250 लाख करोड़ होगी जीएसडीपी

जीएसडीपी
  • विकसित मप्र 2047 पर मोहन राज का फोकस

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 2047 तक मप्र को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। इसके लिए मोहन सरकार संगठित नीति और योजना बनाकर काम कर रही है। सरकार वर्ष 2047 तक प्रदेश का समेकित विकास करते हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को 15.03 लाख करोड़ से बढ़ाकर 250 लाख करोड़ (2 ट्रिलियन डॉलर) करने का लक्ष्य रखा है।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र तेजी से औद्योगिकीकरण और विकास की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार का फोकस केवल आर्थिक वृद्धि पर ही नहीं, बल्कि रोजगार सृजन, आधारभूत संरचना निर्माण और सामाजिक न्याय पर भी है। इसी दिशा में सरकार ने मप्र के सर्वांगीण विकास के लिए बजट को अगले 5 वर्ष में दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। इससे हर क्षेत्र में निवेश और जनकल्याणकारी योजनाओं को गति मिलेगी। साथ ही बढ़ते बजट प्रावधान में विभागों के बजट पर अनुशासन लगाने की महत्वपूर्ण पहल भी की जा रही है। इसी कड़ी में अब राज्य सरकार ने वित्तीय अनुशासन और दीर्घकालिक विकास की ठोस रणनीति तैयार करते हुए शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है। उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि यह पहल विकसित मप्र 2047 की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में ठोस आधार बनेगी और देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक आदर्श साबित होगी। देवड़ा ने कहा शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट से न केवल प्रदेश की योजनाओं का ठोस मूल्यांकन होगा, बल्कि प्रत्येक खर्च का सीधा संबंध समाज की आवश्यकताओं और राज्य की प्राथमिकताओं से जोड़ा जा सकेगा। यह कदम मप्र को विकसित भारत और विकसित मप्र 2047 की दिशा में सबसे मजबूत आधार प्रदान करेगा। अब तक अधिकांश राज्यों में पारंपरिक बजटिंग पद्धति लागू होती रही है, जिसमें पिछले वर्षों का व्यय आधार बनते थे। इसके विपरीत जीरो बेस्ड बजटिंग में हर योजना को शून्य से शुरू कर उसकी उपयोगिता सिद्ध करनी होगी। इससे अप्रभावी योजनाएं स्वत: समाप्त होंगी और संसाधनों का इष्टतम उपयोग संभव होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने इस प्रणाली को अपनाया है, जहां इससे गुड गवर्नेंस और फाइनेंशियल डिसिप्लिन को मजबूती मिली है। अब मप्र इस दिशा में भारत में अग्रणी राज्य बनकर अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल पेश कर रहा है। रोलिंग बजट पद्धति से 2026-27, 2027-28 और 2028-29 के लिए बजट बनेगा और हर वर्ष इसकी समीक्षा कर नए अनुमानों को जोड़ा जाएगा। इससे योजनाएं हमेशा आगे की ओर देखने वाली होगी और अल्पकालिक दबाव से मुक्त होकर दीर्घकालिक विकास को गति मिलेगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मॉडल कॉर्पोरेट जगत में पहले से सफल साबित हो चुका है, और राज्य शासन में इसे लागू करना नीतिगत दूरदर्शिता का प्रतीक है। वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 23 प्रतिशत बजट सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही वेतन, पेंशन, भत्तों की गणना में पारदर्शिता हेतु नई गाइडलाइन लागू होंगी। संविदाकर्मियों के वेतन में 4 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि और महंगाई भत्ते के लिए क्रमश: 74 प्रतिशत, 84 प्रतिशत और 94 प्रतिशत की दरों को आधार माना जाएगा। केंद्र सरकार से सीधे मिलने वाले फंड को भी राज्य बजट प्रस्तावों में शामिल किया जाएगा। बजट प्रबंधन में पारदर्शिता और लक्ष्यबद्धता के लिए ऑफ-बजट व्यय और नई योजनाओं का वित्तीय असर भी बजट में साफ-साफ दिखाना होगा। इसके अतिरिक्त ऑफ-बजट व्यय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं के वित्तीय प्रभाव को भी अब राज्य बजट में समाविष्ट किया जाएगा। यह व्यवस्था वित्तीय अनुशासन के साथ जनहित में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी। देश के अन्य राज्यों में अभी भी पारंपरिक बजटिंग पद्धति पर निर्भरता बनी हुई है। मप्र का यह निर्णय वित्तीय सुधारों की दिशा में गेम-चेंजर माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो आने वाले वर्षों में केंद्र और अन्य राज्य भी इस पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।

बदलेगा मप्र का परिदृश्य
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आने वाले वर्षों के लिए राज्य को विकसित मप्र 2047 की दृष्टि से तैयार करने का जो संकल्प लिया है, वो देश के अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय है। इस संकल्प का आधार है-शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट। प्रदेश में यह पहल न केवल वित्तीय अनुशासन लाने वाली है, बल्कि यह सुनिश्चित करने वाली भी है कि हर खर्च सीधे तौर पर जनता की आवश्यकताओं और राज्य की प्राथमिकताओं से जुड़ा हो। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह लक्ष्य रखा है कि अगले पांच वर्षों में प्रदेश का बजट दोगुना कर दिया जाएगा। यह कोई साधारण घोषणा नहीं है क्योंकि इसके पीछे ठोस रणनीति है। उनका मानना है कि बजट केवल कागजों पर बने आंकड़े न हों, बल्कि उसका शत-प्रतिशत व्यावहारिक उपयोग हो-इसके लिए नई पद्धति अपनाई जा रही है। पारंपरिक बजटिंग में पिछले वर्षों के खर्च को आधार बना कर नया बजट बनाया जाता है। इसमें कई बार पुरानी योजनाएं बिना मूल्यांकन के ही जारी रहती हैं। लेकिन शून्य आधारित बजटिंग में हर योजना को शून्य से शुरू किया जाएगा। इसमें प्रत्येक योजना को यह सिद्ध करना होगा कि वह वर्तमान समय में कितनी उपयोगी है। जिन योजनाओं का कोई असर नहीं है वे स्वत: समाप्त हो जाएंगी। समान प्रकृति की योजनाओं को मिलाकर संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने इस पद्धति को अपनाकर वित्तीय अनुशासन और गुड गवर्नेंस को मजबूती दी है। मप्र अब भारत में इस दिशा में अग्रणी राज्य बनकर सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दिशा निर्देश पर मप्र सरकार अब पहली बार तीन साल का रोलिंग बजट तैयार कर रही है। वर्ष 2026-27, 2027-28 और 2028-29 के लिए अग्रिम बजट बनेगा। हर वर्ष इसकी समीक्षा होगी और इसमें अगले साल का अनुमान जोड़ा जाएगा। इससे योजनाएं दीर्घकालिक दृष्टि से तैयार होंगी। डॉ. मोहन सरकार में अपनाई जाने वाली यह प्रणाली कॉर्पोरेट जगत में पहले से ही सफल मानी जाती रही है। इसे एक दूरदर्शिता पूर्ण पहल माना जा रही है। विकसित मप्र 2047 एक दूरदर्शी पहल है। राज्य सरकार के इस पहल का असर प्रदेश के भविष्य पर भी पडऩे वाला है। विकसित मप्र 2047 की परिकल्पना साकार होने के परिणाम स्वरूप प्रदेश में औद्योगिकीकरण को गति मिलेगी। राज्य में रोजगार सृजन होगा।आधारभूत संरचनाओं का विस्तार होगा। राज्य का सामाजिक न्याय और समावेशी विकास होगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह प्रयास है कि प्रदेश न केवल आर्थिक वृद्धि करे बल्कि यहां का हर नागरिक विकास की मुख्यधारा से जुड़े। मोहन युग की यह पहल आने वाले वर्षों में मप्र को विकसित भारत की परिकल्पना का अग्रणी राज्य बनाएगी। शून्य आधारित बजटिंग और त्रिवर्षीय रोलिंग बजट का यह मॉडल न केवल वित्तीय अनुशासन लाएगा, बल्कि विकसित मप्र 2047 की मजबूत नींव भी रखेगा। शून्य आधारित बजटिंग और रोलिंग बजट केवल तकनीकी बदलाव नहीं हैं बल्कि यह सरकार की उस नीयत को दर्शाती है जो हर योजना का मूल्यांकन और जनता की प्राथमिकताओं पर जोर देती है।

प्रति व्यक्ति आय 22 लाख का लक्ष्य
गौरतलब है कि प्रदेश में समेकित विकास के लिए सरकार ने विकसित मप्र 2047 दृष्टिपत्र तैयार करवाया है। वर्ष 2047 तक प्रदेश का समेकित विकास करते हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) को 15.03 लाख करोड़ से बढ़ाकर 250 लाख करोड़ (2 ट्रिलियन डॉलर) करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय को एक लाख 60 हजार रूपये से बढ़ाकर 22 लाख रूपये करने का भी लक्ष्य रखा गया है। दृष्टि पत्र में वर्ष 2047 में एक समृद्ध मप्र की परिकल्पना की गयी है जो कि सभी के सामूहिक प्रयासों से संपन्न, सुखद और सांस्कृतिक मप्र की नींव पर निर्मित होगा। इस प्रकार वर्ष 2047 का मप्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रेरणा मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबके प्रयास के अनुसरण से निर्मित होगा। मप्र को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाने एवं प्रदेश के समग्र सामाजिक आर्थिक विकास के उद्देश्य से हितधारक परामर्श एवं जन सहयोग से विकसित मप्र 2047 दृष्टि पत्र को तैयार किया गया है। मप्र 2047 दृष्टिपत्र अनुसार वर्तमान में राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। सकल घरेलू उत्पाद में कृषि 43 प्रतिशत, सेवाएं 36 और उद्योग 21 प्रतिशत योगदान देते हैं। वर्ष 2047 तक उद्योगों और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देकर, रोजगार के अवसर सृजित कर अर्थव्यवस्था को संतुलित करते हुए जीडीपी में कृषि का योगदान 24-28 प्रतिशत, उद्योग का योगदान 21-25 प्रतिशत और सेवाओं का योगदान 49-53 प्रतिशत तक लाने का प्रयास किया जायेगा। सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए प्रति व्यक्ति औसत आयु को 67.4 वर्ष से बढ़ाकर वर्ष 2047 तक 84 वर्ष से अधिक करने का लक्ष्य रखा गया। साथ ही साक्षरता दर को 75.2 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2047 तक 100 प्रतिशत करने का प्रयास किया जाएगा। ऊर्जा के क्षेत्र में कुल ऊर्जा स्त्रोत में नवकरणीय ऊर्जा का प्रतिशत 22.5 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत से अधिक किया जाएगा। गौरतलब है कि देश के 75 वें स्वतंत्रता दिवस भाषण में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने का प्रयास किये जाने का आह्वान किया गया था। इसे साकार करने के लिए विकसित मप्र 2047 दृष्टि पत्र बनाने का निर्णय लिया गया था। विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने में मप्र के योगदान को सुनिश्चित करने, मप्र संकल्प पत्र-2023 के लक्ष्यों की पूर्ति करने एवं राज्य के समग्र विकास को दिशा देने के लिए विकसित मप्र 2047 दृष्टिपत्र तैयार किया गया। विकसित मप्र 2047 विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने में अप्रैल 2024 में नीति आयोग, भारत सरकार से प्रारम्भिक चर्चा की गयी। माह मई से सितम्बर 2024 के मध्य अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव/ सचिव स्तर के 8 थीमेटिक समूहों में व्यापक परिचर्चा के बाद विकसित भारत 2047 के लिए मप्र के सुझाव और अभिमत नीति आयोग को प्रेषित किए गए। नवंबर 2024 में सीईओ नीति आयोग एवं मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भोपाल में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में लिए गए निर्णय अनुसार और नीति आयोग के मार्गदर्शन में राज्य स्तर पर व्यापक विचार-विमर्श प्रक्रिया प्रारंभ की गई। इसमें जनप्रतिनिधियों के सुझाव, विषय विशेषज्ञों के साथ चर्चा, जिलों में जनसंवाद कार्यक्रम, निबंध प्रतियोगिता, नागरिक सर्वेक्षण, उद्योग संगठनों के साथ चर्चा, शिक्षाविदों के साथ चर्चा और फील्ड विजिट शामिल रही। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार समिति गठित की गई, जिसके मार्गदर्शन में 8 थीमैटिक ग्रुप्स का गठन किया गया। 8 थीमैटिक गुप्स में उद्योग, कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्र तथा वनोत्पाद, सेवाएं, अधोसंरचना एवं नगरीय विकास, शिक्षा, स्वास्थय, सुशासन एवं नागरिक सेवाएं प्रदाय और वित्तीय नियोजन एवं संवर्धन को शामिल किया गया। प्रत्येक ग्रुप द्वारा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की सहभागिता और अन्य हितधारकों के सुझावों का समावेशन सुनिश्चित करते हुए दृष्टि पत्र तैयार किया गया है।

मप्र का नया विजन-फार्म टू फैशन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मप्र अब देश का सबसे बड़ा पीएम मित्रा (मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल) पार्क स्थापित करने जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की 5 एफ रणनीति – फार्म टू फाइबर टू फैक्ट्री टू फैशन टू फॉरेन को मूर्त रूप देने वाला यह पार्क न केवल प्रदेश बल्कि पूरे भारत के टेक्सटाइल सेक्टर की औद्योगिक तस्वीर बदलने वाला साबित होगा। इसी सिलसिले में 3 सितम्बर को नई दिल्ली में इंटरएक्टिव सेशन ऑन इन्वेस्टमेंट अपॉच्र्युनिटीज इन पीएम मित्रा पार्क का आयोजन हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पीएम मित्रा पार्क मप्र को फार्म टू फैशन की पूरी वैल्यू चेन में अग्रणी बनाएगा। यह पार्क न केवल रोजगार और निवेश का केंद्र बनेगा, बल्कि मेड इन एम- वियर एक्रॉस द वल्र्ड के विजन को भी साकार करेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि आज दिल्ली में हुए इंटरैक्टिव सेशन में शामिल उद्योगपतियों ने मप्र में टेक्सटाइल सेक्टर में निवेश की रूचि दिखाई है। इससे 15 बड़ी कंपनियों से 12,508 करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए है। इनमें लगभग 18 हजार से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है। निवेश करने वाली कंपनियों में ट्राइडेंट ने 4500 करोड़ रूपये, ए.बी. कॉटस्पिन इंडस्ट्री ने 1300 करोड़ रूपये, अरविंद मिल्स ने 1024 करोड़ रूपये, सनातन टेक्सटाइल्स ने 1000 करोड़ रूपये, बीएसएल सदस्यों ने 1000 करोड़ रूपये, बेस्ट कॉर्पोरेशन तिरूपुर ने 832 करोड़ रूपये, शर्माजी यार्न प्रा. लि. ने 800 करोड़ रूपये, आरएसवीएम (एलएनजे भीलवाड़ा) ने 700 करोड़ रूपये, आर. आर. जैन इंडस्ट्रीज ने 550 करोड़ रूपये, फेबयान टेक्सटाइल प्रा. लि. ने 308 करोड़ रूपये, वंश टेक्नोफैब प्रा. लि. ने 237 करोड़ रूपये, मोहिनी एक्टिव लाइफ प्रा. लि. ने 141 करोड़ रूपये, अनीका टेक्सफैब ने 100 करोड़ रूपये, वेदांत कॉटन प्रा. लि और एनटीपी सॉल्यूशन्स प्रा. लि. ने 8-8 करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव दिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विशेष पहल पर देश का पहला पीएम-मित्रा पार्क धार जिले में स्थापित किया जा रहा है, जिसका भूमि-पूजन शीघ्र ही होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के 5एफ विजन फार्म टू फाइबर, फाइबर टू फैक्ट्री, फैक्ट्री टू फैशन और फैशन टू फॉरेन को मप्र सरकार ने एक मिशन के रूप में अपनाया है। हमारा उद्देश्य है कि स्वदेशी कपड़े की गुणवत्ता को वल्र्ड क्लास का बनाकर इन्हें वैश्विक बाजारों तक पहुंचाया जाए। इसके लिए सम्पूर्ण वैल्यू चेन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी हर स्तर पर किसान, बाजार और परंपराओं को गति प्रदान करने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में टेक्सटाइल सेक्टर को नया विजन और नई दिशा मिल रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारत प्राचीनकाल से कपड़ा उद्योग, मसाला व्यापार और स्वर्ण आभूषण के मामले में दुनिया में अग्रणी रहा। तकनीक के अभाव में किसी समय व्यापार के माध्यम से हमारी क्षमता को प्रभावित करने का कुत्सित प्रयास किया गया। केंद्र सरकार कठिन समय में सभी उद्योगपतियों के साथ है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आयात शुल्क में छूट मिलना उद्योगों को पुनस्र्थापित करने के लिए एक प्रकार की मदद है, सरकार उनके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मप्र कपास उत्पादन में देश में 7वें स्थान पर है। पहले स्थान पर चल रहे गुजरात और मप्र के बीच टेक्सटाइल सेक्टर का पीएम-मित्रा पार्क बनाया जा रहा है, जिसके संचालन के लिए मप्र में कच्चे माल की उपलब्धता से लेकर अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि मप्र सम्राट विक्रमादित्य के न्याय से पोषित धरती है। यहां हमेशा ही बेहतर कानून व्यवस्था की स्थापना रही है।

‘मॉडल स्टेट’ के रूप में उभरता मप्र
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि निवेश को लेकर पूरे देश में आज सिर्फ एक ही नाम गूंज रहा है, वह है मप्र। उन्होंने कहा कि निवेश के मामले में हमारा प्रदेश देश का मॉडल स्टेट बनकर उभरा है। प्राकृतिक सौंदर्य, विभिन्न प्रकार की वनस्पति और जलीय एवं वन्य जीवों की मौजूदगी से समृद्ध मप्र की पावन धरती पर सभी निवेशकों का हृदय से स्वागत है। उन्होंने निवेशकों को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार उनकी हर अपेक्षा पर खरी उतरेगी और उनके सपनों को साकार करने में सहयोगी बनेगी। इसके लिए हम सभी प्रबंध कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मप्र देश के केंद्र में स्थित है और निवेशकों के लिए अनेक अनुकूलताएं उपलब्ध कराता है। दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर मप्र से होकर गुजरता है। मप्र में 8 एयरपोर्ट हैं। विस्तृत रेल नेटवर्क हमारे राज्य को देश के सभी बड़े शहरों से जोड़ता है। उन्होंने निवेशकों से कहा कि आप मप्र में जहां भी उद्योग स्थापित करना चाहें, वहां भूमि, बिजली, पानी, एप्रोच रोड, नियर-टू-डोर कनेक्टिविटी, सस्ती श्रम दरें, कुशल श्रम शक्ति सहित अन्य सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि मप्र, देश का संभवत: ऐसा पहला राज्य है, जहां कभी औद्योगिक हड़ताल (इन्डस्ट्रियल अनरेस्ट) भी नहीं होतीं। उन्होंने निवेशकों से कहा कि आपके बिजनेस के विकास में सरकार हर घड़ी आपके साथ खड़ी है। आपको यहां समुचित रूप से बिजनेस करने की पूरी छूट, मिलेगी साथ ही गारंटी सहित निवेश प्रोत्साहन के लिए इन्सेंटिव (अनुदान) भी हमारी सरकार देगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि आज मप्र कई मामलों में देश में अव्वल है। प्रदेश को और आगे ले जाना है। हमारी सरकार खेती-किसानी, पशुपालन, खाद्य प्रसंस्करण और नए-नए उद्योग धंधों की स्थापना के जरिए प्रदेश के युवाओं को रोजगार दिलाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। हमारी सरकार सबके साथ और सहयोग से सबके विकास के लिए साझा प्रयासों एवं सबको पूरे विश्वास में लेकर विकास की दिशा में आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हम प्रदेश के किसानों की जिंदगी बेहतर बनाना चाहते हैं। इसीलिए कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन से दुग्ध उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, आधुनिक खेती के प्रोत्साहन और किसानों को सम्मान निधि देकर उनके जीवन में स्वावलंबन लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग रोजाना नए-नए उद्योग धंधों की स्थापना हो रही है। इससे हमारे युवाओं को रेाजगार भी मिलेगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि धार जिले में देश के पहले पीएम मित्रा पार्क का भूमिपूजन होना है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन सहित मेडिकल टूरिज्म के साथ फारेस्ट और वाइल्ड लाइफ टूरिज्म की ओर स्पेशल फोकस किया जा रहा हैं। प्रदेश के 13 प्रमुख तीर्थस्थानों में स्थायी प्रकार के निर्माण कार्यों एवं नियमित प्रबंधन कर इनका विकास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि श्रीमहाकाल लोक के निर्माण के बाद उज्जैन में तेजी से टूरिज्म बढ़ा है। वर्ष 2024 में करीब 7 करोड़ से अधिक श्रद्धालु उज्जैन आए। इसी से प्रेरणा लेकर हमारी सरकार अब प्रदेश के सभी पर्यटन स्थलों में पर्यटकों को हेलीकाप्टर के जरिए पहुंचाने का प्रबंध कर रही है। बहुत जल्द हम प्रदेश में इसकी शुरूआत करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मप्र देश का दिल है। मप्र की देश में केंद्रीय स्थिति का हम समुचित लाभ उठाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मप्र में भरपूर लैंड बैंक, सरप्लस बिजली और मजबूत अधोसंरचना है। मप्र निवेशकों के लिए अनुकूल है। प्रदेश में बड़ी मात्रा में निवेश लाने के लिए हमने कई अप्रासंगिक कानून बदले हैं। उद्योग लगाने के लिए शासकीय अनुमतियां भी कम से कम कर दी हैं। हम निवेशकों के हित में 18 नई औद्योगिक नीतियां भी लागू की गई हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में मजबूत कानून व्यवस्था हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। असामाजिक और गुंडा तत्वों के लिए प्रदेश में कोई स्थान नहीं है। कानून को अपने हाथ में लेने वाले ऐसे तत्वों का प्रदेश से सफाया कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम राज्य की बेहतरी के लिए नए फैसले लेने में पीछे नहीं हटेंगे। लोकलुभावन वादों की जगह हम जनहित के निर्णयों पर तेजी से आगे बढ़ेंगे।

तैयार होगा विधानसभावार रोडमैप
विकसित भारत विजन 2047 के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार विधायकों की समिति बनाएगी। केवल अधिकारियों की ही नहीं जनप्रतिनिधियों की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। विधायकों की यह समिति ही विधानसभावार रोडमैप तैयार कर उसे जमीनी स्तर पर लागू कराने का काम करेगी। प्रत्येक समिति में एक मंत्री को रखा जाएगा। मंत्री की जिम्मेदारी होगी कि वे दिए गए जिले में कामकाज की प्रगति पर नजर रखें और समय-समय पर शासन को इससे अवगत कराएं। इनके अलावा विभाग प्रमुख को भी समिति में रखा जाएगा। मप्र को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाने और प्रदेश के समग्र सामाजिक आर्थिक विकास के उद्देश्य से हितधारक परामर्श एवं जन सहयोग से विकसित मप्र 2047 दृष्टि पत्र को तैयार किया गया है। दृष्टि पत्र को धरातल पर वास्तविक रूप से साकार करने के लिए रोडमैप बनाया जाएगा। मप्र 2047 दृष्टिपत्र के क्रियान्वयन के लिए उच्च स्तरीय क्रियान्वयन समिति का गठन किया जाएगा। राज्य के सभी विभागों की योजनाओं, लक्ष्यों एवं कार्य बिंदुओं की डिजिटल ट्रैकिंग की जाएगी। साथ ही लाइव डैशबोर्ड भी बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अधिकारियों के साथ विधायकों के कामकाज की समीक्षा करेंगे। विधायकों की यह समिति पार्टी और संगठन के दिए गए लक्ष्यों को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में पूरा करने का काम करेगी। बता दें कि प्रदेश में 230 विधायक हैं, इनमें से 163 विधायक भाजपा के हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिछले दिनों सभी विधायकों से अपने-अपने क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए अगले साढ़े तीन वर्षों में किए जाने वाले विकास कार्यों का विजन डाक्यूमेंट बनाने को कहा था। सभी विधायकों को अपने अपने विधानसभा क्षेत्र के विजन डाक्यूमेंट को धरातल पर उतारकर विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार प्रदेश के सर्वांगीण विकास के साथ आत्मनिर्भर प्रदेश बनाने के लिए कार्य कर रही है। भाजपा सरकार द्वारा किए जा रहे विकास और कल्याणकारी कार्यों को जनता तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष 2047 तक मध्य प्रदेश को विकसित राज्य बनाने के उद्देश्य से विकसित मध्य प्रदेश 2047 विजन क्यूिमेंट तैयार किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि विजन डाक्यूमेंट मप्र के समग्र विकास का आधार होगा। मंत्री भी अपने-अपने विभागों में विजन डाक्यूमेंट की तैयारी की समीक्षा करेंगे। बता दें कि यह कार्य प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। इस विजन में उद्योग, कृषि, वन उत्पाद, सेवाएं, बुनियादी ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी सेवाओं पर फोकस होगा। सरकार इन सभी क्षेत्रों में सुधार के प्रयास करेगी। योजना को ठीक से लागू करने के लिए यह समिति कार्य करेगी। समिति सभी विभागों के कामों पर भी नजर रखेगी। इसके लिए एक डिजिटल सिस्टम भी बनाया गया है, जिससे सभी योजनाओं की जानकारी मिल सके। झुग्गी मुक्त शहर, हर परिवार को घर, जीएसडीपी को 250 लाख करोड़ और प्रति व्यक्ति आय. को 1.60 लाख से बढ़ाकर 22 लाख करने का लक्ष्य रखा है।

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