
- मप्र में ऐसा है भाजपा और कांग्रेस का हाल
विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी भाजपा आराम की नहीं बल्कि मिशन मोड में नजर आ रही है। पार्टी का दायरा बढ़ाने के लिए भाजपा देश भर में बड़ी संख्या में लोगों को जोडऩे के लिए 1 सितंबर से सदस्यता अभियान शुरू करने जा रही है। इसके तहत मप्र में डेढ़ करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं कांग्रेस ने अभी तक अपने संगठन का गठन ही नहीं किया है।
विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। मप्र के गठन के 68 सालों के दौरान कांग्रेस ने यहां सबसे अधिक शासन किया है। लेकिन इसके बाद भी आज की स्थिति में मप्र में कांग्रेस की स्थिति ऐसी नहीं है कि वह भाजपा संगठन का मुकाबला कर सके। इसका असर विधानसभा और उसके बाद लोकसभा चुनाव में देखा जा चुका है। एक तरफ विधानसभा और लोकसभा चुनाव में रिकार्ड जीत के बाद भी भाजपा संगठन को मजबूत करने और अधिक से अधिक सदस्य बनाने के अभियान में जुटी हुई है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की स्थिति यह है कि 7 माह बाद भी प्रदेश संगठन का गठन तक नहीं किया गया है। वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव होने के बाद एक बार फिर भाजपा ने पार्टी में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को जोडऩे और भर्ती करने का प्लान बनाया है। 1 सितंबर से शुरू होने वाले भाजपा सदस्यता अभियान का लक्ष्य पूरे देश में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को पार्टी से जोडऩे और सदस्य बनाने का है। भाजपा का राष्ट्रीय सदस्यता अभियान 1 सितंबर से शुरू होगा। ये अभियान दो चरणों में चलेगा। अभियान का पहला चरण 1 सितंबर से 25 सितंबर तक चलेगा। इसके बाद 1 अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक सदस्यता अभियान का द्वितीय चरण चलेगा। 16 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक सक्रिय सदस्यता अभियान चलेगा। इसके बाद 1 नवंबर से 10 नवंबर तक प्राथमिक एवं सक्रिय सदस्यता का रजिस्टर तैयार किया जाएगा। इस अभियान के लिए मप्र की कमान अतुल गर्ग को सौंपी गई है। अतुल गर्ग गाजियाबाद से भाजपा सांसद हैं, जिन्हें मप्र का प्रभारी नियुक्त किया गया है। बता दें कि एमपी में ये अभियान दो चरणों में होगा।
मप्र में एक बार फिर भाजपा संगठन मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है, जहां मप्र में भाजपा सदस्यता महाअभियान शुरू करने जा रही है। इस सदस्यता महाअभियान से पहले संगठन की बड़ी बैठक बुलाई गई, जिसमें संगठन की मजबूती के साथ-साथ महाअभियान की सफलता का खास प्लान तैयार किया गया है। भाजपा राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा एवं सदस्यता अभियान प्रदेश प्रभारी व विधायक भगवानदास सबनानी ने प्रदेश कार्यालय में संगठन पर्व-2024 के अंतर्गत आयोजित प्रदेश स्तरीय सदस्यता अभियान की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा की, हम सबके लिए गर्व कि बात है कि हमारे आदर्श नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार बनी है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक विजय बूथ-बूथ पर हमारे कार्यकर्ताओं के समर्पणभाव का परिणाम है। मुझे अपने कार्यकर्ताओं पर गर्व है कि संगठन के प्रति उनके परिश्रम के चलते मप्र विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक विजय एवं लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीट पर अभूतपूर्व विजय हासिल हुई है। जन-जन के मन में भाजपा संगठन की लोकप्रियता के पीछे हमारे कार्यकर्ताओं की शक्ति है। हम सभी कार्यकर्ताओं ने मिलकर यह संकल्प लिया है कि मप्र में भाजपा की सदस्यता का नया इतिहास रचेंगें। संगठन पर्व के तहत इस बार हम मप्र में डेढ़ करोड़ नये भाजपा सदस्य बनाएंगे। पूर्ण विश्वास है कि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन एवं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व और हमारे कार्यकर्ताओं के परिश्रम से भाजपा संगठन सदस्यता अभियान में नया रिकॉर्ड बनाएगा।
सदस्य जोडऩे का टारगेट
सदस्यता अभियान के लिए भाजपा ने नेताओं के लिए टारगेट भी तय किया है। 1 सितंबर से भाजपा का सदस्यता अभियान शुरू हो रहा है जिसमें सांसद को 25 हजार, विधायक को 15 हजार, महापौर को 10 हजार, जिलाध्यक्ष, मंडलाध्यक्ष, मोर्चा जिलाध्यक्ष को 5-5 हजार सदस्य जोडऩे का टारगेट दिया है। भाजपा अपनी जनहितैषी नीतियों से पहले मतदाताओं को जोड़ती है फिर वह भाजपा का सदस्यता बनता है। सदस्यता से वह सक्रिय कार्यकर्ता, पदाधिकारी और फिर नेता बनता है। ऐसे भाजपा खड़ी होती है। भाजपा सदस्यता अभियान में चार तरीके अपनाएंगी। पार्टी ने एक मिस्ड कॉल नंबर 8800002024 जारी किया है, जिस पर कॉल करके लोग सदस्य बन सकते हैं। इस प्रक्रिया के तहत हर मिस्ड कॉल को फिजिकली वेरीफाई किया जाएगा। इसके साथ ही, क्यूआर कोड और नमो एप के जरिए भी सदस्यता अभियान को बढ़ावा दिया जाएगा। मैनुअली फॉर्म भरकर भी भाजपा की सदस्यता ली जा सकेगी। सदस्यता अभियान को मजबूत करने के लिए जिलेवार टीमें बनेंगी। जिला स्तर पर सदस्यता अभियान को बढ़ावा देने के लिए 1+3 टीमें बनाई जाएंगी। शक्ति केंद्रों के संयोजक सदस्यता अभियान का नेतृत्व करेंगे। जिलेवार सदस्यता अभियान को मजबूत करने के लिए टीमें गठित की जाएंगी। सदस्यता अभियान में नए सदस्यों को जोडऩे के लिए जिला स्तर पर टीमें बनेंगी। इस दौरान निष्क्रिय नेताओं की सूची तैयार होगी। साथ ही सक्रियता पर कार्यकर्ता और नेताओं का बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। मप्र में भाजपा इस बार केवल मिस्ड कॉल से नहीं बल्कि क्यू आर कोड और नमो एप के जरिए पार्टी की सदस्यता बढ़ाएगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बताया कि इस सदस्यता अभियान में इस बार डॉक्टर्स, आर्टिस्ट और समाजसेवियों की तरफ भी पार्टी का रुझान होगा। कांग्रेस से जुड़े वोटरों को भी भाजपा की सदस्यता लेने का मौका है। भाजपा इसके अलावा नए सदस्यों की स्क्रीनिंग के साथ पुराने सदस्यों के मेंबरशिप रिन्यूअल की प्रोसेस शुरु करेगी। पिछली बार जिस तरह से मिस्ड कॉल के जरिए नए सदस्य बनाए गए थे, इस बार भाजपा क्यू आर कोड और नमो एप के जरिए पार्टी की सदस्यता दिलाएगी। वीडी शर्मा ने कहा कि हमारा खास फोकस बूथ और शक्ति केन्द्रों पर है, जिसमें हारे हुए बूथ। जहां लगातार हार मिली और जहां जीते उन बूथों पर हमारा खास फोकस है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बताया कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के साथ भाजपा अकेली पार्टी है, जिसमें केन्द्रीय मंत्री अमित शाह पीएम मोदी से लेकर हर कार्यकर्ता को सदस्यता रिन्यू करवानी पड़ती है। 6 साल बाद सबको नए सिरे से सदस्यता लेनी पड़ती है। ये नियम केवल भाजपा में ही है। इसी बहाने पार्टी में सदस्यता का रिव्यू भी होता है।
मप्र भाजपा ने अपने सदस्यता अभियान की शुरुआत कर दी है। इस अभियान के तहत पार्टी का लक्ष्य 1.5 करोड़ नए सदस्य बनाने का है। इस बार, अभियान की सफलता से न केवल संगठन को मजबूती मिलेगी, बल्कि इससे जिलों के नेताओं का कद भी तय होगा। जो नेता ज्यादा लोगों को पार्टी से जोडऩे में सफल होंगे, उन्हें संगठन में बड़ा पद मिल सकता है। वहीं, निष्क्रिय नेताओं की सूची भी तैयार की जाएगी। बता दें, भाजपा हर छह साल में नए सिरे से सदस्य बनाती है। पिछली बार भाजपा के 95 लाख सदस्य थे। इस बार 55 लाख अधिक सदस्य बनाने का लक्ष्य तय किया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि हर नेता को अपने क्षेत्र में संगठन को मजबूती से खड़ा करना होगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहां पार्टी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हार का सामना कर चुकी है। शर्मा ने कहा कि संगठन को कमजोर बूथों पर खास ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए हर सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों को जुटना होगा। उन्होंने कहा कि एक-एक शक्ति केंद्र पर ध्यान देना होगा। नए प्रयोग करना होंगे। कौन सा वर्ग हमसे छुटा हुआ है उस पर ध्यान दे। विधानसभ्ज्ञा लोकसभा में किस वर्ग का वोट हमें नहीं मिला इस पर फोकस करें। शर्मा ने कहा कि अवसर पर काम होता है तो इतिहास बनता है। प्रदेश में दो करोड़ 24 लाख वोट लोकसभा में मिले। हमें लोकसभा में हारी हुई 27 विधानसभा और विधानसभा चुनाव में हारी 66 सीटों पर फोकस करना होगा।
मोहन यादव का परफार्मेंस पर पोस्ट फार्मूला
देश भर में शुरू हुए भाजपा के सदस्यता अभियान में पार्टी ने मप्र में डेढ़ करोड़ नए सदस्य बनाने का टारगेट रखा है। टारगेट को पूरा कैसे किया जाएगा। इस पर भोपाल में हुई पार्टी की पहली बड़ी कार्यशाला में सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा है कि अब सरकार के ऐसे कई काम आने वाले हैं। आप सदस्यता करके दिखा दें। बाद में यही पूछा जाएगा कि पद मांगने आ गए, उस समय कहां थे जब सदस्यता अभियान चल रहा था। सीएम ने कहा कि चुने हुए लोगों की भी परीक्षा हो जाएगी कि जब पद मिले तब क्या किया। डॉ. मोहन यादव का कहना है कि प्रदेश में साढ़े 8 से 9 करोड़ की आबादी में 68 लाख मतदाता पिछली बार बनाए गए थे। इस बार करीब साढ़े 4 करोड़ मतदाता हैं। जिसमें से डेढ़ करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। सीएम का कहना है कि रोगी कल्याण समिति एल्डरमेन समिति, जनकल्याण समिति जैसी कई समितियां बनने जा रही हैं। सरकार के ऐसे कई बड़े काम आने वाले हैं। अब आपके पास मौका है, आप सदस्यता करके दिखा दें। सीएम ने कहा कि बाद में यही पूछा जाएगा कि पद मांगने आ गये, उस समय कहां थे, जब सदस्यता अभियान चल रहा था। इसीलिए चलो साथ, आप आगे-आगे चलो हम पीछे-पीछे चलेंगे। चुने हुए लोगों की भी परीक्षा हो जाएगी कि जब पद मिले, तब क्या किया। वीडी शर्मा ने भाजपा नेताओं से कहा है कि एक-एक शक्ति केंद्र पर ध्यान देना होगा। नए प्रयोग करना होंगे।।कौन सा वर्ग हमसे छुटा हुआ है, उस पर ध्यान दे। विधानसभा लोकसभा में किस वर्ग का वोट हमें नहीं मिला, इस पर फोकस करें। अवसर पर काम होता है तो इतिहास बनाता है। प्रदेश में 2 करोड़ 24 लाख वोट लोकसभा में मिला। लोकसभा में हारी हुई विधानसभा पर हमें फोकस करना होगा। राज्यसभा सांसद को भी हारी हुई विधानसभा को काम करना होगा। सोशल मीडिया की टीम भी लगातार जनता को कनेक्ट करने का काम करेगी। सदस्यता अभियान पर भी ध्यान रहेगा।
मंत्रियों को जरूरत के हिसाब से प्रभार
मंत्रियों को जिलों में प्रभार वितरण में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने विकास और सुशासन के फॉर्मूले का आधार बनाया है। इसलिए मंत्रियों को जिलों का प्रभार उनकी पसंद नहीं बल्कि जिलों की जरूरत के हिसाब से दिया गया है। गौरतलब है कि प्रभारी मंत्री को जिले में चल रही योजनाओं की सीधी मॉनीटरिंग और नई योजनाओं की मंजूरी का अधिकार रहता है। प्रभारी मंत्रियों को महीने में कम से कम एक बार प्रभार के जिले में जिला योजना समिति की बैठक करना होती है। सरकार जिलों में प्रभारी मंत्री की मौजूदगी में ही नई योजना या नए कार्यक्रम का शुभारंभ करती है। इस प्रकार जिले में विकास कार्यों और योजनाओं के क्रियान्वयन में प्रभारी मंत्री की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अमूमन किसी जिले में बड़ी घटना-दुर्घटना होने पर प्रभारी मंत्री को ही डैमेज कंट्रोल करने भेजा जाता है। प्रभारी मंत्री जिले में मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में काम करते हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मप्र के हर क्षेत्र में एक समान विकास का जो मॉडल बनाया है, उसको देखते हुए प्रदेश सरकार के मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा गया है। मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपने में ऐसे कई तरह के समीकरणों को ध्यान में रखा गया है। ऐसे में कई मंत्री नाखूस बताए जा रहे हैं। कई दिग्गज मंत्रियों को छोटे जिलों का प्रभार सौंपने का फैसला चौंकाने वाला है, लेकिन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रणनीति के तहत वरिष्ठ मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा है। जिलों में बड़े नेताओं के बीच समन्वय बनाने की जिम्मेदारी प्रभारी मंत्री की रहेगी, ताकि विकास कार्य प्रभावित न हों। मुख्यमंत्री ने अपने पास इंदौर जिले का प्रभार रखा है। इंदौर प्रदेश की व्यापारिक राजधानी है। आने वाले वर्षों में प्रदेश में निवेश को आकर्षित करने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन इंदौर में होगा, मुख्यमंत्री प्रभारी मंत्री के रूप में इन आयोजनों पर सीधी नजर रखेंगे। वहीं मंत्रियों को जिलों के प्रभार के आवंटन में भोपाल उज्जैन का प्रभार पहली बार के मंत्रियों को देने का फैसला भी चौकाने वाला है। एमएसएमई मंत्री चेतन्य काश्यप को भोपाल और कौशल विकास एवं रोजगार राज्यमंत्री गौतम टेटवाल को उज्जैन जिले का प्रभार दिया गया है। उज्जैन मुख्यमंत्री डॉ. यादव का गृह जिला है। बड़ा सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री सिंहस्थ-2028 का प्रभार भी टेटवाल को सौंपेंगे?
मंत्रियों को जिलों का प्रभार देने के हर तरह के समीकरणों पर ध्यान दिया गया है। खासकर राजनीतिक समीकरणों को भी साधने की कोशिश की गई है। कुछ जिलों में बड़े नेताओं के बीच समन्वय बनाएंगे दिग्गज मंत्री प्रभारी बनाए गए हैं। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सतना और धार जिले का प्रभार दिया गया है। इसके पीछे वजह यह है कि सतना में सांसद गणेश सिंह से विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि नाराज हैं। विजयवर्गीय सांसद और विधायकों के बीच समन्वय बनाने का काम करेंगे। इसके अलावा धार नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का गृह जिला है, इसे देखते हुए विजयवर्गीय को धार जिले का प्रभार दिया गया है। धार जिले की सात विधानसभा सीटों में से पांच कांग्रेस के पास है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ला को सागर व शहडोल जिले का प्रभार दिया गया है। सागर जिले में तीन दिग्गज भाजपा नेताओं के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। इनमें से गोविंद सिंह राजपूत मंत्री है और गोपाल भार्गव व भूपेंद्र सिंह विधायक हैं। राजपूत को मंत्री बनाए जाने से भार्गव व भूपेंद्र सिंह नाराज चल रहे है। शुक्ला को इन तीनों नेताओं के बीच समन्वय बैठाकर जिले में संगठन व सरकार के काम में तेजी लाने की जिम्मेदारी होगी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल को मंत्री राजेंद्र शुक्ला के गृह जिले रीवा के अलावा भिंड का प्रभार सौंपा गया है। रीवा के विधायकों की मंत्री शुक्ला और सांसद जनार्दन मिश्रा से पटरी नहीं बैठ रही है। प्रहलाद पटेल के ऊपर इनके बीच समन्वय बैठाने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।
बिना संगठन कांग्रेस में बिखराव
मप्र कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बदले हुए 7 माह से भी अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन, अभी तक कांग्रेस कमेटी का कोई अता पता नहीं है। करीब दो माह पहले प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह द्वारा कहा गया था कि आने वाले 15 दिनों में कार्यकारिणी का गठन कर दिया जाएगा। लेकिन, अब तक कमेटी का गठन नहीं हो सका है। इस कारण प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी बिना टीम के काम कर रहे हैं। यही नहीं मप्र कांग्रेस कार्यकारणी के लिए कार्यकर्ताओं को अभी इंतजार करना होगा। दरअसल, कार्यकारिणी गठन को लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह का कहना है कि काम करने वाले (जमीनी) कार्यकर्ताओं को कार्यकारिणी में जगह मिलेगी। जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के नामों पर विचार किया जा रहा है। पूरे समय पार्टी के लिए काम करने वालों को कार्यकारिणी में जगह मिलेगी। प्रदेश प्रभारी ने पुरानी कार्यकारिणी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि पहले की कार्यकारिणी में एक हजार पदाधिकारी शामिल थे। सिर्फ पद लेकर घर पर बैठे थे, अब सिर्फ काम करने वालों को जिम्मेदारी मिलेगी। प्रदेश में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद मप्र कांग्रेस कमेटी लगातार बैठकर कर रही है। नई कार्यकारिणी को लेकर मंथन किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि मप्र में कांग्रेस नेता बीते कई महीनों से पीसीसी के गठन का दावा कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश पदाधिकारियों के नामों पर ही आम सहमति नहीं बन पा रही है। दरअसल, लोकसभा चुनाव में देश के कई राज्यों में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन मप्र में सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसका बड़ा कारण प्रदेश में संगठन में हुआ बिखराव और नेताओं का दल बदल भी बताया जा रहा है। अब नए सिरे से संगठन खड़ा करने की कवायद जारी है। नई टीम के गठन में हो रही देरी के बीच कांग्रेस में बैठकों का दौर जारी है। बैठकों के जरिए पार्टी कमजोर कड़ी तलाशने में जुटी हुई है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पीसीसी चीफ नई टीम को लेकर एक सूची पार्टी हाईकमान को सौंप चुके हैं। नई टीम में सौ के करीब पदाधिकारी होंगे। इस सूची को लेकर दिल्ली में चर्चा भी हुई, लेकिन वरिष्ठ नेताओं की अपत्ति के बाद इसे जारी नहीं किया जा सका। अब वरिष्ठ से भी नाम लिए जा रहे हैं।
कांग्रेस प्रदेश में युवाओं को आगे करना चाहती है। इसलिए प्रदेश कार्यकारिणी में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा जगह देने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं पूर्व में हुई कांग्रेस की राजनैतिक मामलों की बैठक में निर्णय हुआ है कि संगठन को और अधिक मजबूत बनाया जाएगा। राजनैतिक एवं वैचारिक प्रतिबद्वता से संबंध रखने वाले कांग्रेसजनों को संगठन में स्थान दिया जाएगा। मोर्चा संगठनों को और अधिक प्रभावी और गतिशील बनाने और सक्रियता के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। संगठन के प्रत्येक स्तर बूथ, सेक्टर, मंडलम, ब्लाक और जिला स्तर पर अधिक से अधिक सक्रिय और राजनैतिक, सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं की भागीदारी की जाएगी। सेवादल द्वारा प्रदेश भर में ब्लाक स्तर पर पार्टी की गतिविधियों और कांग्रेस पार्टी से लोगों को अधिक से अधिक से अधिक जोडऩे के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम पुन: प्रारंभ किए जाएंगे। प्रदेश में कांग्रेस को विधानसभा में मिली हार के बाद नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए जीतू पटवारी नई कार्यकारिणी बनाने के लिए लगातार मंथन कर रहे हैं। काफी समय बीत गया है, लेकिन अभी तक कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाया है। लगातार प्रदेश और दिल्ली में हुई बैठक के बाद अनुमान लगाया जा रहा था कि अगस्त माह में ही कार्यकारिणी की घोषणा कर दी जाएगी लेकिन अब ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। कार्यकारणी के लिए कार्यकर्ताओं को अभी इंतजार करना होगा। दरअसल, कार्यकारिणी गठन को लेकर गुरुवार को भोपाल पहुंचे प्रदेश कांग्रेस प्रभारी जितेंद्र सिंह ने कहा कि काम करने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को कार्यकारिणी में जगह मिलेगी। जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के नामों पर विचार किया जा रहा है। पूरे समय पार्टी के लिए काम करने वालों को कार्यकारिणी में जगह मिलेगी। प्रदेश प्रभारी ने पुरानी कार्यकारिणी पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले की कार्यकारिणी में एक हजार पदाधिकारी शामिल थे। सिर्फ पद लेकर घर पर बैठे थे, अब सिर्फ काम करने वालों को जिम्मेदारी मिलेगी। इधर, कमलनाथ और नकुलनाथ के इशारे पर छिंदवाड़ा और पांढुर्ना जिले की कार्यकारणी भंग कर दी गई है। जानकारी के अनुसार इसकी जानकारी पीसीसी चीफ को नहीं दी गई है। इसे लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इधर, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को जानकारी दिए बिना छिंदवाड़ा कार्यकारिणी भंग की गई है। छिंदवाड़ा कांग्रेस ने कार्यकारिणी को एक दिन पहले भंग करने का प्रेस नोट जारी किया है। प्रेस नोट में कमलनाथ और नकुलनाथ के चर्चा के बाद कार्यकारिणी भंग करने का जिक्र है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी का प्रेस नोट में कोई जिक्र नहीं है। दरअसल, जीतू पटवारी के अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी की गुटबाजी खुलकर सामने आ रही है। पटवारी के आने के बाद अब तक आधा दर्जन पूर्व मंत्री और तीन कांग्रेस विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता उसे अध्यक्ष के रूप में अब तक स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। जारी प्रेस नोट में लिखा कि मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ व पूर्व सांसद नकुलनाथ से चर्चा के उपरांत कांग्रेस की समस्त कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है। आगामी दिनों में जल्द ही नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। छिंदवाड़ा जिला कांग्रेस अध्यक्ष विश्वनाथ ओक्टे व पांढुर्ना जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश झलके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा व पांढुर्ना की जिला कांग्रेस, शहर कांग्रेस, ब्लॉक कांग्रेस, क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी, पर्यवेक्षक, प्रभारी, चारों मोर्चा संगठन की कार्यकारिणी, समस्त प्रकोष्ठों व विभाग को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया है। दोनों ही जिला कांग्रेस अध्यक्षों ने बताया कि नगर, गांव व कस्बों से लेकर जिला मुख्यालय तक जल्द ही कांग्रेस की नई टीम तैयार होगी। आगामी दिनों में जिला छिंदवाड़ा व जिला पांढुर्ना की सशक्त व ऊर्जावान टीम मैदान में नजर आएगी।
कांग्रेस पर भारी भाजपा की कूटनीति
लोकसभा चुनाव 2024 में मप्र कांग्रेस की करारी हार हुई। प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर भाजपा का परचम लहराया और कांग्रेस के हाथ एक भी सीट नहीं लग पाई। ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर मप्र को भाजपा का अभेद्य किला क्यों कहा जाता है। यहां क्यों कांग्रेस या दूसरी पार्टियां नहीं पनप पाईं। इसके कई फैक्टर हैं। कई राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि यहां भाजपा जितनी ताकतवर नहीं है, उसे कहीं ज्यादा कांग्रेस कमजोर है। लोकसभा चुनाव में कमजोर कांग्रेस की बुरी हालत की शुरुआत कुछ माह पहले हुए मप्र विधानसभा चुनाव से ही होने लगी थी। भाजपा ने कांग्रेस को इतना कमजोर जोर कर दिया कि वह लडऩे लायक स्थिति में ही नहीं रही। जब चुनाव में सीनियर लीडरशिप की जरूरत थी, तब मालवा निमाड़ से लेकर बुंदेलखंड तक कांग्रेस के पहली, दूसरी और तीसरी पंक्ति के नेता भाजपा में मिल गए। चुनाव से पहले बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेता और हजारों की संख्या में कार्यकर्ता भाजपा में शामिल होते गए। कांग्रेस अपनी आंखों से अपने नेताओं को भाजपा में जाते हुए मूकदर्शक बने देखती रही। बड़ी संख्या में शीर्ष नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक भाजपा में शामिल होते गए। इनमें चौंकाने वाला नाम वरिष्ठ कांग्रेसी सुरेश पचोरी का रहा। इसके अलावा पूर्व कांग्रेस विधायक निलेश अवस्थी, कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय यादव, भोपाल से बसपा के पूर्व सांसद रामलखन सिंह जैसे नेता भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस राज्यभर में जिला, विकासखंड और बूथ स्तर के कांग्रेसियों का भगवाकरण होते देखती रही। कांग्रेस नेताओं का भाजपा में पलायन इस कदर हो रहा था कि जब यह खबर चल गई कि खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी भाजपा में शामिल हो रहे हैं, तब उन्हें खुद सफाई देना पड़ा कि वे ऐसा कुछ करने नहीं जा रहे हैं। कई कांग्रेस प्रत्याशी तक भाजपा में शामिल हो गए। इनमें इन्दौर से अक्षय कांति बम का नाम भी शामिल है, जिन्होंने पर्चा तो कांग्रेस प्रत्याशी के बतौर भरा, लेकिन ऐन वक्त पर पर्चा वापस ले लिया और वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गए। सुरेश पचोरी के खास रहे संजय शुक्ला भी भाजपा में शामिल हो गए। यह फेहरिस्त बहुत लंबी है। इस चुनाव में एमपी के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ऐलान कर दिया था कि वे 76 साल के हो गए हैं और यह उनका अंतिम चुनाव है। लेकिन इस बार जीत की राह आसान नहीं थी, इसलिए एमपी के दूसरे इलाकों में जाकर प्रचार करने की बजाय ‘राजगढ़’ सीट पर अपनी जीत के लिए प्रचार में ही ज्यादातर समय फंसे रहे। वे अपने प्रतिद्वंद्वी और गुना से चुनाव लड़ रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को काउंटर करने भी गुना में सक्रियता नहीं दिखा पाए। उधर कमलनाथ भी अपने गढ़ छिंदवाड़ा से बेटे नकुलनाथ को जिताने के लिए भरसक प्रयास करते नजर आए। चूंकि कमलनाथ के खास रहे दीपक सक्सेना उनका साथ छोडक़र भाजपा में शामिल हो गए। ऐसे में उनके लिए अपना गढ़ बचाना मुश्किल हो गया। वहीं चुनाव से पहले यह खबर भी चर्चा में रही कि कमलनाथ और उनके बेटे भाजपा में शामिल हो रहे हैं। लेकिन ऐसा न हो सका। इस वजह से भी कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स में उनकी ‘इमेज’ पर असर पड़ा। लिहाजा यह सीट भी भाजपा के खाते में चली गई और नकुलनाथ हार गए। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ दोनों ही मप्र की राजनीति में कांग्रेस के सिरमौर रहे हैं। दोनों को ही सरकार चलाने का अच्छा ज्ञान है। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच दूरियां भी कांग्रेस के लिए घातक साबित हुई। कार्यकर्ता दो खेमों में बंट गए। यहां तक कि दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच मनमुटाव की खबरें भी आईं। बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं का एकजुट होना काफी मायने रखता है। लेकिन कांग्रेस के साथ ऐसा नहीं था, लिहाजा कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।