मप्र में गरीबों की संख्या में ऐतिहासिक गिरावट

मप्र

गरीबी से मुक्त होने की यात्रा पर आज जारी होगी पॉलिसी ब्रीफ

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की नीतियों और नीयत का परिणाम सामने आने लगा है। सरकार की नीतियों का असर है, की मप्र में गरीब कम हुई है। प्रदेश में गरीबों की संख्या में ऐतिहासिक गिरावट आई है। गरीबों की संख्या में कमी के मामले में सबसे उल्लेखनीय सुधार अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, बालाघाट, और टीकमगढ़ में हुआ है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2023 पर नीति आयोग की दूसरी रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है। नीति आयोग इस मामले में भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में बहुआयामी गरीबी पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस अवसर पर मप्र में 1 करोड़ 36 लाख लोगों को गरीबी से मुक्त करने की यात्रा पर पॉलिसी ब्रीफ जारी की जाएगी।
इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य वक्तव्य देंगे। इसमें वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे। गौरतलब है कि मप्र में 2015-16 से 2019-21 के बीच 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी के चक्र से बाहर आ गए हैं। प्रदेश में गरीबी की तीव्रता 47.25 प्रतिशत से घटकर 43.70 प्रतिशत हो गई है। देश से गरीबी का बोझ कम करने में मप्र ने 10 प्रतिशत का उल्लेखनीय योगदान दिया है। मप्र में पांच वर्षों की अवधि में गरीबों की संख्या में 15.94 प्रतिशत की गिरावट आई है। वर्ष 2015-16 में 36.57 प्रतिशत से घटकर यह 2019-21 में 20.63 प्रतिशत रह गई है। खास बात यह है कि सभी राज्यों में मप्र में सबसे तेजी से कमी देखी गई है। गरीबों की संख्या में कमी के मामले में सबसे उल्लेखनीय सुधार अलीराजपुर, बड़वानी, खंडवा, बालाघाट, और टीकमगढ़ में हुआ है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2023 पर नीति आयोग की दूसरी रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है।
नीति आयोग बताएगा मप्र की विकास यात्रा
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन के बेरी और सदस्य डॉ. वी. के. सारस्वत मप्र की उपलब्धियों और विकास यात्रा पर चर्चा करेंगे। राज्य नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी, प्रधानमंत्री सलाहकार परिषद के सदस्य प्रोफेसर शमिका रवि, मप्र राज्य सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष प्रवीण श्रीवास्तव, यूएन रेसीडेंट कोआर्डिनेटर शोम्बी शार्प विशेष वक्तव्य देंगे। नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. योगेश सूरी बहुआयामी गरीबी संकेतकों पर प्रारंभिक वक्तव्य देंगे।
हर स्तर पर हुआ है सुधार
गरीबी का आंकलन करने के वर्तमान मापदंडों के अनुसार गरीबी को केवल पैसे की कमी से नही आंका जाता। स्वास्थ्य, पोषण, साफ पानी, बिजली, जीवन की गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा, स्वच्छता, शिशु मृत्यु, मातृत्व मृत्यु, आवास, बैंक खाता, परिसंपत्तियां, भोजन के लिए ईंधन आदि से वंचित रहने को भी गरीबी का कारण माना जाता है। मप्र में 1.36 करोड़ लोगों का गरीबी रेखा ऊपर आने का मतलब है स्वास्थ्य, पोषण, साफ पानी, बिजली, जीवन की गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा, स्वच्छता एवं अन्य मापदण्डों की स्थिति में ज़बरदस्त सुधार हुआ है। यह संख्या सिंगापुर और लीबिया जैसे देशों की कुल आबादी के दोगुने से भी ज़्यादा है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4-(2015-16)में अलीराजपुर में गरीबों की संख्या 71.31 प्रतिशत थी जो एनएचएचएस-5 (2019-21)में घटकर 40.25 प्रतिशत रह गई। इस प्रकार 31.5 प्रतिशत सुधार हुआ है। बड़वानी में 61.60 प्रतिशत से कम होकर 33.52 प्रतिशत रह गई है। इस प्रकार 28.08 प्रतिशत का सुधार हुआ है। खंडवा में गरीबी का प्रतिशत 42.53 से कम होकर 15.15 प्रतिशत पर आ गया है। इस प्रकार 27.38 प्रतिशत सुधार हुआ है। बालाघाट में 26.48 प्रतिशत और टीकमगढ़ में 26.33 प्रतिशत सुधार हुआ है।
देश में भी कम हुई गरीबी
देश में गरीबी में भारी कमी देखी गई है। पांच सालों में गरीबी से बाहर आने वाले लगभग 135 मिलियन लोग हैं। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2023 में यह बात साफ हो गयी है कि देश में 15 वर्षों के भीतर 415 मिलियन लोग गरीबी से मुक्ति पा चुके हैं। स्पष्ट है कि जीवन स्तर की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर की गुणवत्ता की कमी का भी आकलन किया गया है। इसके 12 मापदंड हैं। इसमें अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आँकड़ों का भी उपयोग किया गया है। इन आंकड़ों को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के समन्वय से अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान द्वारा जारी किया जाता है। बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 की रिपोर्ट एनएफएचएस 4 (2015-16) और एनएफएचएस 5 (2019-21)के बीच गरीबी में आए बदलाव को दिखाती है। सतत विकास के लक्ष्यों में 2030 तक गरीबी को कम से कम आधा करना शामिल है। देश इस लक्ष्य को समय से पहले प्राप्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश में जिस तेजी से विकास कार्य हो रहे हैं और गरीबी पैदा करने वाली स्थितियों पर नियंत्रण पाया जा रहा है उससे गरीबी को समाप्त करने का लक्ष्य प्राप्त करने की पूरी संभावनाएँ बन रही हैं।
ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों में गरीबी में कमी
मप्र की ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों की आबादी में 20.58 प्रतिशत की गिरावट आई है। एनएफएचएस 4 (2015-16) में यह 45.9 प्रतिशत थी, जो एनएफएचएस-5 (2019-21)में कम होकर 25.32 प्रतिशत तक आ गई है। गरीबी की तीव्रता भी 3.75 प्रतिशत (47.57 प्रतिशत से 43.82 प्रतिशत) तक कम हो गई है और गरीबी सूचकांक 0.218 घटकर 0.111 लगभग आधा हो गया है। शहरी गरीब आबादी में 6.62 प्रतिशत की गिरावट आई है।
हर क्षेत्र में विकास से गरीबी में आई कमी
स्वच्छता में सबसे उल्लेखनीय सुधार हुआ है। स्वच्छता से वंचित लोगों में 19.81 प्रतिशत प्रतिशत की कमी आई है। खाना पकाने के ईंधन से वंचित लोगों के अभाव में 16.28 प्रतिशत की कमी, आवास से वंचित रहने वालों की संख्या में 15.12 प्रतिशत, पोषण अभाव में रहने वालों की संख्या में 13.6 प्रतिशत की कमी आई है। मातृ स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित लोगों की संख्या में 9.54 प्रतिशत की कमी, पेयजल अभाव में 8.84 प्रतिशत की कमी और आई है। स्कूली शिक्षा के अभाव के वर्षों में 6.06 प्रतिशत की कमी देखी गई है। बैंक खाते जैसी वित्तीय सुविधा से वंचित लोगों में 5.98 प्रतिशत की कमी आई है। संपत्ति के अभाव में 5.68 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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