मप्र में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट का मामला अधर में

 हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट

-बिना हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट वाले वाहनों का दूसरे प्रदेश में जाना पड़ रहा भारी

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी /बिच्छू डॉट कॉम। दिल्ली-एनसीआर में वाहनों में हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट और कलर कोडेड स्टीकर न लगवाने वाले वाहनों पर सख्ती बरती जा रही है, ऐसे वाहनों से जुर्माना वसूला जा रहा है। लेकिन, प्रदेश में अभी एचएसआरपी और कलर कोडेड अनिवार्य नहीं है। इस वजह से राज्य में बगैर एचएसआरपी वाले वाहनों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है, लेकिन जब यही वाहन दूसरे राज्य में जाते हैं तो उनसे जुर्माना वसूला जा रहा है।
गौरतलब है कि हाल ही में राजस्थान सहित कुछ राज्यों में हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट को अनिवार्य किए जाने के बाद से अन्य राज्य ऐसा करने लगे हैं।  बिना हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट वाले वाहनों पर दूसरे राज्यों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, हरियाणा आदि में जुर्माना किया जाने लगा है। जुर्माना नहीं देने पर वाहन मालिक का चालान कर दिया जाता है। हर राज्य में जुर्माने की राशि अलग है, लेकिन औसतन 500 से लेकर 1500 रुपए तक का जुर्माना वसूला जा रहा है। उधर परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे शिकायतों की स्क्रूटनी करवाने के बाद संबंधित राज्यों के अफसरों से बातचीत कर समस्या का समाधान करवाएंगे।
सालों पहले रजिस्टर्ड वाहनों में हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट नहीं
हर महीने 10 हजार से ज्यादा बिना हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट लगे वाहन दूसरे राज्यों में आते-जाते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा समस्या उन राज्यों में है, जहां हाल ही में ऐसे वाहनों पर जुमार्ना करने संबंधी आदेश हुए हैं। प्रदेश भर में 2 अक्टूबर 2014 से लेकर 31 मार्च 2019 के दौरान रजिस्टर्ड करवाए गए 50 लाख से ज्यादा वाहनों पर हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट लगाई जानी है। परिवहन विभाग के प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने विधि विशेषज्ञों से सलाह लेकर लिंक-उत्सव प्राइवेट लिमिटेड को इन वाहनों पर नंबर प्लेट लगाने के आदेश दे दिए हैं। इस मामले में सात साल बाद नंबर प्लेट लगाने वाली कंपनी के पक्ष में फैसला आया।
27 अक्टूबर 2014 को निरस्त हुआ था ठेका
वाहनों में हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट लगाने का ठेका लिंक-उत्सव प्राइवेट लिमिटेड को मिला था। लेकिन  कांट्रेक्ट की गड़बड़िय़ों के चलते 27 अक्टूबर 2014 को निरस्त कर दिया गया था। उसके बाद कंपनी ट्रिब्यूनल में चली गई थी और मामला मार्च 2021 में लिंक-उत्सव के पक्ष में चला गया। कंपनी को वर्ष-2012 में कांट्रेक्ट दिया था और दो साल में ही निरस्त कर दिया गया था। एक अप्रैल 2019 से वाहनों के शो-रूम्स पर ही हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट लगाई जा रही है। कई बार इस काम में देरी होती है और वाहन मालिकों को कई बार शो-रूम्स के चक्कर तक लगाना पड़ते हैं, लेकिन पुराने वाहनों पर हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट लगाने का सिस्टम अभी शुरू नहीं हो सका है। खासतौर पर लिंक-उत्सव का कांट्रेक्ट निरस्त होने के बाद प्रदेश भर में खरीदे गए वाहनों पर तो हाई सिक्युरिटी नंबर प्लेट लग रही है, लेकिन पुराने वाहनों पर अब भी नहीं लग सकी है। इनमें भोपाल के पौने दो और प्रदेश भर के 50 लाख से ज्यादा वाहन शामिल हैं।

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