बढ़ती नाराजगी ने लगाया लैंड पूलिंग योजना पर ब्रेक

लैंड पूलिंग योजना

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल में लोगों में लगातार बढ़ रही नाराजगी की वजह से सरकार ने एक साल के अंदर ही लैंड पूलिंग योजना पर ब्रेक लगाना तय कर लिया है। इस योजना को बीते साल जून में ही लागू किया गया था। इस योजना के तहत औद्योगिक विकास के लिए निवेशकों को भूखंड उपलब्ध कराने किसानों से उनकी सहमति के आधार पर जमीन लेने का प्रावधान किया गया था। सरकार को एक साल के अंदर ही देवास जिले में इस योजना को निरस्त करना पड़ा है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक दिन पहले देवास जिले में लैंड पूलिंग योजना को निरस्त करने की घोषणा करते हुए कहा था कि संबंधित भूमि की खरीदी-बिक्री पुन: चालू हो जाएगी। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने किसानों के दबाव में जिले में योजना को निरस्त करने का निर्णय लिया है। किसान – योजना के अंतर्गत जमीन अधिग्रहण किए जाने का विरोध कर रहे थे। सरकार नहीं चाहती कि किसानों के विरोध की वजह से चुनाव में उसे नुकसान हो, इसलिए योजना को निरस्त कर दिया गया। पिछले साल 7 जून को कैबिनेट ने योजना को लागू करने की मंजूरी दी थी। दरअसल, सरकार ने देवास और हाटपिपलिया विधानसभा के करीब 32 गांव की सिंचित भूमि को मप्र औद्योगिक विकास निगम द्वारा भूमि अधिग्रहण किए जाने का निर्णय लिया था, जिसके विरोध में किसान खड़े हो गए थे। इस मामले में कांग्रेस भी किसानों के साथ खड़ी हो गई थी। किसानों ने भूमि अधिग्रहण के विरोध में कई बार धरना प्रदर्शन किया और स्थानीय अधिकारियों को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे। इसमें कहा गया था कि किसानों की सिंचित भूमि जिस पर वे खेती कर अपना जीवन-यापन करते हैं। सरकार द्वारा षड्यंत्र पूर्वक उनसे लैंड पूलिंग के माध्यम से ली जा रही है। हम अपनी भूमि किसी भी कीमत में सरकार को नहीं देगे। सरकार हमसे जोर-जबरदस्ती नहीं करें। भूमि अधिग्रहण को लेकर जारी की गई। अधिसूचना तत्काल निरस्त की जाए। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सीएम को पूरे घटनाक्रम से अवगत कराते हुए बताया था कि यदि किसानों की मर्जी के बगैर जमीन अधिग्रहीत की गई, तो चुनाव में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने लैंड पूलिंग योजना को निरस्त करने की घोषणा कर दी।
यह है लैंड पूलिंग योजना
शिवराज कैबिनेट में पिछले साल जून में लैंड पूलिंग योजना को मंजूरी दी गई थी। योजना में प्रावधान किया गया है कि औद्योगिक विकास के लिए भूमि का अधिग्रहण किसानों की सहमति से किया जाएगा। जब तक किसान सहमति नहीं देंगे, उनकी जमीन अधिग्रहीत नहीं की जाएगी। इसमें अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन के 20 प्रतिशत भूभाग की कलेक्टर दर से दोगुनी राशि संबंधित किसान को नकद दिए जाने का प्रावधान है। साथ ही कुल जमीन में से 40 प्रतिशत विकसित (आवासीय या वाणिज्यिक) भूमि किसानों को वापस दी जाती है। इस भूमि पर किसान प्लॉट बेच सकता है, उसे सामान रखने के लिए किराये पर दे सकता है या फिर होटल आदि का निर्माण कर सकता है, ताकि उसे विकसित भूमि से कमाई हो। इंदौर-पीथमपुर निवेश क्षेत्र में किसानों ने लैंड पूलिंग योजना के अंतर्गत जमीन के अधिग्रहण में खासी रुचि दिखाई थी। यहां किसानों कह सहमति से 500 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि का अधिग्रहण किया गया।

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