एमपी में 17 अगस्त तक भारी बारिश का अलर्ट

बारिश का अलर्ट
  • इंदौर-उज्जैन का सूखा खत्म होगा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ यानी इंदौर और उज्जैन का सूखा खत्म होने वाला है। यहां अगले 3 दिन अति भारी और भारी बारिश का अलर्ट है। इन दोनों संभागों के 15 में से 8 जिलों में 14 इंच से कम पानी गिरा है। दूसरी ओर, गुना, निवाड़ी, मंडला और टीकमगढ़ में 45 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है। सबसे कम बारिश के मामले में इंदौर जिला पहले नंबर पर है। सबसे कम बारिश वाले टॉप-5 जिलों में बड़वानी, बुरहानपुर, खरगोन और खंडवा भी शामिल हैं। उज्जैन संभाग की भी ऐसी ही तस्वीर है। इन्हीं दोनों संभाग के जिलों में स्ट्रॉन्ग सिस्टम की एक्टिविटी हो रही है। जिससे अब इन जिलों का सूखा खत्म होने की उम्मीद है। भोपाल में गुरुवार तडक़े बारिश हुई। फिर धूप निकल आई। इंदौर में भी पानी गिरा। नर्मदापुरम के पिपरिया में रात 12 बजे के बाद कभी तेज, कभी धीमी बारिश हुई।
17 जिलों में बारिश
इससे पहले एमपी में बुधवार को बारिश का दौर जारी रहा। शाम तक 17 जिलों में बारिश हुई। बैतूल और बालाघाट के मलाजखंड में पौन इंच पानी गिर गया। पचमढ़ी, छिंदवाड़ा और सागर में आधा इंच पानी गिरा। इसके अलावा भोपाल, गुना, ग्वालियर, नर्मदापुरम, इंदौर, दमोह, मंडला, नरसिंहपुर, नौगांव, रीवा, सतना, सिवनी, सीधी, शाजापुर समेत कई जिलों में बारिश का दौर जारी रहा।
आज इन जिलों में तेज बारिश के आसार
गुरुवार को जिन जिलों में अति भारी बारिश हो सकती है, उनमें बैतूल, छिंदवाड़ा और पांढुर्णा शामिल हैं। वहीं, भारी बारिश वाले जिलों में इंदौर, उज्जैन, धार, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा, देवास, हरदा, नर्मदापुरम, श्योपुर और शिवपुरी शामिल हैं। यहां अगले 24 घंटे में साढ़े 4 इंच तक पानी गिर सकता है।
कोटे की बारिश से सिर्फ 7.1 इंच दूर
मध्यप्रदेश की औसत बारिश 37 इंच है जबकि इस सीजन में अब तक 29.9 इंच पानी गिर चुका है, जो कोटे का 81 प्रतिशत है। अब बारिश का आंकड़ा कोटे से सिर्फ 7.1 इंच दूर है। दूसरी ओर, अब तक 6.4 इंच ज्यादा यानी 23.5 इंच बारिश हो चुकी है।
2-3 दिन तेज झड़ी लगते ही कोटा फुल होगा
वैज्ञानिकों के अनुसार, अगस्त के दूसरे पखवाड़े में तेज बारिश का दौर शुरू होगा, जो आखिरी तक चलता रहेगा। ऐसे में कई जिलों में बारिश का कोटा अगस्त में ही पूरा हो जाएगा। हालांकि, अब तक ग्वालियर समेत 10 जिलों में कोटा पूरा हो चुका है, लेकिन इंदौर और उज्जैन
संभाग के जिलों की तस्वीर बेहतर नहीं है।

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