सरकार की शर्तें भारी पड़ रही हैं सोलर पम्पों पर

सोलर पम्पों
  • प्रदेश में 11 लाख से अधिक डीजल पम्पों से हो रही सिंचाई…

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदीबिच्छू डॉट कॉम। प्रदूषण के साथ ही किसानों को बिजली बिलों में राहत देने के लिए शुरू की गई सोलर पंपो की योजना पर सरकार की शर्तें भारी पड़ रही हैं। यही वजह है कि आज भी मध्य प्रदेश का किसान डीजल या फिर बिजली पंपो से सिंचाई करने को मजबूर बना हुआ है। हालात यह है की प्रदेश में अकेले डीजल पंपो से ही 11 लाख के करीब किसान सिंचाई कर रहे हैं।  प्रदेश में इनकी तुलना में महज दो फीसदी ही किसानों के पास सोलर पंप हैं।  इस मामले में मप्र छत्तीसगढ़ जैसे राज्य से भी पीछे चल रहा है।  खास बात यह है की इस योजना का संचालन अन्य प्रातों की ही तरह प्रदेश में भी केन्द्र की मदद से किया जा रहा है। मप्र में अभी तक महज 25 हजार सोलर पम्पों का उपयोग ही सिंचाई के लिए किया जा रहा है, जबकि छत्तीसगढ़ में ये आंकड़ा 61 हजार से अधिक है। दरअसल इस हालत की वजह प्रदेश सरकार की शर्त को भी बड़ी वजह माना जा रहा है। दरअसल खेती में सिंचाई के लिए उपयोग में लाए जाने वाले डीजल पम्पों की संख्या को कम करने और विद्युत कनेक्शन की अनुपलब्धता वाले खेतों तक सिंचाई की व्यवस्था करने के लिए किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प मुहैया कराए जाते हैं। इसमें 90 फीसदी तक अनुदान देने की व्यवस्था है। हालांकि सोलर पंप और सोलर प्लेट की कीमत अधिक होने से इसके मेंटेनेंस को लेकर भी परेशानी के हालात हैं। मप्र में एक हॉर्स पावर से लेकर दस हॉर्स पावर तक के सम्बर्सिबल पम्प तक देने की योजना है। इसमें अनुदान देने के बाद किसानों को 19 हजार से 2.17 लाख रुपए तक का अंशदान देना होता है। मध्यप्रदेश में किसान सोलर पंप पर अनुदान का लाभ केवल इसी शर्त पर उठा सकेगा यदि किसान द्वारा खेत के खसरे या बटांकित खसरे पर भविष्य में किसी भी विद्युत पंप लगाए जाने पर अनुदान नहीं प्राप्त किया जाए। किसान को एक स्वप्रमाणीकरण भी जमा करना होगा। जिसमें यह घोषणा करनी होगी की किसान ने वर्तमान में उस खसरे या बटांकित खसरे की भूमि पर कोई भी विद्युत पंप संचालित या संयोजक नहीं किया है। यदि किसान ने उस खसरे या फिर बटांकित खसरे पर विद्युत पंप संचालित या संयोजित किया है तो इस स्थिति में यदि किसान उस पर मिले अनुदान को छोड़ देता है एवं बिजली के पंप को हटवा देता है तो किसान को सोलर पंप के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा।
11 लाख डीजल पम्प फैला रहे प्रदूषण
केंद्र सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मप्र में कृषि पम्पों के रूप में सिंचाई के लिए 11 लाख तीन हजार 600 डीजल पम्पों का उपयोग किया जा रहा है। ईंधन के रूप में डीजल के रूप में उपयोग करने से खेती की लागत भी कई गुना बढ़ी है। साथ ही पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। डीजल पम्पों के इस्तेमाल के मामले में उप्र देश में पहले स्थान पर है। यहां 36 लाख सात हजार 600 डीजल पम्प सिंचाई के लिए उपयोग में लाए जा रहे हैं। तीसरे नंबर पर आंधप्रदेश है। यहां चार लाख 13 हजार 600 डीजल पम्प हैं।

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