
- तमाम प्रयासों के बाद भी नहीं मिट रहे हैं मतभेद
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अब लोकसभा चुनाव होने में चंद दिन ही रह गए हैं , ऐसे में भाजपा के दो बड़े नेताओं के बीच जारी राजनैतिक अदावत पार्टी के लिए मुश्किल बनी हुई है। यह नेता हैं, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद केपी यादव। इसकी वजह से अब भी गुना सीट को लेकर पेंंच नहीं सुलझ पा रहा है। हालांकि पार्टी चाहती है कि सिंधिया ग्वालियर से चुनाव लड़ें, जिससे विवाद की स्थिति शांत हो सके। लेकिन इसमें भी एक पेंच संघ की पंसद को लेकर फंसा हुआ है। इस सीट पर संघ अपनी पसंद का उम्मीदवार चाहती है। अगर सिंधिया को ग्वालियर से प्रत्याशी बनाया जाता है तो भी पार्टी को भितरघात का डर सता रहा है। यही वजह है कि इस सीट को लेकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक लगातार मंथन किया जा रहा है। दरअसल बीते चुनाव में सिंधिया से तकरार के बाद केपी यादव भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा ने केपी को लोकसभा प्रत्याशी बनाया था, जिसकी वजह से सिंधिया को हार का सामना करना पड़ गया था। अब सिंधिया भाजपा में आ चुके हैं और वे एक बार फिर से अपनी पारिवारिक सीट गुना से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। गुना सीट पर केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी पैनल में गया है। सिंधिया के सामने मौजूदा सांसद केपी यादव ने भी जोर-शोर से दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन उनके नाम पर मुहर लगेगी या नहीं इसको लेकर स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है। हालांकि केपी यादव का कहना है कि बीजेपी कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। यदि पांच वर्षों में मैंने अच्छा कार्य किया है तो पार्टी मुझ पर विश्वास जताएगी, नहीं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर पार्टी सहमति देगी। फिलहाल यह संगठन ही तय करेगा कि किसे टिकट देना है। जनता ने 2019 में मुझे आशीर्वाद दिया था, जिसकी वजह से सिंधिया जैसे बड़े नेता को चुनाव हराकर लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर में पहुंचाया था।
दोनों नेताओं के बीच नहीं बैठ रही पटरी
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सिंधिया और केपी यादव के बीच राजनीतिक नूराकुश्ती जारी है। यह पहली बार नहीं है कि जब सिंधिया और केपी यादव के बीच रस्साकशी देखने को मिली हो। पिछले 5 साल में केपी यादव तमाम दफे शिकायतें दर्ज करा चुके कि केंद्रीय मंत्री के कार्यक्रमों में उन्हें तवज्जो नहीं दी जाती जबकि, वह क्षेत्र के मौजूदा सांसद हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते थे कि पासपोर्ट केंद्र का लोकार्पण उनके द्वारा किया जाए, लेकिन सांसद केपी यादव ने नारियल फोडक़र अचानक पासपोर्ट केंद्र का शुभारंभ कर दिया। इसको लेकर सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री महेंद्र सिसोदिया ने अपनी ही पार्टी के सांसद केपी यादव पर निशाना साधा और कहा, किसी केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन अनाधिकृत तरीके से करना अक्लमंदी का काम नहीं है। बीते पांच साल में बीजेपी सांसद केपी यादव और कांग्रेस छोडक़र बीजेपी का दामन थामने वाले सिंधिया समर्थकों के बीच मन-मुटाव और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी की खबरें आती रहती हैं। बीते साल ही सांसद केपी यादव ने सूबे की शिवराज सरकार में मंत्री रहे सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसोदिया को मूर्ख बता दिया था। मंत्री की ओर से लोकसभा चुनाव में सिंधिया की हार पर माफी मांगने को लेकर सांसद ने यह बात कही थी। गुना सांसद ने कहा, कार्यकर्ताओं को लगने लगा है कि 2020 में पार्टी से गलती हुई है, जो ऐसे लोगों को बिना सोचे-समझे भाजपा में ले लिया, जिन्हें (सिंधिया समर्थक) भाजपा की रीति-नीति के बारे में जानकारी नहीं है, ऐसे लोगों को भाजपा में लेना, शायद हमारी गलती थी। बता दें कि साल 2020 में कमलनाथ सरकार को गिराकर बीजेपी ने सरकार बना ली थी। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका रही। बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की पसंद को तरजीह देते हुए गुना जिले की राघोगढ़ विधानसभा सीट से हीरेंद्र सिंह को टिकट दिया था। खास बात यह है कि बीजेपी प्रत्याशी राघोगढ़ सीट से दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह के सामने चुनाव हार गए। इसको लेकर अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा ने सिंधिया समर्थकों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र भी लिखा था। गौर करने वाली बात है कि अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बीजेपी सांसद केपी यादव हैं।
पहली बार हारा था महल
गौरतलब है कि केपी यादव भी कांग्रेस छोडक़र बीजेपी में आए थे और सिंधिया को बड़े अंतर से चुनाव हराकर इतिहास रच दिया था। विदित हो कि 2014 का चुनाव 1 लाख 20 हजार 792 वोटों से जीतने वाले कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 में भाजपा प्रत्याशी डॉ. केपी यादव ने 1 लाख 25 हजार 549 वोटों से हरा दिया था। 14 बार लगातार अजेय रहने वाले सिंधिया राजपरिवार के किसी प्रत्याशी की गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र में यह पहली हार थी। हैरानी की बात यह थी कि बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले केपी यादव पहले कांग्रेस में ही थे और सिंधिया के खास लोगों में शुमार थे।
चुनाव के आंकड़े
तीन जिलों शिवपुरी, गुना और अशोकनगर के इस संसदीय क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार डॉ. केपी यादव को कुल 6 लाख 14 हजार 049 यानी 52.11 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि उनके मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी सिंधिया को 4 लाख 88 हजार 500 यानी 41.45 प्रतिशत मत हासिल हुए थे, संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों पर यादव वोटों की संख्या करीब 3.50 लाख से ज्यादा है। करीब 1.50 लाख यादव वोटर्स सिर्फ गुना जिले में ही हैं।