
जातियों को साधने में लगातार बढ़ रही छुट्टियां
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र शायद देश का पहला राज्य है जहां सरकारी कर्मचारियों को सबसे अधिक अवकाश मिल रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण शासकीय कार्यालयों में वैसे ही सात दिन की जगह पांच दिन काम हो रहा है। उस पर चुनावी साल में जातियों को साधने के लिए महापुरुषों के नाम पर सरकार ने 9 महीने में 5 और छुट्टियां बढ़ा दी हैं। इस कारण साल के 365 दिनों में प्रदेश के सरकारी कर्मचारी सिर्फ 168 दिन ही काम करते हैं। उन्हें बाकी 197 दिन का अवकाश मिलता है। भोपाल प्रदेश का एकमात्र ऐसा शहर है, जहां साल में 2 दिन अतिरिक्त अवकाश रहेगा। भोपाल में हर साल 3 दिसंबर को गैस त्रासदी की बरसी पर शासकीय अवकाश रहता है। राजधानी में 2 और 3 दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात गैस रिसाव में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी।
मप्र में यदि सरकारी कर्मचारी अपनी छुट्टियों का पूरा उपयोग करें तो हर महीने औसतन उन्हें 15 दिन की नौकरी में ही पूरी तनख्वाह मिल सकती है। दरअसल, प्रदेश में इतनी सरकारी छुट्टियां हो गई हैं कि वे चाहें तो साल में छह महीने दफ्तर नहीं जाएं। मप्र में 2023 के सरकारी कैलेंडर के मुताबिक अधिकारी-कर्मचारियों को 105 अवकाश तो शनिवार व रविवार के हैं, जबकि 26 अवकाश धार्मिक त्योहार व जयंती पर अलग से मिल रहे हैं। इतना ही नहीं, प्रशासनिक कामकाज के हिसाब से देखें, तो इन छुट्टियों के अलावा एक कर्मचारी को साल में 51 अवकाश अलग से मिलते हैं। इसमें 30 अर्जित अवकाश, 15 आकस्मिक अवकाश व 3 ऐच्छिक अवकाश और 3 स्थानीय अवकाश शामिल हैं।
9 महीने में 5 और छुट्टियां
पिछले 9 महीने में सरकार द्वारा प्रदेश में 5 और छुट्टियां घोषित की जा चुकी हैं। दरअसल, मध्यप्रदेश में चुनावी साल में समाजों को साधने के लिए महापुरुषों के जन्म दिवस के मौके पर भी अवकाश की घोषणा की जा रही है। 4 जून को ब्राह्मण समाज के सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भगवान परशुराम की जयंती पर अवकाश का ऐलान किया है। इसके अलावा 1 जून को भोपाल के गौरव दिवस के मौके पर सीएम चौहान ने भोपाल में अवकाश की घोषणा की थी। 18 मार्च 2023 को सीएम ने टोडरमल जयंती पर मंदसौर में स्थानीय अवकाश की घोषणा की। वहीं, 28 दिसंबर 2022 को मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर जानकारी दी कि महाराज खेत सिंह की जयंती पर खंगार समाज के कर्मचारियों के लिए ऐच्छिक अवकाश रहेगा। 15 मार्च को विश्वकर्मा जयंती पर उन्होंने ऐच्छिक अवकाश की घोषणा की थी। सितंबर 2022 से अब तक नौ महीने में कुल पांच छुट्टियां घोषित हो चुकी हैं। हैरत की बात है कि साल के 365 दिनों में प्रदेश के सरकारी कर्मचारी सिर्फ 168 दिन ही काम करते हैं। उन्हें बाकी 197 दिन का अवकाश मिलता है।
मप्र में फाइव डे वीक लागू
प्रदेश में कोरोना के समय से ही सरकार की तरफ से ें सप्ताह में पांच दिन काम करने की प्रथा जारी है। शासन ने आदेश जारी किया था कि पिछले साल जनवरी में सामान्य प्रशासन कर्मचारी सुबह 11 के स्थान पर 10 बजे कार्यालय पहुंचेंगे और शाम पांच बजे के स्थान पर 6 बजे दफ्तर छोड़ेंगे। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि सरकारी कार्यालयों में काम कराने पहुंचने वाले लोगों को सहूलियत हो, लेकिन इस आदेश पर अमल अभी तक नहीं किया जा सका। आज भी मंत्रालय, सतपुड़ा, विंध्याचल से लेकर अन्य सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी 11 बजे के बाद नौकरी पर पहुंचते हैं और शाम 5 बजते ही कार्यलाय छोड़ देते हैं। कुछ दिनों पहले जब राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने मंत्रालय का दौरा ने किया था, तो अधिकतर कर्मचारी अपनी सीटों पर नहीं मिले थे। उन्होंने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए जीएडी के जिम्मेदार अफसरों को व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए थे। साथ ही समय-समय पर मंत्रालय का निरीक्षण करने की बात कही थी, लेकिन न जीएडी व्यवस्थाएं सुधार पाई और फिर न कभी मंत्री ने मंत्रालय का निरीक्षण करने की जहमत उठाई । इस मामले में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शेखर वर्मा का कहना है कि कर्मचारियों को छुट्टी जरूर मिलना चाहिए। यह उनका अधिकार है। चूंकि प्रदेश में फाइव डेज वीक लागू है, इसलिए नई छुट्टियां घोषित करने का कोई औचित्य नहीं है। ज्यादा दिनों तक सरकारी दफ्तर बंद होने से आम आदमी को परेशानी होती है।