
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहां साल दर साल भले ही वृक्षारोपड़ का रिकार्ड बनाया जाता रहा हो , लेकिन इसके बाद भी जंगल का दायरा बढ़ने की जगह कम होता जा रहा है। इससे सरकार से लेकर शासन तका की कार्यप्रणाली और उसके अफसरों की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं। दरअसल जिस महकमे पर जंगल बचाने का जिम्मा है, उसके अफसर इस मामले में बेहद नकारा साबित हो रहे हैं। यही वजह है कि प्रदेश में बीते चार सालों में 23 करोड़ 77 लाख 17 हजार 281 पौधे रोपे जाने के बाद भी मध्यम घने और घने जंगल में हरियाली कम होती जा रही है। यह खुलासा किया है भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान ने संस्थान की जारी रिपोर्ट में । इसमें बताया गया है कि मध्यप्रदेश में 132 वर्ग किमी मध्यम घना व दो वर्ग किलोमीटर घना जंगल कम हुआ है। इसके बाद भी इसके लिए जिम्मेदार अपनी पीठ थपथपा कर खुद में ही खुश हो रहे हैं। इस खुशी की वजह है रिपोर्ट में खुले जंगल का दायरा 11 वर्ग किलो मीटर बढ़ा हुआ बताया जाना।
इस क्षेत्र में अनुभव रखने वाले कहते हैं कि यह पीठ थपथपाने की बात नहीं है। बल्कि चिंता होनी चाहिए, क्योंकि लकड़ी चोरों ने घने और मध्यम घने जंगलों में सेंध लगा रखी है। इस मामले में सेवानिवृत्त वन अफसरों का कहना है कि जंगल को बचाने के लिए सरकार के पास न तो कोई ठोस नीति है और न ही इस मामले में वह गंभीर दिखाई देती है। प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जरुर इस मामले में बेहद गंभीरता दिखा रहे हैं। वे लोगों को इस मामले में जागरुक करने के लिए जरुर हर दिन सुबह एक पेड़ लगा रहे हैं, लेकिन सरकार व शासन में बैठे लोग इस मामले में पूरी तरह से बेरुखी दिखा रहे हैं। शिवराज के प्रसासों का असर जरुर आमजन में दिखना शुरू हुआ है , लेकिन इसके बाद भी लकड़ी चोरी और वृक्षों की कटाई पर लगाम लगाने में जिम्मेदार विभाग नाकाम साबित हो रहा है। इसकी वजह से लगतार हरियाली कम हो रही है।