
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव के बाद अब राजनीतिक दलों के साथ-साथ चुनाव आयोग भी लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। यही वजह है कि अब प्रदेश में मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम चल रहा है। अगले हफ्ते छह जनवरी को सूची का प्रारूप प्रकाशित किया जाना है। इसकी वजह से अब प्रदेश की नई सरकार के पास महज छह दिन ही प्रशासनिक सर्जरी के लिए बचते हैं। दरअसल जिलों में कलेक्टर ही जिला निर्वाचन अफसर होते हैं, जबकि उनके मातहत डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार जैसे अफसर चुनाव कामों का मैदानी स्तर पर न केवल क्रियान्वयन करते हैं, बल्कि उस पर नजर भी रखते हैं। इसकी वजह से पांच जनवरी के बाद इस काम में लगे कर्मचारियों व अफसरों के तबादलों पर रोक लग जाएगी।
अगर बहुत जरूरी होगा तो सरकार को उनके तबादले करने से पहले चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि पांच जनवरी तक ही सरकार अपने हिसाब से तबादले कर सकती है। तबादलों पर रोक मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण पूरा होने तक रहेगी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन के साथ इस कार्य से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले नहीं होंगे। इसकी परिधि में कलेक्टर, अपर कलेक्टर, संयुक्त कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार और बूथ लेवल आफिसर आएंगे।
प्रत्येक मतदान केंद्र पर एक बूथ लेवल आफिसर तैनात है, जो छह जनवरी से सूची में नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन के लिए आवेदन लेंगे। घर-घर संपर्क करेंगे और मृत, अनुपस्थित और स्थानांतरित मतदाताओं की पहचान करके उनके नाम सूची से हटाने की कार्यवाही करेंगे। रजिस्ट्रीकरण अधिकारी परीक्षण करके आवेदनों का निराकरण करेंगे और सूची को अंतिम रूप देंगे। अंतिम सूची का प्रकाशन आठ फरवरी को किया जाएगा। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती है, तब तक मतदाता सूची के कार्य में संलग्न किसी अधिकारी का तबादला बिना आयोग की सहमति नहीं किया जा सकता है।
तीन वर्ष से जमे अफसरों के होंगे तबादले
उधर, चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि 31 जनवरी 2024 तक कलेक्टर, कमिश्नर, पुलिस अधीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक सहित अन्य सभी अधिकारियों के तबादले किए जाएंगे, जिन्हें एक स्थान पर पदस्थ रहते हुए तीन वर्ष हो चुके हैं। इस अवधि की गणना 30 जून 2024 के अनुसार की जाएगी।