
-चंबल एक्सप्रेस-वे: भूमि के बदले दोगुनी भूमि पर सहमत नहीं आधे से अधिक किसान
-भूमि के बदले सरकार को 333 करोड़ 94 लाख मुआवजा देना होगा
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। चंबल एक्सप्रेस-वे (अटल प्रगति पथ) परियोजना की राह में आने वाली बाधाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। स्थिति यह है की 57 फीसदी किसान भूमि के बदले भूमि चाहते हैं तो 43 फीसदी मुआवजा। उधर, राज्य सरकार ने मई तक निजी भूमि अधिग्रहण करने का लक्ष्य रखा है।
चंबल एक्सप्रेस-वे के लिए निजी भूमि अधिग्रहण का काम दिसंबर 2021 में ही पूरा हो जाता, पर श्योपुर, मुरैना एवं भिंड जिलों में 43 प्रतिशत भूमि स्वामी सरकार के पहले प्रस्ताव (भूमि के बदले दोगुनी भूमि) से सहमत नहीं हैं। वे भूमि के बदले मुआवजा चाहते हैं। सरकार इस पर भी राजी हो गई है। इसके लिए सरकार को 333 करोड़ 94 लाख रुपये मुआवजा देना होगा।
मई तक 80 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण का लक्ष्य
जो किसान भूमि के बदले राशि चाहते हैं। उन्हें भी भूमि की कीमत का दो गुना मुआवजा दिया जाएगा। हालांकि भू-अर्जन की प्रक्रिया लंबी है। इसलिए उन्हें इंतजार करना पड़ेगा। तीनों जिलों के कलेक्टरों को दोनों विकल्पों पर काम करने को कहा गया है। उन्होंने भूमि के बदले भूमि प्रस्ताव के तहत भूमि का चयन भी कर लिया है। प्रमुख सचिव, पीडब्ल्यूडी नीरज मंडलोई का कहना है कि कुछ भूमि स्वामियों ने भूमि के बदले मुआवजा मांगा है। यह प्रक्रिया लंबी है। मई तक 80 प्रतिशत भूमि का अधिग्रहण और भू-अर्जन कर लेंगे। इसके साथ ही सड़क निर्माण के लिए निविदा प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। कलेक्टरों ने भूमि के बदले देने के लिए भूमि का चयन भी कर लिया है
मई माह में शुरू हो जाएगा भू-अर्जन
भू-अर्जन की प्रक्रिया करीब चार माह की है। इसलिए मई माह में भू-अर्जन का काम शुरू हो जाएगा। इसके बाद सड़क निर्माण की निविदा जारी की जाएगी। जबकि भूमि के बदले भूमि देने की प्रक्रिया सरल होने के कारण भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही जल्दी होगी। इसमें 494 हेक्टेयर रकबा सरकार को मिल जाएगा। राजस्थान के कोटा जिले से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में कन्नौज-भुनगांव राज्यमार्ग को जोड़ने बाला चंबल एक्सप्रेस-वे प्रदेश के श्योपुर, मुरैना और भिंड जिले से होकर गुजरेगा। प्रदेश में इसकी कुल लंबाई 313 किलोमीटर है। फोर लेन सड़क निर्माण के लिए राज्य सरकार को नि:शुल्क भूमि उपलब्ध करानी है। एक हजार 604 हेक्टेयर सरकारी भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को हस्तांतरित की जा चुकी है। 378 हेक्टेयर वन भूमि के व्यपवर्तन (परिवर्तन) की कार्यवाही चल रही है। इसका प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। समस्या तीनों जिलों में 1465 हेक्टेयर निजी भूमि को लेकर है। इन जिलों में 57 प्रतिशत (4634) भूमि स्वामी भूमि के बदले दोगुनी भूमि लेने के लिए तैयार हैं पर ये 34 प्रतिशत (494 हेक्टेयर) रकबे पर काबिज हैं। जबकि 43 प्रतिशत (3544) भूमि स्वामी भूमि के बदले मुआवजा चाहते हैं। ये 66 प्रतिशत (971 हेक्टेयर) रकबे पर काबिज हैं।