
- सरकार के दावों की खुली कलई
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सरकार स्मार्ट मीटर लगा रही है। सरकार का दावा है कि बिजली उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर नि:शुल्क लगाए जा रहे हैं। यही नहीं ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने विधानसभा में भी कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार और सुनील उइके के सवाल पर लिखित जवाब में बताया कि बिजली कंपनियां स्मार्ट मीटर लगाते समय उपभोक्ताओं से शुल्क नहीं ले रही हैं। शुल्क का प्रावधान भी नहीं हैं। इधर, हकीकत यह है कि बिजली कंपनियों ने लीज रेंट आदि के नाम पर एक अप्रैल से बिजली महंगी कर स्मार्ट मीटर के एवज में 754 करोड़ की अप्रत्यक्ष वसूली शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की आरडीएसएस (रिवेम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम) के तहत शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। एक स्मार्ट मीटर की कीमत करीब 10 हजार रु. है। जानकारों का कहना है कि इसकी 100 फीसदी कीमत मय ब्याज के उपभोक्ताओं से 8-10 साल तक किस्तों के रूप में की जाएगी। इससे प्रति उपभोक्ता पर करीब 25 हजार का बोझ पड़ेगा। बिजली मामलों के एक्सपर्ट राजेंद्र अग्रवाल के अनुसार, ऊर्जा मंत्री ने विधानसभा में गलत जानकारी दी है। सच्चाई यह है कि स्मार्ट मीटर की राशि की वसूली उपभोक्ताओं से एक अप्रैल से शुरू हो चुकी है। इस खर्च के आधार पर बिजली 3.56 प्रतिशत महंगी की गई। हम नियामक आयोग में आपत्तियां भी दर्ज करा चुके हैं। स्मार्ट मीटर की राशि विद्युत कंपनियां, 8 से 10 साल तक टैरिफ बढ़ाकर उपभोक्ताओं से वसूलेंगी। उसी राशि से बिजली कंपनियां मीटर लगाने वाली कंपनी को भुगतान करेंगी। उपभोक्ताओं का कहना है कि हमें यह बताया जा रहा है कि स्मार्ट मीटर के लिए पैसे नहीं लिए जा रहे हैं, लेकिन अब यह बात पता चली है कि स्मार्ट मीटर के नाम पर पहले ही बिजली महंगी कर दी गई है। सरकार मीटर की राशि वसूलना बंद करे और बिजली सस्ती करे।
2030 करोड़ का ठेका
जानकारी के अनुसार पहले चरण में 60 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाने का काम चल रहा है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने इसके लिए दो निजी कंपनियों-अल्फनार पॉवर प्राइवेट लिमिटेड को 11,42,040 मीटर के लिए 1,134 करोड़ और अप्रावा एनर्जी पॉवर लिमिटेड को 9,57,758 मीटर के लिए 896.16 करोड़ रु. का ठेका दिया है। यानी कुल 2030.16 करोड़ रूपए का ठेका दिया गया है। वर्ष 2025-26 के टैरिफ आदेश में, प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों का कुल खर्च 57,732.60 करोड़ है। विद्युत नियामक आयोग ने कंपनियों की पुराने टैरिफ के अनुसार आय 55,804.44 करोड बताई है। 1,928 करोड़ के घाटे की पूर्ति के लिए टैरिफ में 3.56 प्रतिशत की वृद्धि की गई। इस खर्च में 544.67 करोड़ रु. स्मार्ट मीटर लगाने वाली एजेसियों को लीज चार्ज के रूप में देने का प्रावधान है। मीटर मेंटेनेंस, रीडिंग आदि के लिए 209.66 करोड़ रुपए अतिरिक्त स्वीकृत किए गए हैं। स्मार्ट मीटर के लिए 754 करोड़ मंजूर किए गए हैं। ऊर्जा विभाग के एसीएस नीरज मंडलोई का कहना है कि केंद्र की योजना के तहत स्मार्ट मीटर फ्री लगाए जा रहे हैं। स्मार्ट मीटर से जो 26 प्रतिशत बिजली की बचत होगी, उसमें से मीटर लगाने वाली निजी कंपनियों को हर साल भुगतान होगा। लीज चार्ज के रूप में पहली किस्त 754 करोड़ रु. मंजूर की गई है। वहीं ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि जिस सवाल का मैंने लिखित जवाब दिया है, उसे मुझे देखना पड़ेगा। अधिकारियों से पूछकर ही जवाब दे सकूंगा।