बकरी के दूध से सुधारेगी सरकार जनजातीय वर्ग की आर्थिक हालत

 जनजातीय वर्ग
  • प्रदेश में आदिवासी और किसानों की आय वृद्धि के लिए शिव सरकार तैयार …

    भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम।
    प्रदेश में आदिवासी और किसानों की आय वृद्धि के लिए प्रदेश की शिव सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के तहत अब बकरी का दूध खरीदने की तैयारी की जा रही है। इसके तहत इसी माह के अगले पखवाड़े से उनका दूध खरीदा जाएगा।
    इस दूध की खरीदी एमपी स्टेट को-आॅपरेटिव डेयरी फेडरेशन द्वारा की जाएगी। इसकी शुरुआत जनजातीय क्षेत्रों से की जाएगी। इससे आदिवासी लोगों की आय में वृद्धि होगी। इसके साथ ही दूध परिवहन के लिए अब टैंकरों में डिजिटल लॉक और व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाने की तैयारी की जा रही है। इससे दूध चोरी व मिलावट नहीं हो सकेगी। गौरतलब है कि इन दिनों फेडरेशन द्वारा संचालित दुग्ध संघों द्वारा प्रतिदिन लगभग साढ़े तीन करोड़ रु. की राशि का हस्तांतरण ग्रामीणों को दूध देने के एवज में किया जा रहा है। दुग्ध संघों द्वारा 7 हजार से अधिक दुग्ध सहकारी समितियों के 2.5 लाख सदस्यों के माध्यम से प्रतिदिन 10 लाख लीटर दूध का संकलन किया जा रहा है। लॉकडाउन के दौरान जहां कई रोजगार प्रभावित हुए थे, वहीं इस दौरान प्रदेश के सभी सभी 6 सरकारी दुग्ध संघों द्वारा दुग्ध उत्पादक किसानों से 2 करोड़ 54 लाख लीटर दूध अतिरिक्त रूप से खरीदा गया। इसके लिए दुग्ध उत्पादकों को 94 करोड़ रु. का अतिरिक्त भुगतान भी किया गया।
    दिया जा रहा है प्रशिक्षण
    प्रदेश में डेयरी संयंत्रों में प्रशिक्षित जन-शक्ति उपलब्ध कराने के लिए दूध एवं दुग्ध पदार्थ तकनीशियन का ट्रेड औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से प्रारंभ किया गया है। स्मार्ट सिटी की अवधारणा के अनुरूप नए स्मार्ट पार्लर भी स्थापित किए जा रहे हैं।
    नए उत्पादों की भी तैयारी
    दुग्ध संघों द्वारा नवीन उत्पाद निर्माण सुविधाओं का भी निर्माण कराया जा रहा है। इसके तहत इंदौर में आइसक्रीम और जबलपुर में पनीर संयंत्र की स्थापना की जा चुकी है , जबकि सागर व खंडवा में नवीन दुग्ध प्र-संस्करण स्थापित किए गए हैं। दुग्ध चूर्ण निर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए इंदौर में 30 मीट्रिक टन क्षमता के संयंत्र की स्थापना की जा रही है।
    उत्पादकों को दी जा रहीं सुविधाएं
    दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध उत्पादकों को दुग्ध विक्रय के अतिरिक्त कई अन्य सुविधाएं भी दी जा रही हैं। इनमें उचित मूल्य पर पशु आहार, चारा बीज, पशु नस्ल सुधार, पशु प्रबंधन प्रशिक्षण, किसान क्रेडिट कार्ड, पशुओं की डी-वार्मिंग, बच्चों के लिए पुरस्कार योजना और बीमा योजना का लाभ शामिल है।

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