गोदामों में रखे अनाज बेच आर्थिक तंगी दूर करेगी सरकार

आर्थिक तंगी

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के गोदामों और ओपन कैप में गेहूं, धान, मूंग सहित कई तरह के अनाज भरे पड़े हैं। सरकार इन अनाजों को बेचकर आर्थिक तंगी दूर करेगी। गौरतलब है कि वर्तमान में सरकार को हर माह लगभग 1 हजार करोड़ रूपए का कर्ज लेना पड़ा रहा है। ऐसे में सरकार अनाजों को बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारना चाहती है।
गौरतलब है कि प्रदेश में हर साल अनाज का रिकार्ड उत्पादन और सरकारी खरीदी हो रही है। इस कारण प्रदेश के गोदाम और कैप भरे पड़े हैं। पिछली बार प्रदेश सरकार छह लाख 45 हजार टन गेहूं की नीलामी करने के बाद अब धान की भी नीलामी करेगी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2017-18 और 2019-20 की मिलिंग से शेष पौने चार लाख टन से अधिक धान को अब सेंट्रल पूल में लेने से इंकार कर दिया है। नीलामी से एक हजार 400 रुपए से लेकर आठ सौ रुपए प्रति क्विंटल तक राशि मिलने की उम्मीद है। जबकि, जुलाई 2021 तक धान का प्रति क्विंटल औसत आर्थिक लागत दो हजार 476 रुपए है। इस प्रकार सरकार को धान नीलाम करने के बाद भी करोड़ों रुपए की हानि होगी पर सरकार के पास इसके अलावा अन्य विकल्प भी नहीं है।
केंद्र ने सेंट्रल पूल में लेने से किया इंकार
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019-20 में समर्थन मूल्य पर 25 लाख 54 हजार टन धान का उपार्जन किया था। इसमें से 20 लाख 47 हजार टन धान की मिलिंग हुई और चावल भारतीय खाद्य निगम को सेंट्रल पूल के लिए दिया गया। तीन लाख 82 हजार टन धान की मिलिंग अब तक नहीं हो पाई है। जबकि, राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने बार-बार मिलिंग की अवधि में वृद्धि की। 29 अप्रैल 2021 को पत्र लिखकर केंद्र सरकार ने साफ कर दिया कि अब मिलिंग की अवधि में वृद्धि नहीं होगी और शेष धान का निराकरण राज्य सरकार ही करे। यह धान गोदाम और कैप में रखी हुई है। इसलिए सरकार इस धान को नीलाम करने जा रही है।
कैबिनेट में रखा जाएगा प्रस्ताव
खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एक अप्रैल 2020 से मिलिंग प्रारंभ हुई। कोरोना काल में प्रतिमाह औसतन एक लाख टन धान की मिलिंग हुई थी। गति ठीक चल रही थी पर जुलाई अंत में चावल की गुणवत्ता को लेकर बालाघाट, मंडला सहित अन्य जिलों में कार्रवाई हुई और निम्न गुणवत्ता का चावल मिलर को लौटा दिया। इससे मिलिंग लगभग बंद हो गई।
मिलर ने धान की गुणवत्ता का सवाल उठाया और टेस्ट मिलिंग करके धान लेने की मांग रखी पर केंद्र सरकार ने अनुमति नहीं दी। मिलिंग नहीं होने से सरकार ने मिल संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की और मिलों को सील तक कर दिया पर यह कदम कारगर साबित नहीं हुआ। इसी तरह वर्ष 2017-18 की एक हजार 250 टन धान मिलिंग के लिए शेष है। खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग ने मिलिंग के लिए शेष धान को अब नीलाम करने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट में रखा जा रहा है।
गेहूं, धान के साथ मूंग भी बिकेगी
गेहूं, धान के साथ ही मूंग भी बेचने की तैयारी हो रही है। प्रदेश में चार लाख 39 हजार टन ग्रीष्मकालीन मूंग का उपार्जन समर्थन मूल्य सात हजार 196 रुपए प्रति क्विंटल पर किया है। जबकि, केंद्र सरकार ने दो लाख 47 हजार टन मूंग खरीदने की ही अनुमति दी थी। शेष मूंग को सेंट्रल पूल में लेने की मांग पिछले दिनों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से की है। वहीं, 80 हजार टन मूंग मध्यान्ह भोजन योजना में बच्चों को देने का प्रस्ताव है, जिस पर अंतिम निर्णय होना बाकी है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा सेंट्रल पूल में छह लाख 45 हजार टन गेहूं लेने से इनकार करने के बाद सरकार ने इसे नीलाम करने के लिए छोटे-छोटे समूह बनाकर निविदा बुलाई तो परिणाम बेहतर सामने आए हैं। खरीदारों ने एक हजार 600 रुपए से लेकर दो हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर प्रस्तावित की है। राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने गेहूं की प्रति क्विंटल आधार दर एक हजार 590 रुपए तय की थी। निगम ने परीक्षण करने के बाद दर अनुमोदित करने का प्रस्ताव मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली साधिकार समिति को भेज दिया है।
किस दर पर बिक्री से कितना हो सकता है नुकसान
औसत दर संभावित विक्रय दर संभावित हानि
2,476 800 640
2,476 1,000 564
2,476 1,200 487
2,476 1,400 411
नोट- दर प्रति क्विंटल और राशि करोड़ में।

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