
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र का बिजली महकमे को इन दिनों गंभीर कोयला संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से सरप्लस बिजली उत्पादन के मामले में ढिंढोरा पीटने वाले मप्र राज्य में खतरनाक रुप से अघोषित बिजली कटौती की स्थिति बनती जा रही है। प्रदेश में कोयले की कमी के चलते विद्युत उत्पादन में बेहद कमी हो गई है। हालत यह है कि कोयले की लगातार कमी बढ़ती ही जा रही है, जिसकी वजह से थर्मल पावर प्लांट धीरे-धीरे बंद होने की कगार पर जा रहे हैं। हालत यह है कि प्रदेश के प्रमुख पॉवर प्लांटों में सतपुड़ा और अमरकंटक में सात दिन, सिंगाजी और बिरसिंहपुर में तीन दिन का कोयला ही बचा हुआ है।
इसके बाद भी शिव सरकार के उत्साहीलाल मंत्री संभावित ब्लैकआउट को लेकर बेफिक्र नजर आ रहे हैं। हालात कितने भयावह बनते जा रहे हैं इससे ही समझा जा सकता है कि प्रदेश के चार में से जिन दो बड़े पॉवर प्लांटों में 3- 3 दिनों का कोयला बचा है उनमें शामिल सिंगाजी प्लांट और सतपुड़ा पॉवर प्लांट सारनी की दो इकाइयों को तो बीते डेढ़ साल से लगातार कोयला भेजा जा रहा है। यह स्थिति तब बनी है जबकि बीते साल भी प्रदेश में मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी की ज्यादातर इकाइयां बंद रह चुकी हैं।
इसके बाद भी जिम्मेदार अफसरों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा जिसकी वजह से अब प्रदेश में रबी सीजन में अचानक कोयला संकट बढ़ गया है। अधिकारियों की लापरवाही इससे ही समझी जा सकती है कि एक साल पहले तक मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी
के पास 10 से 15 लाख मीट्रिक टन तक कोयले का भंडारण रहता रहा है , उसके पास अब कोयले का ऐसा सकंट बना हुआ है कि कई बिजली इकाइयां तक बंद करनी पड़ रही हैं।
प्रदेश में मौजूदा सरकारी बिजली घरों में 16 इकाइयां हैं। इन सभी को पूरी क्षमता पर चलाने के लिए हर दिन 68 हजार मीट्रिक टन कोयले की जरुरत होती है। अभी इनमें से 7 इकाइयां बंद पड़ी हुई हें। जिन 9 इकाइयों में उत्पादन हो रहा है उनमें हर दिन करीब 43 हजार मीट्रिक टन कोयले का उपयोग हो रह है। अगर शनिवार की स्थिति देखें तो इनमें 49 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हुई, जबकि आपूर्ति 43 हजार मीट्रिक टन की ही हुई। इसमें भी जब सिंगाजी पावर प्लांट को एक साथ 7 रैक कोयला मिला है। अभी प्रदेश में 2 लाख 27 हजार 400 मीट्रिक टन कोयले का स्टॉक बताया जा रहा है।
प्रदेश में आधे से कमहुआ उत्पादन
मप्र की चार सरकारी बिजली घरों की 16 विद्युत इकाइयों की कुल उत्पादन क्षमता 5400 मेगावाट है। इनमें से 7 इकाइयां इन दिनों बंद पड़ी हुई हैं। इनमें सतपुड़ा की 6,7,8 और 9 नंबर, बिरसिंहपुर की 1 और 4 नंबर व श्रीसिंगाजी पॉवर प्लांट की 4 नंबर की इकाई शामिल है। इनको छोड़कर सतपुड़ा की 2, अमरकंटक की 1 और सिंगाजी व बिरसिंहपुर की 3-3 इकाइयों में ही अभी बिजली उत्पादन हो रहा है। इनसे महज 2400 मेगावाट ही बिजली मिल पा रही र्है। यह उत्पादन प्रदेश की क्षमता से आधा है।
यह हैं पॉवर प्लांटो के हालात
अगर पॉवर प्लंटों में कोयल की स्थिति को देखें तो सतपुड़ा में 61,700, सिंगाजी में 65,400, अमरकंटक में 22,400 एवं बिरसिंहपुर में 77,900 मी टन कोयले का ही स्टॉक बचा है। उत्पादन में आ रही गिरावट के बीच अगर मांग के आंकड़ो पर नजर डालें तो प्रदेश में दस हजार मेगावाट से अधिक बनी हुई है। इसमें सर्वाधिक मांग मध्य क्षेत्र विद्युत कंपनी के पास 3100 मेगावाट के आसपास है। इस मांग के एवज में महज प्रदेश में पांच हजार मेगावाट से भी कम बिजली का उत्पादन हो पा रहा है। इसमें सौर ऊर्जा से 1550, पवन ऊर्जा से 06, जल ऊर्जा से 400 और थर्मल पावर से 2400 मेगावाट ही बिजली का उत्पादन हो पा रहा है।
नाथ ने मांगी कैफियत
पूर्व सीएम कमलनाथ ने इस संकट को लेकर सरकार से कैफियत मांगी है। उनका कहना है कि मप्र में पिछले कुछ समय से कोयले का भारी संकट बना हुआ है। धार्मिक पर्वों की शुरूआत हो चुकी है, लोग कोयले के संकट और बिजली संकट से बेहद चिंतित है। सरकार बताए कि -मध्यप्रदेश में वर्तमान में कोयले का कुल कितना स्टॉक उपलब्ध है और कुल कितने कोयले की वर्तमान में आवश्यकता है? वर्तमान में प्रदेश में कुल कितने संयंत्रों से कुल कितना बिजली का उत्पादन हो रहा है, इनकी क्षमता कितनी है। उन्होंने कम उत्पादन का कारण भी जानना चाहा है और कहा है कि सरकार को बताना चाहिए कि इससे निपटने के लिए वह क्या इंतजाम कर रही है।
तोमर बना रहे अंतर्राष्ट्रीय संकट का बहाना
कोयला संकट पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि यह अंतरराष्ट्रीय संकट है। वे इस बहाने अपनी जिम्मेदारी से भागने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि उनका कहना है कि विभाग द्वारा आठ लाख मीट्रिक टन कोयला खरीदी के लिए टेंडर लगाया गया हैं। जल्द ही कोयले की पर्याप्त आपूर्ति होगी। अभी हर दिन करीब 45 हजार मीट्रिक टन कोयले की आपूर्ति हो रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मैं खुद लगातार इसके लिए प्रयास कर रहा हूं। अघोषित बिजली कटौती पर उनकी सफाई है कि ऐसा नही है , कहीं -कहीं अन्य कोई कारण जैसे एक्सीडेंटल या तार टूटने , ट्रांसफार्मर खराब होने से बिजली जा रही है तो वह अलग बात है। उन्होंने ट्रिपिंग की समस्या को जरूर माना है।
उधारी भी बनी मुसीबत
प्रदेश के पॉवर प्लांटो को कोयला सप्लाई करने वाली कोल कंपनी डब्ल्यूसीएल को इन दिनों करीब एक हजार करोड़ की राशि लेनी है। इसमें मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी से 500 करोड़ रुपए , श्री सिंगाजी पावर प्लांट खंडवा, पावर प्लांट सारणी पर भी इसी तरह से 500 करोड़ का भुगतान बकाया है। इस वजह से बीते कुछ माह से डब्ल्यूसीएल ने कोयले की आपूर्ति कम कर रखी है। उधर सरकार की आर्थिक स्थिति खराब होने से वह एक साथ इतनी बड़ी उधारी की रकम का चुकारा करने की स्थिति में नही है।