आधा दर्जन सीटों ने बढ़ाई भाजपा की चिंता

भाजपा

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की सभी 29 लोकसभा सीटों को जीतने का लक्ष्य बना चुकी भाजपा के लिए आधा दर्जन सीटें परेशानी का सबब बन गई हैं। दरअसल, विधानसभा चुनाव में भाजपा को इन लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। इसलिए भाजपा लोकसभा चुनाव को लेकर थोड़ा बहुत सशंकित है। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने छिंदवाड़ा को छोडक़र प्रदेश की 28 सीटों को जीता था। लेकिन विधानसभा चुनाव के आंकड़ों ने भाजपा को सतर्क रहने का संकेत दे दिया है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में मिशन 29 का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा ने अपनी पहली ही सूची में प्रदेश की 24 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर अपनी चुनावी तैयारियों का अहसास करा दिया है। पार्टी ने 11 सीटों पर नए चेहरों को उतारा है तो शेष पर अपने पुराने नेताओं पर भरोसा जताया है। पिछले बार 29 में से 28 सीटों पर विजय पताका फहराने वाली भाजपा को इस बार आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल सकती है। विधानसभा चुनाव के आंकड़ें तो कम से कम यही बता रहे हैं। इनमें ग्वालियर, बालाघाट, रतलाम, धार, मुरैना और छिंदवाड़ा शामिल हैं। इनमें धार, छिंदवाड़ा और बालाघाट सीट पर पार्टी ने अब तक प्रत्याशियों का ऐलान भी नहीं किया है।
कांग्रेस के पास उम्मीदवारों का टोटा
लोकसभा चुनाव को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो गई है। चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग कभी भी आदर्श आचार संहिता का ऐलान कर सकता है। ऐसे में मध्य प्रदेश में भी राजनीति गरमा गई है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने-अपने प्रत्याशियों और चुनावी रणनीति को लेकर लगातार बैठक कर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा निकाली जा रही भारत जोड़ो न्याय यात्रा का मध्य प्रदेश में समापन हो चुका है, लेकिन कांग्रेस आज तक एक भी प्रत्याशी का ऐलान नहीं कर पाई है। इससे उलट भाजपा ने पिछले दिनों ही 29 में से 24 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। हद तो इस बात की हो गई है कि प्रदेश की सभी 29 सीटों में से पैनल बनाने के लिए कांग्रेस के पास एक से ज्यादा नाम भी नहीं है। अधिकांश संसदीय क्षेत्र में से कांग्रेस पार्टी ने एक-एक नाम का ही पैनल बनाया है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष नवंबर माह में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा ने अपनी प्रत्याशियों की सूची कांग्रेस से पहले जारी कर दी थी। अब लोकसभा चुनाव में भी यही स्थिति देखी जा रही है। वर्तमान लोकसभा की बात की जाए तो मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से भाजपा के पास 28 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास एक सीट है। छिंदवाड़ा से नकुल नाथ कांग्रेस सांसद हैं।
जातीय समीकरणों पर ध्यान
भाजपा टिकट वितरण में जातीय समीकरणों पर अधिक ध्यान दे रही है। यानी पार्टी टिकट उन्हीं नेताओं को देगी जिनकी जाति का क्षेत्र में प्रभाव है। बालाघाट संसदीय क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी मेहनत के बाद चार सीट पर जीत हासिल हुई है। यहां तक कि भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं तत्कालीन मंत्री गौरीशंकर बिसेन तक चुनाव हार गए। इसी के चलते पार्टी ने यहां से अभी उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। यहां से अब गौरीशंकर बिसेन अब अपनी बेटी मौसम बिसेन के लिए टिकट चाह रहे हैं तो वर्तमान सांसद ढाल सिंह बिसेन स्वभाविक रूप से दावेदार है। संगठन युवा चेहरे वैभव पवार के पक्ष में बताया जाता है। बात करे ग्वालियर सीट की तो यहां भाजपा ने ओबीसी चेहरे पर दाव खेला है। मौजूदा सांसद विवेक शेजवलकर का टिकट काट कर भारत सिंह कुशवाह को प्रत्याशी बनाया है। यहां भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ग्वालियर पूर्व, डबरा, पोहरी सीट पर भाजपा को शिकस्त दी हैं। मालवा क्षेत्र की धार सीट पर तो कांग्रेस ने भाजपा को सिर्फ तीन सीट पर संतोष करने के लिए मजबूर कर दिया। यहां कांग्रेस ने सरदारपुर, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, बदनावर पर जीत दर्ज की है। ऐसे में यहां पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत देखते हुए भाजपा को विचार करना पड़ रहा है और उसने अभी इस सीट पर अपने प्रत्याशी का नाम भी घोषित नहीं किया है। माना जा रहा है कि पार्टी यहां पर नए चेहरे को मैदान में उतार सकती है। यह आधा दर्जन सीट भाजपा के लिए मुसीबत बन सकती है। हालांकि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के समीकरण अलग होते हैं, लेकिन इन सीटों पर भाजपा की कमजोर पकड़ ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
छिंदवाड़ा पर सबसे अधिक फोकस
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हिस्से में केवल छिंदवाड़ा सीट ही आई थी। इस बार वह इस सीट पर भी विजय के लिए पूरी ताकत लगा रही है पर विधानसभा चुनाव में वह सभी आठ सीटों पर पराजित हुई है। छिंदवाड़ा पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ का गढ़ है। यहां कांग्रेस को पराजित करना भाजपा के लिए आसान नजर नहीं आ रहा है। यहां कांग्रेस का प्रत्याशी भी तय है, खुद कमलनाथ यह कह चुके हैं कि नकुलनाथ यहां से फिर चुनाव लड़ेंगे। मुरैना सीट पर इस बार भाजपा ने फिर ठाकुर चेहरे पर विश्वास जताया है। पिछली बार पूर्व केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर यहां से सांसद थे। वे विधानसभा चुनाव जीतकर अब विधानसभा अध्यक्ष बन चुके हैं। जातीय समीकरणों के हिसाब से भाजपा ने उनकी जगह शिवमंगल सिंह तोमर को प्रत्याशी बनाया गया हैं। इस संसदीय क्षेत्र में आने वाली आठ सीटों में से पांच सीटों पर कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में विजय प्राप्त की है। केवल तीन सीट सबलगढ़, सुमावली एवं दिमनी भाजपा के खाते में गई हैं।

Related Articles