पदोन्नति में आरक्षण: डाटा नहीं मिलने से बढ़ सकती है सरकार की मुश्किल

पदोन्नति में आरक्षण

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पदोन्नति में आरक्षण मामले में अफसरों की लापरवाही की वजह से राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगे जा रहे डाटा को अधिकारी उपलब्ध कराना तो दूर इकट्ठा ही नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि इस मामले में प्रदेश के पच्चीस हजार से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के पदावनत (रिवर्ट) होने की स्थिति बन सकती है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के कर्मचारियों व अधिकारियों  के आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। अगले महीने सितंबर में इस मामले पर सुनवाई होनी है। इस दौरान राज्य सरकार को डाटा सुप्रीम कोर्ट में पेश करना है, लेकिन राज्य सरकार के अधिकारी यह डाटा इकट्ठा ही नहीं कर पा रहे हैं।
क्या है विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों के मुताबिक एम नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद 30 अप्रैल 2016 को जबलपुर हाईकोर्ट ने आरबी राय मामले में मध्यप्रदेश में पदोन्नति के आरक्षण संबंधी नियमों को असंवैधानिक करार दिया था। कई विभागों में नियम विरुद्ध प्रमोशन कर दिए गए थे। हालांकि तब सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। तभी से वहां सुनवाई चल रही है। सरकार का इस मामले में रवैया ढुलमुल रहा है। ऐसे में पांच साल में करीब पैंतीस हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारी तो बिना प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो गए हैं।
सरकार बना रही है नए नियम
बहरहाल राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण के नए नियम बनाने की तैयारी कर चुकी है। वहीं अजाक्स के मुताबिक आरक्षित वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उचित न्याय मिलना बाकी है। मंत्रालय की यूनियन लीडर सरकारी कर्मचारी कल्याण समिति के पूर्व सदस्य शिवपाल का कहना है कि छत्तीसगढ़ के विभाजन से पहले 16 प्रतिशत कोटा था। जिसे विभाजन के बाद 20 प्रतिशत कर दिया गया। तब से ही यह अड़चन चली आ रही है, जिसे अब तक दूर नहीं किया गया।

Related Articles