आरटीई के तहत स्कूलों में प्रवेश के आधे रह गए आवेदन

आरटीई

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना महामारी के चलते बीते एक साल से बंद स्कूलों का असर शिक्षा का अधिकार कानून आरटीई के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के प्रवेश के मामलों पर भी प्रतिकूल पड़ना है। हालत यह है कि इसके लिए आने वाले आवेदनों की संख्या कम होकर आधी रह गई है। राज्य शिक्षा केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक इस साल अब तक इस मामले में एक लाख आवेदन ही प्राप्त हुए हैं जो कि 2019 की तुलना में करीब सवा लाख कम है।
सत्र 2019 में निजी स्कूलों में तय 3 लाख 58 हजार 887 सीटों के लिए दो लाख 35 हजार आवेदन प्रवेश के लिए मिले थे। इनमें से दस्तावेजों के सत्यापन के बाद 2 लाख 3 हजार 486 बच्चे पात्र  मिले थे। जिन्हें बाद में ऑनलाइन लॉटरी में शामिल किया गया था। इस बार शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों को पहली और दूसरी दो कक्षाओं में आवेदन करने की सुविधा दी गई है। इसकी वजह है बीते साल प्रदेश में फैले कोरोना वायरस के कारण तय सीटों पर प्रवेश नहीं दिया जा सका था। इसके अलावा इस बार प्रवेश के लिए आवेदन की आयु की गणना 16 जून 2021 की स्थिति में करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
अगले हफ्ते निकलेगी लॉटरी
आरटीई के तहत आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 जून है, जिसकी वजह से मिलने वाले आवेदनों की संख्या में कुछ वृद्धि होने की संभावना है। इसके बाद आवेदनों की स्क्रूटनी कर पहले ही हफ्ते में 6 जुलाई को ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से बच्चों को स्कूलों का आवंटन किया जाएगा। इस लॉटरी में उन बच्चों के नाम ही शामिल किए जाएंगे, जिनके अभिभावकों द्वारा 1 जुलाई तक दस्तावेज सत्यापन करा लिया होगा। यह सत्यापन उन दस्तावेजों का कराना है जिन्हें आवेदन में दिए गए दस्तावेजों के साथ लगाया गया है। इसके लिए उन्हें मूल प्रति को निकट के जन शिक्षा केन्द्र, जो सामान्यत: शासकीय हाई स्कूल या हायर सेकेंडरी स्कूल है, वहां ले जाकर सत्यापन करवाने की सुविधा दी गई है।
यह भी दी गई सुविधा
इस बार खास बात यह है कि अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश एक साथ दो कक्षाओं में करा सकते हैं। यह प्रक्रिया दो सत्रों के लिए शुरू की गई है। राज्य शिक्षा केंद्र ने ऐसे बच्चों को आयु सीमा में छूट दी है, जो पिछले वर्ष प्रवेश नहीं ले सके थे। इन बच्चों को आयु सीमा में छूट देने के साथ ही निजी स्कूल प्रबंधन को इन्हें अगली कक्षा के लिए प्रमोट भी करने के निर्देश दिए गए हैं।
बीता वर्ष आरटीई का जीरो ईयर
कोरोना संक्रमण के कारण पिछले वर्ष आरटीई के तहत प्रवेश नहीं हो सके। इस कारण स्कूलों में आरटीई की सभी सीटें खाली रह गई थीं। इस संबंध में कोई स्पष्ट आदेश न होने की वजह से बच्चों का एक साल तो खराब हो ही गया है साथ ही स्कूल संचालकों को भी नुकसान उठाना पड़ा है।  

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