भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश जल्द ही ऐसा प्रदेश बन जाएगा, जिसके करीब एक सैकड़ा गांवों में होम स्टे की सुविधा पर्यटकों को मिल सकेगी। सरकार की इस पहल से न केवल ग्रामीणों की आय में इजाफा होगा, बल्कि पर्यटकों को भी घर जैसा भी अहसास के साथ ही पैसा भी कम खर्च करना पड़ेगा। सरकार की इस पहल से पर्यटकों को प्रदेश की ग्रामीण संस्कृति से भी रूबरू होने का मौका मिल सकेगा। इसके लिए प्रदेश के टूरिज्म बोर्ड द्वारा ग्रामीण पर्यटन परियोजना के तहत 100 गावों का चयन कर एक हजार परिवारों का चयन किया है। इनमें से अब तक 13 गावों में होम स्टे तैयार हो चुके हैं, जबकि शेष में इस पर काम चल रहा है। अच्छी बात यह है कि जिन जगहों पर होम स्टे बन चुके है, उनमें पर्यटकों का आना भी शुरू हो चुका है। यही नहीं केंद्र सरकार ने बेस्ट टूरिस्ट विलेज के लिए नेशनल कॉम्पटीशन भी शुरू किया है, जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट तीन गांवों का चयन किया जाएगा, जिससे न केवल गांव में पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि इन्वेंस्टर्स भी आकर्षित होंगे और गांवों के विकास को गति मिलेगी।
मिलेगा 20 हजार ग्रामीणों को रोजगार
परियोजना के पहले चरण में जिन एक सैकड़ा गांवों का चयन किया गया है, उनमें पर्यटकों को ग्रामीणों को परिवेश का अनुभव कराने के लिए पर्यटन गतिविधियां संचालित की जाएंगी। इसमें हर गांव से लगभग 10 परिवार के हिसाब से 1 हजार परिवारों में पर्यटकों को आवासीय सुविधा प्रदान करने के लिए एक हजार होमस्टे कक्षों का निर्माण किया जा रहा है। खास बात यह है कि चयनित गांवों में होम स्टे निर्माण की लागत का 40 प्रतिशत अनुदान, नवीन होम स्टे निर्माण के लिए अधिकतम 2 लाख रुपए तथा विकसित करने के लिए अधिकतम 1 लाख 20 हजार रुपए की मदद दी जा रही है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 20 हजार ग्रामीण परिवारों को रोजगार मिलेगा। फिलहाल खोखरा और थाड़ीपातल, कुसमी के पास संजय दुबरी, पन्ना में मंडला, छतरपुर में धमना बसाटा, कुंदनपुरा, चंदनपुरा, निवाड़ी में लाडपुराखास नागपुराखास, मुरैना में तितावली, ऐथी, बिठौरा, छिंदवाड़ा में सावरवानी गांव विलेज टूरिज्म के रूप में विकसित हो चुके हैं।
यह सुविधाएं भी मिलेंगी
इन चयनित गांवों में ठहरने की उत्तम व्यवस्था, स्थानीय भोजन, स्थानीय कला एवं हस्तकला, लोक संगीत एवं नृत्य, स्थानीय खेलकूद, कौशल उन्नयन के अलावा यहां आने वाले पर्यटक पोशाक, बोली, अनुष्ठान और रीति-रिवाजों, परंपराओं, परिवहन के पारंपरिक तरीकों, आभूषण, श्रृंगार, संगीत वाद्ययंत्र, पारंपरिक उपचार प्रणाली, कला, भोजन को संरक्षित करने के तरीकों, रीति-रिवाजों और आतिथ्य का भी अनुभव कर सकेंगे।
02/05/2023
0
193
Less than a minute
You can share this post!