भोपाल सहित मप्र के कई शहरों में ग्रूमिंग रैकेट सक्रिय

ग्रूमिंग रैकेट सक्रिय
  • ब्रिटेन के ग्रूमिंग गैंग की तरह भारत में चल रहा कनवर्जन रैकेट

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।  ब्रिटेन के ग्रूमिंग गैंग की तरह भारत में कनवर्जन रैकेट चल रहा है। उत्तर प्रदेश में अभी कुछ दिन पहले जब छांगुर मौलाना के कन्वर्जन रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था, तब कई राज्यों की पीडि़त लड़कियां सामने आकर अपनी कहानी बयां कर चुकी थीं। लगा था कि जैसे इस खेल पर कुछ विराम लगेगा मगर साजिश अभी जिंदा है- और ज्यादा संगठित हो चुकी है। यह रैकेट मप्र की राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के कई शहरों में भी सक्रिय है।जानकारी के अनुसार, आगरा में दो बहनों के लापता होने के बाद पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ। इनमें से एक ने सोशल मीडिया पर एके 47 के साथ तस्वीर पोस्ट की, जिससे एजेंसियां सतर्क हुई। भारत में जबरन और छलपूर्वक कनवर्जन कराने वाले इस संगठित रैकेट के तार कई राज्यों के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, अमेरिका और कनाडा से जुड़े हैं। पुलिस और एटीएस की जांच में सामने आया है कि यह रैकेट बिल्कुल वैसी ही रणनीति अपना रहा है जैसी रणनीति ग्रूमिंग गैंग्स ने ब्रिटेन के रॉदरहैम, रोचडेल और ऑक्सफोर्ड जैसे शहरों में अपनाई थी। ग्रूमिंग का मतलब है किसी नाबालिग को भावनात्मक रूप से इस तरह से तैयार करना कि वह शोषण के लिए तैयार हो जाए और विरोध न करे। ब्रिटेन में विशेष रूप से यह कांड यॉर्कशायर, रॉदरहैम, मैनचेस्टर, न्यूकासल, ऑक्सफोर्ड और टेलफोर्ड जैसे शहरों में बड़े स्तर पर सामने आया। 1990 के दशक के आखिर से लेकर 2010 के दशक तक हजारों नाबालिग लड़कियों को निशाना बनाया गया। ब्रिटिश मीडिया रिपोर्टर्स और सरकारी जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 1,400 नाबालिग लड़कियों को केवल रॉदरहैम शहर में 1997 से 2013 के बीच शिकार बनाया गया। इनमें से अधिकतर पीडि़त सफेद ब्रिटिश समुदाय से थीं, जबकि ज्यादातर आरोपी पाकिस्तान मूल के मुस्लिम पुरुष थे।
भारत में भी वही साजिश, बस लक्ष्य हैं हिंदू युवतियां
भारत में भी यह पैटर्न स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मुस्लिम युवक हिंदू नाम से सोशल मीडिया पर प्रोफाइल बनाते हैं, प्रेमजाल में फंसाते हैं और फिर लडक़ी को परिवार से अलग-थलग करके कनवर्जन के लिए मजबूर करते हैं। कई बार उनकी शादी मुस्लिम रीति से कराई जाती है और वीडियो बनाकर उन्हें डराया जाता है। इस नेटवर्क के सदस्य डार्क वेब, इनक्रिप्टेड ऐप्स और कोडेड कम्युनिकेशन का प्रयोग करते हैं ताकि पकड़ से बच सकें। ब्रिटेन में नस्लीय भय के कारण कार्रवाई में देरी से हजारों लड़कियों की जिंदगी तबाह हो गई। भारत में ऐसा न हो, इसके लिए वक्त रहते चेतने की जरूरत है। मप्र समेत देश के सभी राज्यों में इस गिरोह के खिलाफ सख्त कार्रवाई, सामाजिक जागरूकता और डिजिटल सतर्कता समय की मांग है। फर्क इतना है कि भारत में इस आपराधिक मॉडल में धार्मिक रूपांतरण से जुड़ी गतिविधियों को भी जोड़ा गया है। भोपाल से लेकर आर्थिक राजधानी इंदौर से लेकर अब सतना और छोटी जगहों से भी लव जिहाद के मामले लगातार सामने आ रहे है। इसमें एक तथ्य तो साफ है की इसमें पैसे दिए जा रहे हे मुस्लिम लडक़ों को लड़कियों का धर्म परिवर्तन करने के लिए। भारत में आज संवेदनशीलता, धार्मिक सहिष्णुता और राजनीतिक तुष्टिकरण के नाम पर कई बार गंभीर अपराधों पर पदा डालने की प्रवृत्ति देखी जाती है। मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में कुछ संमठनों द्वारा नाबालिग लड़कियों को प्रेमजाल में फंसा कर कनवर्जन, यौन शोषण और मानव तस्करी जैसे गंभीर आरोप सामने आ चुके हैं। उज्जैन, इंदौर, रतलाम, खरगोन और सागर जैसे जिलों से ऐसी घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं। यदि समय रहते प्रशासन, मीडिया और समाज जागरूक न हुआ, तो ब्रिटेन जैसा संकट भारत के सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर कर सकता है।
इस तरह दिया जाता था अपराध को अंजाम
ग्रूमिंग में लड़कियों को पहले दोस्ती और प्रेम के जाल में फंसाया जाता था। फिर उन्हें शराब, ड्रग्स और गाडिय़ों में घुमाकर मानसिक रूप से नियंत्रित किया जाता था। इसके बाद इनका यौन शोषण किया जाता और वीडियो व फोटो के जरिए ब्लैकमेल किया जाता था। कई बार उन्हें दोस्तों के बीच शेयर्स किया जाता या यौन दासता में धकेल दिया जाता था। इस पूरे स्कैंडल का सबसे चौंकाने वाला पक्ष यह था कि स्थानीय पुलिस, सोशल वर्कर्स और काउंसिल अधिकारी इस अपराध से वाकिफ थे, लेकिन कार्रवाई से बचते रहे। मुख्य कारण था राजनीतिक रूप से इसका क्या असर पड़ेगा। प्रशासन को भय था कि अगर उन्होंने मुस्लिम समुदाय के युवकों पर कार्रवाई की तो उन्हें इस्लामोफोबिक कहा जाएगा। यही कारण रहा कि पीडि़तों की बातों को अनसुना किया गया और अपराधियों को वर्षों तक खुली छूट मिलती रही। समाज पर इसका असर यह पड़ा की कई लड़कियां आत्महत्या कर चुकी हैं, कई डिप्रेशन से जूझ रहीं हैं। ब्रिटिश समाज में मुस्लिम समुदाय और बहुसंख्यक समुदाय के बीच अविश्वास की खाई और गहरी हो गई है। इसको लेकर कई राजनीतिक दलों ने भी कड़ा रुख अपनाया।

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