
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन की बर्खास्त (संविदा) प्रभारी सहायक इंजीनियर हेमा मीणा को लेकर हर राज नए-नए खुलासे हो रहे हैं। उनके घर से मिले 450 सामानों की इन्वेंट्री की जानकारी जुटाने में लोकायुक्त जहां लगी हुई हैं, तो वहीं अब तक बैंको से उसके खातों व लॉकरों की जानकारी नहीं मिल सकी है। उसके घर से जो दस कारें और ट्रैक्टर ट्राली, लोडिंग समेत करीब 20 वाहन जब्त किए गए थे। इन में से सिर्फ दो कारें (आल्टो, वैग्नआर) हेमा के नाम पर मिली है, बाकी किसी दूसरे के नाम पर रजिस्टर्ड हंै। उससे भी ज्यादा हैरत वाली बात ये है कि इन वाहनों को पहले किसी और ने खरीदा और बाद में मूल रकम छिपाने के लिए पुराना बताकर खरीदा गया। इधर, गायों के चारे और श्वानों के खाने के इंतजाम के लिए दस हजार का रोजाना भुगतान भी हो रहा था। हेमा मीणा को जो अफसर विभाग में संविदा नियुक्ति पर लेकर आया था, उस पर भी पहले से ही आय से अधिक संपत्ति मामले में जांच चल रही है। छापे में उनके घर पर करीब 75 श्वान और 60 गायें बरामद की थीं। यही नहीं उसने विदिशा में एक अपना वेयरहाउस भी बनवा रखा था। खास बात यह है कि इन सभी का निर्माण अघोषित रूप से जनार्दन द्वारा करवाए जाने की बात सामने आ रही है। यह बात अलग है कि जिस शिकायत के आधार पर हेमा के याहां छापा डाला गया है उसी शिकायत में जनादर्न का नाम भी था, लेकिन उसे अब तक जांच तक के दायरे में नहीे लिया गया है। गौरतलब है कि हेमा की नौकरी के दौरान जनार्दन सिंह ही उसका अधिकारी रहा है और उसके हेमा से बेहद करीबी संबध बताए जाते हैं। खास बात यह है कि हेमा को जिस ठेकेदार ने जनार्दन से मिलवाया था, उस ठेकेदार से हेमा ने अब पूरी तरह से दूरी बना ली थी और खुद जनार्दन की बेहद करीब बना गई थीं।
कौन कर रहा था दस हजार रोजाना खर्च
गायों के दूध से घी की फैक्ट्री चल रही थी। गाय के चारे और श्वान के खाने का रोजाना खर्च दस हजार रुपये था। उसका भुगतान कौन कर रहा था? यह जानकारी जुटाने के लिए लोकायुक्त पुलिस हेमा को पूछताछ के लिए बुला सकती है।