
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। ग्वालियर में स्थापित डीआरडीई (रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना) देश को बायोलॉजिकल एवं केमिकल सुरक्षा और अनुसंधान में आत्मनिर्भर बनाएगा। दोनों ही क्षेत्रों में डिटेक्शन संबंधी अनुसंधान एवं बायो डिटेक्टर संबंधी अनुसंधान भी अब लैब में किए जाएंगे। इसके लिए 400 करोड़ की लागत वाला बीएसएल-4 (बायोलॉजिकल सेफ्टी लैब-4) प्रोजेक्ट पहले ही मिल चुका है। इस पर काम भी शुरू हो चुका है। इसके अगले चरण में 100 करोड़ की लागत वाला बायो डिटेक्टर प्रोजेक्ट भी डीआरडीई को दिए जाने पर विचार हो रहा है। इसकी वजह यहां स्थापित होने जा रही बीएसएल-4 लैब है , जो अत्याधुनिक उपकरणों से लैस विश्वस्तरीय लैब होगी जिसमें बायो डिटेक्टर के प्रोजेक्ट पर आसानी से अनुसंधान हो सकेंगे। डीआरडीई को दिए गए नए टास्क की समीक्षा के लिए लाइफ साइंस के महानिदेशक उपेंद्र कुमार सिंह ने 4-5 अगस्त को डीआरडीई के वैज्ञानिकों के साथ बैठक की।
बैठक में नई लैब के निर्माण व अनुसंधान उपकरण के संबंध में चर्चा की। लैब की थ्री लेयर सुरक्षा कवच निर्माण के संबंध में वैज्ञानिकों व निर्माण प्रक्रिया देख रहे अधिकारियों से बात की है। बीएसएल-4 लैब देश की पहली आधुनिक बायोलॉजिकल सेफ्टी लैब होगी। यह लैब अमेरिका, रूस एवं चीन के समकक्ष होगी। ऐसी आधुनिक सुविधाओं वाली लैब अभी भारत में कोई नहीं है। अभी देश में पुणे स्थित बायोलॉजिकल लैब ही सबसे आधुनिक है लेकिन इस लैब में उपकरण काफी पुराने हैं। ग्वालियर की नई लैब में अत्याधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे। लैब को थ्री लेयर सिक्युरिटी में बनाया जाएगा। इस लैब में विशेष अनुसंधान करने वाले वैज्ञानिक एक विशेष सुरक्षित सूट पहन कर ही प्रवेश कर सकेंगे। इस लैब में हवा व प्रकाश का भी प्रवेश नहीं होगा। लैब के अंदर हवा फिल्टर होकर ही प्रवेश करेगी और लैब से बाहर भी हवा फिल्टर होकर ही निकलेगी। लैब में इमरजेंसी एग्जिट भी रहेगा। इस आधुनिक लैब में सभी तरह के बैक्टीरिया एवं वायरस पर रिसर्च तत्परता एवं सुरक्षा से किया जा सकेगा।
जापान की कंपनियां मिलकर करेंगी काम
जापान, भारत के साथ बायो डाइजेस्टर तकनीकी पर काम करने का इच्छुक डीआरडीई बायो डाईजेस्टर तकनीकी के लिए जापान की कंपनियों ने भारत के साथ मिलकर अनुसंधान करने के लिए हाथ बढ़ाया है। जापान में भी यह तकनीकी है लेकिन वह अधिक महंगी हैं और डीआरडीई की बायो डाइजेस्टर की तरह सफल भी नहीं है। इसी कारण जापान की कुछ कंपनियां डीआरडीई के साथ मिलकर बायो डाइजेस्टर तकनीकी का विकास करना चाहती हैं। इस पर अभी दोनों देशों के बीच विचार चल रहा है। नई लैब की सुरक्षा के लिए 140 एकड़ के परिसर में लगभग 500 मीटर की दूरी पर एक वॉच टावर निर्माण किया जाएगा। लगभग 100 वॉच टावर परिसर के चारों ओर बनाए जाएंगे। इन टावरों पर सशस्त्र बल के जवान आधुनिक हथियारों के साथ लैब की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाएंगे। सेना की छावनी जैसा नजारा होगा। डीआरडीई के निदेशक डॉ. एमएम परीडा ने बताया कि स्वतंत्रता के 75 वें अमृत उत्सव में देश को जैव एवं रासायनिक सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। डीआरडीई की नई लैब इस दिशा में काम करेगी।