सोम पर सरकार की मेहरबानी… अरुण यादव ने उठाए सवाल

  • पूछा सोम से कब वसूले जाएंगे 583 करोड़
  • विनोद उपाध्याय
अरुण यादव

अरुण यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए मप्र सरकार से सवाल किया कि सोम डिस्टलरी से एमपीएसआईडीसी के करीब 575 करोड़ रुपए और जीएसटी के लगभग 8 करोड़ रुपए की वसूली क्यों नहीं की जा रही है। 10 मई को सोम डिस्टलरी कंपनी के कर्मचारी और पार्टनर राधेश्याम सेन ने आरोप लगाकर अपनी कार में आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में भी अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।  अरुण यादव ने एक्स पर लिखा- अन्नदाताओं और आमजन की हजारों रुपए में कुर्की करने वाली सरकार का शराब कंपनी सोम डिस्टलरीज से क्या रिश्ता है, जो सरकार (एमपीएसआईडीसी) के करीब 575 करोड़ रुपए और जीएसटी के लगभग 8 करोड़ रुपए की वसूली नहीं कर रही है? यादव ने ट्वीट कर कहा है कि सोम डिस्टलरीज कंपनी से सरकार की क्या सांठगांठ है। उन्होंने कहा है कि अन्नदाताओं एवं आमजन की हजारों रुपये के लिए कुर्की करने वाली सरकार का शराब कंपनी सोम डिस्टलरीज से क्या रिश्ता है, जो सरकार के करीब 583 करोड़ रुपये की वसूली नहीं कर रही है? अरुण यादव ने विगत दिनों सोम डिस्टलरीज के पार्टनर राधेश्याम सेन की आत्महत्या को लेकर कहा है कि सेन ने आत्महत्या से पहले कई गंभीर आरोप लगाए थे, लेकिन कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई। उन्होंने कहा कि क्या अधिकारी-नेताओं की शराब कंपनी से कोई सांठगांठ है?
शराब माफिया सोम डिस्टलरीज एन्ड बेवरेज लिमिटेड के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिना कर्ज चुकाए सोम डिस्टलरीज का इतना बड़ा कारोबार चल रहा है। मप्र स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड के करीब 575 करोड रुपए सोम डिसलरी और इसके संचालक जगदीश अरोड़ा, अजय अरोड़ा पर बकाया है। लेकिन आर्थिक संकट से जूझने के बाद भी सरकार ने इस बकाया राशि की वसूली करने की जहमत नहीं उठाई। पिछले दिनों 10 मई को सोम डिस्टलरीज के संचालकों जगदीश अरोरा, अजय अरोरा और अनिल अरोरा पर उनके कर्मचारी और पार्टनर राधेश्याम सेन ने कई गंभीर आरोप लगाकर अपनी कार में आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या के पहले राधेश्याम सेन ने एक वीडियो बनाकर अपनी पत्नी को भेजा था, जिसमें सेन ने बताया कि सोम डिस्टलरीज के संचालक जगदीश अरोरा, अनिल अरोरा और अजय अरोरा ने साल 2003 में एक सेल कम्पनी में उन्हें पार्टनर बनाया था। इस सेल कम्पनी के जरिये जगदीश अरोरा ने करोड़ों के जीएसटी की चोरी की। एक तरफ जहां इस सेल कम्पनी के जरिये जीएसटी की चोरी जारी रही, वहीं दूसरी तरफ राधेश्याम सेन पर करोड़ों का बकाया जीएसटी भरने का दबाव बढ़ता गया। लेकिन मृतक के आखिरी बयान वीडियो के तौर पर सामने आने के बाद भी अपने रसूख के चलते जगदीश अरोरा, अजय अरोरा और अनिल अरोरा पुलिस के शिकंजे से दूर हैं। अरोरा बंधू पहले भी कई मामलों में बड़ी चालाकी से कानून के शिकंजे से बचते रहे हैं। फिर चाहे वो कोरोना के वक्त सेनिटाइजर निर्माण में करोड़ों की जीएसटी चोरी का मामला हो या मप्र-छग में अवैध शराब की तस्करी का मामला हो या एक्सपायरी शराब का मामला हो। हर बार कागजों पर अपने कर्मचारियों को संचालक बनाकर कानून के शिकंजे से ये बड़े सरगना बच निकलते हैं।
ब्लैक लिस्ट के बावजूद कंपनी का लाइसेंस रिन्यू
देपालपुर सत्र न्यायालय से कंपनी के संचालकों को सजा होने के बावजूद ना तो कंपनी की कुर्की की गई और ना नहीं इसे ब्लैकलिस्ट किया गया। इतना ही नहीं आबकारी आयुक्त ने कंपनी को एक कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। लेकिन नोटिस का जवाब न देने के बावजूद कंपनी का लाइसेंस रिन्यू कर दिया गया। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शराब का अवैध परिवहन करते आबकारी विभाग के सोम डिस्टलरीज के कर्मचारियों को हिरासत में लिए था। मामले में सोम डिस्टलरीज के संचालकों को भी आरोपी बनाया गया था। जिसमें देपालपुर सत्र न्यायालय ने सभी को दोषी पाते हुए सजा भी सुनाई थी।

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