मोन्ड नाम से बाजार में बिकने लगी हेरिटेज शराब

 हेरिटेज शराब

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। उत्पादन, टेस्टिंग और नई शराब नीति पर खरा उतरने के बाद महुए से बनी हेरिटेज शराब ‘मोन्ड ’ की बिक्री शुरू हो गई है। जल्द ही यह शराब प्रदेशभर में सुरा प्रेमियों को मिलने लगेगी। यानी अब वे महुए से निर्मित हेरिटेज शराब का सेवन कर पाएंगे। करीब डेढ़ साल के लंबे इंतजार के बाद प्रदेश में हेरिटेज शराब की बिक्री शुरू हो गई है। अभी हेरिटेज शराब पर्यटन विकास निगम के बार में और एंबी वाइन्स की शॉप पर उपलब्ध है। लेकिन जानकारों का कहना है कि यह जल्द ही बाजार में मिलने लगेगी। प्रदेश की केवल 89 आदिवासी विकास खंडों में आदिवासी सोसाइटी समूह ही इसका उत्पादन कर पाएंगे। बिक्री के लिए यह दूसरों की मदद ले सकेंगे। अभी अलीराजपुर में इसका उत्पादन शुरु है। गौरतलब है की नई शराब नीति लागू होने के बाद से ही सुरा प्रेमियों को इस हेरिटेज शराब का इंतजार है। लेकिन सरकार इसको बाजार में उतारने से पहले इसका पूरी तरह परख लेना चाहती थी। इसलिए इसके निर्माण और टेस्टिंग पर विशेष ध्यान दिया गया। अब सारे पैमाने पर खरा उतरने के बाद यह शराब बिक्री के लिए तैयार है। यह शराब दो तरह की पैकिंग में उपलब्ध है। हेरिटेज शराब के 180 मिलीलीटर क्वार्टर की कीमत 200 रुपए और 750 मिलीलीटर बॉटल की कीमत 800 रुपए है।
अलीराजपुर में उत्पादन शुरू
दरअसल, सरकार ने जनवरी, 2022 में हेरिटेज मदिरा नीति को मंजूरी दी थी। हेरिटेज मदिरा नीति में अलीराजपुर और डिंडोरी में हेरिटेज शराब निर्माण के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रावधान किया गया है। इसके बाद से हेरिटेज शराब के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। हर स्तर पर टेस्टिंग के बाद जब सरकार पूरी तरह से संतुष्ट हो गई, तो अब जाकर अलीराजपुर की डिस्टलरी से शराब का व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो पाया है। शराब का निर्माण आदिवासी स्व सहायता समूह कर रहा है।
अभी डिंडोरी की डिस्टलरी से हेरिटेज शराब का उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है। बता दे सरकार ने टेस्ट ट्रायल के तौर पर प्रदेश के दो जिलों डिंडोरी और अलीराजपुर में प्लांट लगाए थे। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने हेरिटेज शराब का उत्पादन एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 2 जिलों में लगाया था, जो सफल रहा। इसकी क्षमता को लेकर यह स्पष्ट कर दिया गया है कि 1 दिन में भले ही दो या तीन मशीनें शराब बनाए, लेकिन इसकी मात्रा एक बार में एक हजार लीटर से अधिक नहीं होगी। नए नियमों के अनुसार आदिवासी व स्वसहायता समूह को ही लाइसेंस के लिए पात्र माना जाएगा। लाइसेंस लेने के बाद ब्रांडिंग व अन्य सहायता के लिए स्वसहायता समूह या बाहरी व्यक्ति से एग्रीमेंट कर सकता है।
बोतलों पर सरकार देगी चेतावनी
राज्य सरकार भले ही प्रदेश में नई शराब की दुकानें नहीं खोल रही, लेकिन हेरिटेज शराब की बिक्री के बहाने नए आउटलेट प्रदेश भर में शुरू किए जा सकेंगे। एयरपोर्ट से लेकर एमडी के वाइन के आउटलेट और बार में हेरिटेज शराब की बिक्री हो सकेगी। बोतलों पर सरकार यह चेतावनी भी देगी कि शराब पीकर वाहन न चलाएं। निर्माण से लेकर आउटलेट तक के लिए 5000 रूपए तक लाइसेंस शुल्क चुकाना होगा।

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