण टूरिज्म में देश का नंबर-1 राज्य बनाना है। ये होम-स्टे केवल रहने की जगह नहीं, बल्कि अतिथि देवो भव: की परंपरा को जीवंत करने वाले सांस्कृतिक अनुभव स्थल होंगे।
दरअसल, घूमने-फिरने के शौकीनों के लिए मप्र के गांव अब नया ठिकाना बन रहे हैं। इनमें तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसी साल फरवरी से अगस्त तक प्रदेश में पर्यटन वाले इलाकों में 70 नए गांव और ठिकाने इस कैटेगरी में जुड़ चुके हैं। साल की शुरुआत में इनकी संख्या 321 थी, जो अब 400 पार हो गई। जिन जगहों पर गांव और होम स्टे की संख्या बढ़ी, उनमें उज्जैन में 78 से बढकऱ 95, भोपाल में 59 से 82, कान्हा नेशनल पार्क में 18 से 35, पेंच नेशनल पार्क में 9 से 17, जबलपुर में 11 से 17, इंदौर में 30 से 34, ओरछा में 29 से 36, खजुराहो में 22 से 27 और महेश्वर में 5 से बढकऱ 11 डेस्टिनेशन पर होम स्टे शुरू हो गए हैं। इन्हें तीन कैटेगरी होम स्टे, फार्म स्टे और ग्राम स्टे के अंतर्गत जोड़ा गया है।
200 नए गांवों को जोडऩे की तैयारी
मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन बढऩे से अब गांव की अर्थ-व्यवस्था को मजबूती मिल रही है। प्रदेश में होम-स्टे की संख्या बढ़ाई जायेगी। ग्रामीण संस्कृति और परिवेश को समझने विदेशों और शहरों से पर्यटक आकर रुकने लगे हैं और उनकी संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे गांवों की पहचान की जा रही है जिनमें पर्यटन की भरपूर संभावना है। अब मप्र पर्यटन निगम 200 नए गांवों को जोडऩे की तैयारी में है। लोगों को गांव के पास मौजूद वॉटर बाडी, देसी भोजन, जंगल कैंप और यहां होने वाली एडवेंचर एक्टिविटी खासी पसंद आ रही है। पर्यटन विभाग के एसीएस शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि इस पर तेजी से काम चल रहा है। पर्यटन विभाग ने पंजीयन के लिए ओपन इंट्री रखी। जो आवेदन आए, उनका वेरिफिकेशन किया गया कि वहां तक टूरिस्ट कैसे पहुंच सकता है। हालांकि अभी केवल उज्जैन, महेश्वर, ओरछा या अन्य पर्यटन स्थल के आसपास ही इन्हें बढ़ाया दिया जा रहा है। लेकिन जल्दी ही ऐसे जिलों को शामिल किया जाएगा, जहां भले ही बड़ा पर्यटन स्थल नहीं है, लेकिन वहां आसपास जंगल और वॉटर बाडी है।

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