अनुराधा के फर्जीवाड़े पर सरकार की चुप्पी

अनुराधा

एफआईआर दर्ज होने के बाद भी न गिरफ्तारी  और न ही बर्खास्तगी हो रही  

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। उद्योग विभाग के मातहत काम करने वाले उद्यमिता विकास केन्द्र (सेडमैप) की  कार्यकारी संचालक अनुराधा सिंघई के फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद भी विभाग और सरकार उन पर कार्रवाई करने को तैयार नहीं  है। अहम बात यह है कि उनके फर्जीवाड़ा मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी भी नहीं की जा रही है। सेडमैप की कार्यकारी संचालक बनने के बाद से ही वे अपनी कार्यप्रणाली की वजह से लगातार चर्चा में बनी रहती हैं, लेकिन इसके बाद भी उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई सरकार ने नहीं की है। यह हाल तब है जबकि, इसी संस्थान के पास ही युवाओं को रोजगार देकर उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे का जिम्मा है। जब ऐसे संस्थान के ही आला अफसर फर्जीवाड़ा करने के मामले में संदेही हों तो समझा जा सकता है कि संस्थान की विश्वसनीयता कैसी रहेगी। यही वजह है कि अब एजेंसी पर जहां गंभीर आरोप लग रहे हैं , वहीं यहां की कार्यकारी संचालक श्रीमती अनुराधा सिंघई स्वयं फर्जीवाड़ा व गड़बडिय़ों के आरोपों में घिरी हुई हैं। दरअसल वे  फर्जी व कूटरचित दस्तावेजों के सहारे इस पद पर आसीन हुई हैं। करीब डेढ़ दशक पहले दूसरों के यहां नौकरी करने वाली अनुराधा सिंघई फर्जी दस्तावेजों के सहारे उद्यमिता विकास केन्द्र की कार्यकारी संचालक बन गईं। उद्योग और एमएसएमई विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी से यहां पर रहते हुए वे अपनी निजी कंपनियों को फायदा भी पहुंचाती रहीं। अब उन पर धोखाधड़ी सहित अन्य मामलों में प्राथमिकी हुई, तो काले कारनामों की परतें खुलने लगी हैं।

दूसरी कंपनियों में नौकरी करते-करते उनके द्वारा एनजीओ इंडो यूरोपियन चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री और कल्पमेरू साल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोली गई और उनमें वे संचालक बन गई। फिर कूटरचित दस्तावेजों के सहारे सेडमैप की पावरफुल अधिकारी बन गई। इसका खुलासा आरटीआई के जरिए राजेश मिश्रा नाम के व्यक्ति द्वारा उनके नियुक्ति संबंधी दस्तावेज निकालने से हुआ है। इन दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि वे इस पद के लिए निर्धारित अर्हता ही पूरी नहीं कर रहीं थी, उसके बाद भी उन्हें इस पद पर नियुक्ति दे दी गई है। जांच में पाया गया कि उन्होंने तीन साल के इनकम टैक्स रिटर्न में दर्शाई गई वार्षिक आय गलत तरीके से दिखाई थी। 10 वर्ष का अनुभव होने का प्रमाण पत्र भी गलत तरीके से बनाया गया था। इसके अनुराधा सिंघई द्वारा द्वारा सेडमैप में कार्यकारी संचालक पद ग्रहण करते समय अपनी स्वयं की कंपनियों में पदों से इस्तीफा नहीं दिया था, जो नियम का उल्लंघन है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि निजी संस्थाओं को फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने सेडमैप मैनेजमेंट प्रोग्राम भोपाल एवं रायपुर में बंद करवा दिए थे, जिससे सेडमैप को अत्यधिक वित्तीय हानि पहुंची। सेडमैप में रहते हुए भी उन्होंने शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है।

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