तीन राज्यों को जोड़ेगी ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे

  • परियोजना के लिए 100 गांवों की जमीन का होगा अधिग्रहण
  • गौरव चौहान
 ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे

म्यूजिक सिटी ग्वालियर से ताज नगरी आगरा जाने वालों का सफर जल्द ही आसान होगा। यह होगा ग्वालियर-आगरा सिक्स लेन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे बनने से। इसके लिए तैयारी आरंभ हो गई है। इसके बनने से सडक़ मार्ग से ग्वालियर से आगरा 90 मिनट में पहुंच सकेंगे, जबकि अभी तीन घंटे का समय लगता है। इससे डेढ़ घंटे का समय बचेगा। यह एक्सप्रेस-वे उत्तरप्रदेश, राजस्थान और मप्र के चार जिलों से होकर गुजरेगा। इसमें 100 गांव की भूमि आ रही है। इस एक्सप्रेस-वे पर एकसाथ 31435 वाहन गुजर सकेंगे। एनएचएआई द्वारा 88.400 किलोमीटर में बनाए जा रहे ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 4612.65 करोड़ रुपए लागत आएगी। इसके लिए उदयपुर की जीआर इंफ्रा कंपनी को कार्य दिया गया है। कंपनी अक्टूबर- 2025 में इसका निर्माण आरंभ करेगी और उसे 30 महीने में इसे पूरा करना होगा। 2028 में यह बनकर तैयार हो जाएगा।
आगरा से ग्वालियर एक्सप्रेस बनने से यूपी, राजस्थान और मप्र के बीच संपर्क बढऩे से आगरा, धौलपुर, मुरैना और ग्वालियर में आईटी इंडस्ट्री, लॉजिस्टिक हब, ई-कॉमर्स, रियल एस्टेट और टूरिज्म जैसे सेक्टर को लाभ मिलेगा। चारों जिलों के बीच बस यातायात भी सुगम होगा। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों को भी रियल एस्टेट का लाभ मिलेगा। इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए एनएचएआई द्वारा सरकारी एजेंसियों से सभी अनुमतियां प्राप्त कर ली गई हैं। रेलवे, पर्यावरण, प्रदूषण नियंत्रण, वन विभाग और तीनों राज्यों के राजस्व विभाग से अनुमतियां प्राप्त होने के बाद कार्य में तेजी आई है। अब सिर्फ निजी भूमि के अधिग्रहण के लिए प्रक्रिया बाकी रह गई है। चूंकि एनएचएआइ को अब राशि स्वीकृत हो चुकी है, ऐसे में अब मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
एनएचएआई उपलब्ध कराएगी जमीन
 इस परियोजना में ग्वालियर से राजस्थान के बीच 88.400 किमी. सडक़ मिक्सलेन होगी।  एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए दोतरफा तैयारियां चल रही हैं, क्योंकि कंपनी को अब छह माह के अंदर निर्माण कार्य के लिए राशि की व्यवस्था करनी है, तो वहीं एनएचएआई को जमीन उपलब्ध करानी है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत कंपनी को वर्तमान ग्वालियर-आगरा फोरलेन हाईवे की मरम्मत को प्राथमिकता से करना होगा। कंपनी को इस पूरे हाईवे का पुनरुद्धार करना है, ताकि जिन वाहनों को ग्वालियर से सीधे आगरा जाना है, वह एक्सप्रेस-वे का सहारा लें। वहीं जिन वाहनों को  मुरैना, धौलपुर की ओर जाना है, वे वर्तमान फोरलेन का सहारा ले सकें। कंपनी को वर्तमान हाईवे की मरम्मत के लिए सिर्फ एक साल का समय दिया जाएगा, यानी नवंबर 2026 तक कंपनी को इसकी मरम्मत का काम परा करना होगा। एनएचएआई के मैनेजर प्रशांत मीणा का कहना है कि ग्वालियर-आगरा सिक्सलेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके लिए लगभग 220 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हो गई है। जल्द ही मुआवजा वितरण शुरू किया जाएगा।
मुआवजा वितरण के लिए 220 करोड़ स्वीकृत
ग्वालियर से आगरा के  बीच  प्रस्तावित 88.400 किमी. लंबे ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए जीआर इंफ्रा से अनुबंध होने के बाद अब नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) को निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध करानी है। अधिग्रहण के काम में तेजी लाने, मुआवजा वितरण करने के लिए 220 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी मिल गई है। इस परियोजना के लिए उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के 14 गांव, राजस्थान के धौलपुर के 30 गांव, मध्य प्रदेश के मुरैना और ग्वालियर सहित कुल 100 गांवों में भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। इसके बाद नवंबर माह से ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे का निर्माण कार्य शरू कर दिया जाएगा। हालांकि  मुआवजा वितरण में किसानों की ओर से आपत्तियां लगाई गई हैं, लेकिन एनएचएआई के अधिकारी इनका भी निराकरण करने का दावा कर रहे हैं।
ये शहर-गांव आएंगे रास्ते में
ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के रास्ते में मप्र के ग्वालियर और मुरैना आएंगे। ग्वालियर के सिर्फ एक गांव सुसैरा की 5 हेक्टेयर भूमि इसमें आएगी। मुरैना के दिमनी, चंबल क्रॉस व मुरैना रोड सहित 25 गांव की 250 हेक्टेयर भूमि आएगी। वहीं उत्तरप्रदेश के आगरा के देवरी आगरा बायपास, इरादत नगर, श्मशाबाद व सोसा सहित 18 गांव की 132 हेक्टेयर भूमि इसमें आएगी। राजस्थान के धौलपुर के राधा खेड़ा, मछरिया सहित 23 गांव की 162 हेक्टेयर भूमि इसमें आएगी। ग्वालियर- आगरा सिक्स लेन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे की लंबाई 88.400 किलोमीटर है। इस प्रोजेक्ट में आठ बड़े पुल, 23 छोटे पुल, छह फ्लाई ओवर, पांच एलिवेटेड वायडक्ट, एक रेल ओवर ब्रिज और 42 अंडर पास बनाए जाएंगे। यहां एक साथ 31435 वाहन गुजर सकेंगे। एक्सप्रेस-वे की विशेषता यह रहेगी कि इस पर वाहन 100 किलोमीटर से अधिक की रफ्तार से चल सकेंगे। जीपीएस आधारित सिस्टम से उतना ही टोल देना होगा जितना सफर किया होगा। आईटीएमएस लागू होगा। बेहतर सुरक्षा व्यवस्था के लिए पूरा एक्सप्रेस-वे सीसीटीवी की निगरानी में होगा। वाहन रुकने पर या हादसा होने पर कंट्रोल रूम से तुरंत एम्बुलेंस पहुंचेगी। फायर फाइटर और क्रेन तक सूचना पहुंचेगी। पर्यावरण और वन संचरण के लिए सुरंग और वाया डक्ट बनेंगे। सडक़ पर कहीं भी घाट नहीं पड़ेंगे और सभी पहाड़ी इलाकों को री-अलाइन कर दिया जाएगा।

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