- अब सरकार को अनुदान की राशि का करना होगा अग्रिम भुगतान
- विनोद उपाध्याय

विद्युत नियामक आयोग के एक फैसले ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है। इस फैसले के तहत अब सरकार को बिजली उपभोक्ताओं की दी जाने वाली सब्सिडी की राशि का भुगतान अग्रिम रूप से करना होगा। ऐसा नहीं करने पर बिजली वितरण कंपनियों को उपभोक्ताओं को खपत के आधार पर बिल जारी करने का अधिकार रहेगा। यही नहीं अगर सरकार अनुदान के भुगतान में देरी करती है तो फिर अनुदान के अलावा लगने वाले राशि पर ब्याज का भुगतान भी करना होगा। यह नया नियम विद्युत नियामक आयोग ने एमपीईआरसी (राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी भुगतान करने की रीति) विनियम 2007 में किए गए संशोधन और पुनरीक्षण 2 विनियम 2024 में तय की गई व्यवस्था के माध्यम से लागू किया है। विद्युत अधिनियम की धारा 65 के प्रावधानों का उपयोग करते हुए इन नए नियमों में कहा गया है कि यदि सब्सिडी का एडवांस पेमेंट नहीं किया गया है तो विद्युत वितरण करने वाली कम्पनी द्वारा अधिनियम की धारा 65 के प्रावधान के अनुसार उपभोक्ता को बिजली बिल जारी किया जाएगा। साथ ही अगर बिजली कम्पनी की ओर से सब्सिडी के लिए बिल जारी के नियमों के अनुसार सब्सिडी का भुगतान नहीं किया जाता है तो बिजली वितरण कम्पनी को सुनवाई का अवसर देने के बाद विद्युत नियामक आयोग धारा 142 के अंतर्गत कम्पनी के विरुद्ध एक्शन ले सकेगा। वितरण कम्पनी को बिल पर प्रति यूनिट लागत टैरिफ और सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी दोनों को ही अलग-अलग उल्लेखित करना होगा। आयोग को यह अधिकार होगा कि वह इन नियमों में कभी भी किसी भी तरह का संशोधन, बदलाव कर सकेगा।
बीते साल जून तक ऐसे हुआ है बिल भुगतान
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्र के भोपाल, नर्मदापुरम्, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के 16 जिलों में अटल गृह ज्योति योजना में जून में 27 लाख 50 हजार 421 घरेलू उपभोक्ताओं को 147.23 करोड़ रुपये एवं अटल किसान ज्योति योजना में 9 लाख 4 हजार 352 कृषि उपभोक्ताओं को 379.40 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है। मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा एक वर्ष के दौरान औसत 47 लाख उपभोक्ताओं को 8792 करोड़ की सब्सिडी उपलब्ध कराई गई है। कंपनी क्षेत्र में कुल 47 लाख 49 हजार उपभोक्ताओं को औसतन वर्ष भर सब्सिडी का लाभ दिया गया है। ज्योति योजना में औसत 33 लाख 21 हजार उपभोक्ताओं को 1699 करोड़ की सब्सिडी दी गई है। इसी तरह अजा, अजजा वर्ग के पात्र 4 लाख 65 हजार उपभोक्ताओं को कृषि कार्य के लिए मुफ्त बिजली दी गई, जिस पर 2463 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई। किसान ज्योति योजना में 9 लाख 46 हजार किसानों को 4357 करोड़ की, 10 एचपी से ऊपर की मोटर वाले 9865 किसानों को 144 करोड़ की, उच्च दाब कनेक्शन से संबद्ध 37 उद्वहन सिंचाई योजना के लिए 102 करोड़ की सब्सिडी उपलब्ध कराई गई। पावर लूम इकाइयों के 4733 संचालकों को 23 करोड़ की, ग्राम पंचायत, नगर परिषदों को स्ट्रीट लाइट व्यवस्था के लिए 1316 कनेक्शनों पर 2 करोड़ 30 लाख रुपए की सब्सिडी दी गई है।
इस तरह के भी दिए गए निर्देश
नियामक आयोग द्वारा धारा 62 के अंतर्गत राज्य सरकार को उपभोक्ताओं को छूट या कमी से प्रभावित क्षतिपूर्ति के लिए सब्सिडी देने के अधिकार दिए गए हैं। सरकार सब्सिडी देना चाहती है तो, आयोग और बिजली कम्पनियों को इसके निर्णय की जानकारी देगी। इसमें यह बताना होगा कि किस कैटेगरी के उपभोक्ता को प्रति किलोवाट या फिर प्रति यूनिट किस आधार पर सब्सिडी दी जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा तय की गई मानक गाइडलाइन का पालन करना होगा। बिजली वितरण करने वाली कम्पनी द्वारा संबंधित तिमाही के खत्म होने के तीस दिनों के भीतर आयोग को एक तिमाही रिपोर्ट पेश करनी होगी। रिपोर्ट में सब्सिडी वाली श्रेणी द्वारा उपभोग की गई एनर्जी और उपभोक्ता श्रेणीवार प्रति यूनिट सब्सिडी के आधार पर संबंधित तिमाही में बिजली कम्पनी द्वारा उठाई गई वास्तविक डिमांड की जानकारी दी जाएगी। सब्सिडी की राशि में अंतर और शेष राशि की जानकारी भी तिमाही रिपोर्ट में देना होगी। आयोग तिमाही रिपोर्ट की जांच करेगा और बिना मीटर वाले उपभोक्ता और औसत खपत वाले उपभोक्ता की सब्सिडी के मामले में आयोग खुद निर्णय लेगा। बिजली कम्पनी राज्य सरकार के ऊर्जा विभाग को तिमाही के आधार पर सब्सिडी बिल मिलने के एक माह के भीतर पिछली तिमाही के बिल का मिलान करने के बाद भुगतान करना होगा।
दो योजनाओं में दिया जाता है अनुदान
ऊर्जा विभाग के माध्यम से सब्सिडी वाली जो प्रमुख योजनाएं प्रदेश मे लागू हैं। इनमें अटल विद्युत गृह योजना और अटल किसान ज्योति योजना शामिल हैं। अटल गृह ज्योति योजना में वे घरेलू उपभोक्ता इसके लिए पात्र है, जिनकी औसत मासिक खपत 150 यूनिट या इससे कम होती है। दैनिक औसत खपत 50 यूनिट या कम होने पर ही उस माह विशेष में पात्रता तय होती है, इसी के अनुसार सब्सिडी मिलती है। प्रथम 100 यूनिट तक बिजली सौ रुपए में मिलती है। इसके बाद 50 यूनिट की बिजली सामान्य दर से प्रदाय की जाती है। 30 दिन में 150 यूनिट से ज्यादा खपत होने पर माह विशेष में गृह ज्योति योजना की पात्रता समाप्त हो जाती है।