अगले 3 वित्तीय वर्ष के लिए बजट बनाएगी सरकार

  • जीरो बेस्ड बजट में फिजूलखर्ची रोकने और विकास पर फोकस

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में आने वाले तीन सालों के लिए बजट की तैयारियां शुरू हो गई है। वित्त विभाग आगामी साल के साथ 2028-29 के बजट को लेकर भी तैयारियां शुरू कर दी है। वित्त विभाग सभी विभागों की फाइनेंशियल एडवाइजर के साथ बैठक करेगा। पब्लिक वेलफेयर स्कीम और विभाग से जुड़ी योजनाओं को लेकर बजट प्रावधान पर चर्चा होगी। बजट चर्चा के साथ-साथ फिजूल खर्ची और योजनाओं को गति देने के लिए भी रणनीति बनेगी। इसके लिए विभागों को आदेश जारी कर दिया गया है। आदेश में लिखा गया कि विषयांकित एवं संदर्भित परिपत्र द्वारा वित्तीय वर्ष 2026-27 के बजट अनुमान एवं वित्तीय वर्ष 2027-28 तथा 2028-29 का रोलिंग बजट तैयार किये जाने हेतु दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। तत्संबंध में विभाग के वित्तीय सलाहकार, वित्तीय अधिकारी, बजट प्रक्रिया में संलग्न अन्य अधिकारियों के साथ सामान्य चर्चा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारियों द्वारा उठाए गए बिंदुओं के संबंध में एफएक्यू संलग्न कर प्रेषित किया गया है। संलग्न एफएक्यू एवं प्रपत्रों को संदर्भित परिपत्र का भाग मानते हुए आवश्यक कार्यवाही किए जाने को कहा गया है।
वित्त विभाग जीरो बेस्ड बजट के साथ आगामी तीन साल के लिए रोलिंग बजट भी तैयार करेगा। वित्त विभाग सितंबर से विभागवार बैठकों की शुरुआत करेगा। सबसे पहले अपर सचिव और उप सचिव स्तर के अधिकारियों की बैठकें होंगी। बैठकों में सभी विभागों से अगले तीन वर्षों की वित्तीय जरूरतों का अनुमान, प्राथमिक योजनाओं की सूची और संभावित राजस्व स्रोतों का ब्योरा मांगा जाएगा। इसके बाद दिसंबर-जनवरी तक बजट का ड्राफ्ट तैयार करने की एक्सरसाइज चलेगी। रोलिंग बजट में कई फायदे होंगे। सरकार को अगले कई वर्षों की जरूरतों और संसाधनों का अंदाजा पहले से लग जाता है। आर्थिक परिस्थितियों, नीतिगत बदलाव या नई प्राथमिकताओं के अनुसार बजट में हर साल संशोधन किया जा सकता है। जिन योजनाओं या परियोजनाओं की प्रगति धीमी है या प्राथमिकता घट गई है, उनका बजट घटाकर जरूरी परियोजनाओं में लगाया जा सकता है। राज्य के मध्यम और दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों के अनुरूप वित्तीय प्रावधान तय करना आसान होता है।
15 से 30 सितंबर तक होंगी विभागवार बैठकें
जानकारी के अनुसार, प्रदेश की दीर्घकालिक विकास रणनीति-विकसित मध्य प्रदेश 2047 पर केंद्रित वर्ष 2026-27, वर्ष 2027-28 एवं वर्ष 2028-29 के लिए त्रिवर्षीय रोलिंग बजट तैयार किया जाएगा। इसके लिए 15 से 30 सितंबर तक विभागवार बैठकें होंगी। 31 अक्टूबर को नई योजनाओं के प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाएंगे और एक अक्टूबर से 15 नवंबर तक द्वितीय चरण की चर्चा की जाएगी। बता दें कि इससे पहले बजट निर्माण में 28 से 31 जुलाई तक विभागीय प्रशिक्षण और प्रारंभिक चर्चा की जा चुकी है। इसके अलावा इस बार भी राज्य सरकार द्वारा शून्य आधार बजटिंग की प्रक्रिया को जारी रखते हुए वित्तीय अनुशासन और परिणाम आधारित बजट निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। शून्य आधार बजटिंग प्रणाली से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि हर योजना के पीछे ठोस उद्देश्य हो, उसका समाज पर प्रभाव दिखे और प्रत्येक व्यय राज्य की विकास प्राथमिकताओं से मेल खाता हो। प्रत्येक योजना के लिए यह स्पष्ट करना आवश्यक होगा कि उस पर खर्च क्यों किया जा रहा है, उसका लाभ किसे होगा और उसका सामाजिक व आर्थिक असर क्या होगा। इस प्रक्रिया में गैर-प्रभावी योजनाओं को समाप्त करने और समान प्रकृति की योजनाओं को एकीकृत करने पर भी विचार किया जाएगा।
रोलिंग बजट तैयार किया जा रहा
 वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल जीरो बेस्ड बजट के सफल प्रयोग के बाद रोलिंग बजट तैयार किया जा रहा है। विभागों को पता है कि हमें आने वाले वर्षों में कौन से काम करना है। किन कामों के लिए एक साल के लिए बजट चाहिए और किन कामों के लिए आगे के वर्षों में भी बजट की जरूरत होगी। इसे ध्यान में रखकर बजट में आगे के वर्षों के लिए राशि का प्रावधान किया के लिए राशि का प्रावधान किया जाएगा। खाका अभी से तैयार किया जाएगा। बजट तैयार करते समय यह भी देखा जाएगा कि सरकार की प्राथमिकता के काम कौन से हैं, इस आधार पर बजट में राशि का प्रावधान किया जाएगा। तीन साल के रोलिंग बजट से काम में निरंतरता बनी रहेगी, क्योंकि योजनाओं के लिए बजट में पहले से राशि रखी जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इस साल भले ही विभागों को बजट बनाने के लिए ज्यादा काम करना पड़ेगा, लेकिन आने वाले वर्षों में उन्हें मेहनत कम करना पड़ेगी। आगामी बजट सत्र में विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए ही बजट पेश होगा, विनियोग विधेयक यही बनेगा, लेकिन सभी की जानकारी के लिए अलग से किताब प्रकाशित होगी, जिसमें विभाग का शेष 2 वर्षों में विभिन्न मदों में राशि के प्रावधान का विभिन्न विभागों को निर्देश जारी कर कहा गया है कि विभाग की प्रत्येक योजना के लिए यह स्पष्ट करना जरूरी होगा की उस पर खर्च क्यों किया जा रहा है, उसका लाभ किसे होगा और उसका सामाजिक व आर्थिक असर क्या होगा। मप्र सरकार का पिछला बजट 4 लाख 21 हजार करोड़ का था। सरकार पर 4 लाख 40 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है।
मंत्री स्तरीय बैठकें होगी आयोजित
बजट निर्माण के लिए दिसंबर और जनवरी में मंत्री स्तरीय बैठकें आयोजित की जाएंगी। 31 मार्च 2026 को समायोजन प्रस्तावों की अंतिम तिथि रखी गई है। वेतन, भत्ते और स्थायी व्यय की भी गणना अलग होगी। विभागों को अपने स्थायी खर्चों जैसे वेतन, पेंशन, भत्तों की करते समय विशेष सावधानी बरतने को गणना कहा गया है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष के वेतन में तीन प्रतिशत वार्षिक वृद्धि जोड़ी जाएगी। महंगाई भते की गणना क्रमश: 74 प्रतिशत, 84 प्रतिशत और 94 प्रतिशत के हिसाब से होगी। संविदा कर्मचारियों के वेतन में चार प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का भी प्रविधान रहेगा। अजा-अजजा उपयोजना के लिए न्यूनतम बजट सुनिश्चित करना अनिवार्य होगा। वित्ते विभाग ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 16 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 23 प्रतिशत बजट सुनिश्चित करना अनिवार्य रहेगा। इसके लिए सेगमेंट कोडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे योजनाओं में पारदर्शिता आएगी। जिन विभागों को भारत सरकार से सीधे फंड प्राप्त होता है, उन्हें वह राशि भी बजट प्रस्ताव में दर्शानी होगी। इसके अलावा, ऑफ-बजट ऋण, प्रोत्साहन योजनाओं का वित्तीय असर, और नवीन योजनाओं की स्वीकृति की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है।

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