सोशल मीडिया: आपत्तिजनक पोस्ट डालने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

हाईकोर्ट

इंदौर/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट इंदौर खण्डपीठ में चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की कोर्ट  में मातृ फाउंडेशन द्वारा केंद्र सरकार, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और ट्विटर के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की पीठ ने केन्द्र सरकार सहित सोशल मीडिया कंपनियों को नोटिस जारी कर उनसे तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। यह याचिका मातृ फाउंडेशन की तरफ से शहर के युवा एडवोकेट अमेय बजाज द्वारा लगाई गई थी।

ऑनलाइन हुई सुनवाई के दौरान सरकार व सोशल मीडिया की तरफ से देश के जाने माने वकील मुकुल रोहतगी और कपिल सिब्बल ने पेश होकर तर्क प्रस्तुत किए जबकि याचिकाधारक की ओर से अमेय बजाज ने अपने तर्क पेश किए। इस दौरान अमेय ने ऑनलाइन जुआं,  आर्थिक धोखाधड़ी,  प्राइवेसी का भंग, साम्प्रदायिक हिंसा फैलाना, बच्चों व महिलाओं के नग्नता व अश्लीलता भरे फोटो व वीडियो, ऑनलाइन  वैश्यावृत्ति, डेटा की चोरी, कॉपीराइट व ट्रेडमार्क का उल्लंघन, सरकार, सुरक्षा बल, न्यायपालिका व देश की धरोहरों का मजाक बनाना, धर्म, सम्प्रदाय व देवी-देवताओं के अभद्र चित्रों के मामले में किस तरह से सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा कानून का उल्लंघन किया जा रहा है को लेकर तर्क पेश किए गए। इस दौरान अमेय ने तर्क पेश करते हुए कहा कि इन सभी मुद्दों पर उपरोक्त सभी कंपनियों द्वारा कानून का उल्लंघन किया जा रहा है व 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी आसानी से इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उक्त गैरकानूनी विषयों का हिस्सा बनते जा रहे हैं । उन्होंने कहा कि मातृ फाउंडेशन द्वारा केन्द्र सरकार को इन मुद्दों पर आरटीआई के माध्यम से अवगत कराया गया था। परंतु केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर अपना क्षेत्राधिकार न होने की बात कही। केंद्र सरकार के पास कंपनियों की जानकारी भी नहीं है।  उधर, सोशल मीडिया कंपनियों की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी द्वारा विरोध दर्ज करते हुए कहा कि यह मुद्दा जनहित का नहीं है, इसलिए यह याचिका खारिज की जानी चाहिए। कोर्ट ने उनकी दलीलों से असहमति जताते हुए इस मामले में केंद्र सरकार व सोशल मीडिया कंपनीज को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई की तारीख 12 जुलाई तय की है।

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