- मप्र में जल्द होंगी निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां

गौरव चौहान
मप्र में अब निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग और प्राधिकरणों में राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को लेकर हलचल तेज हो गई है। दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के बीच संभावित नामों को लेकर विस्तृत चर्चा हो चुकी है। इन नामों की सूची तैयार कर अनुमोदन के लिए केंद्रीय नेतृत्व को भेज दी गई है। अनुमति मिलते ही नियुक्तियों के आदेश जारी किए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक भाजपा नेतृत्व ने संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन और सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नामों को अंतिम रूप दिया है। इसमें पूर्व मंत्री, संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद तथा विभिन्न जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रभावशाली चेहरों को शामिल किया गया है। फिलहाल राज्य में निगम-मंडल, बोर्ड और आयोगों के लगभग तीन दर्जन से अधिक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद रिक्त हैं, जिन्हें भरने के लिए यह कवायद की जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में हारने वाले भाजपा के पूर्व मंत्रियों का राजनीतिक पुनर्वास कर उन्हें मुख्यधारा में लाने की तैयारी सरकार और संगठन ने कर ली है। इन नेताओं को जल्द ही निगम-मंडल आयोगों में पद देकर कैबिनेट मंत्री के दर्जे से नवाजा जाएगा। संगठन के आला नेताओं की इस मसले पर सीएम के साथ बैठक हो चुकी है। जल्द ही पार्टी हाईकमान के सामने इस सूची का रखकर अंतिम फैसला लिया जाएगा। वहीं पिछले डेढ़ साल से खाली पड़े अन्य निगम मंडल, आयोगों और प्राधिकरणों में भी जल्द नियुक्तियां किए जाने की तैयारी चल रही है। प्रदेश सरकार में अभी निगम-मंडल और आयोगों के 45 से अधिक पद खाली पड़े हैं।
चार दर्जन से अधिक नेताओं के नामों की सूची तैयार
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनने के कुछ समय बाद एक आदेश जारी कर निगम मंडल के पदाधिकारियों की उनकी पद से छुट्टी कर दी थी। लोकसभा चुनाव के बाद से इन निगम मंडलों में नियुक्ति की अटकलें चलती रही है पर संगठनात्मक कार्यक्रमों के चलते ये नियुक्तियां टलती रही हैं। संगठन सूत्रों की माने तो जिलाध्यक्षों के निर्वाचन के बाद प्रदेश के आला नेताओं ने जिले के आला नेताओं से चर्चा कर निगम मंडल, आयोग और प्राधिकरणों में नियुक्ति के लिए करीब चार दर्जन से अधिक नेताओं के नामों की सूची तैयार की थी पर इसके बाद मामला आगे नहीं बढ़ पाया। यह सूची तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के कार्यकाल में तैयार की गई थी। हाल ही में इसी सूची पर सीएम हाउस में सीएम के साथ प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने मंथन किया है। इस सूची को लेकर एक और बैठक राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश के साथ होनी है। इसके बाद इसे पार्टी हाईकमान को भेजा जाएगा। इसके बाद इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन पर फोकस
सरकार की मंशा है कि इन नियुक्तियों के माध्यम से सभी वर्गों और क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व मिले, जिससे आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में पार्टी को राजनीतिक लाभ मिल सके। बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले 45 निगम-मंडलों और बोर्डों में की गई पूर्ववर्ती नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। तब से अब तक इन संस्थाओं में कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है।
इन पूर्व मंत्रियों की हो सकती है ताजपोशी
जिन पूर्व मंत्रियों का राजनीतिक पुनर्वास होने की संभावना जताई जा रही है उनमें नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया, रामनिवास रावत, उमाशंकर गुप्ता का नाम शामिल है। नरोत्तम मिश्रा भाजपा की लगभग हर सरकार में असरदार मंत्री रहे। पिछला विधानसभा चुनाव दतिया से हारे। भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं से बेहद करीबी रिश्ते। भाजपा की न्यू जॉइनिंग टोली के प्रमुख, कांग्रेस के कई कद्दावर नेताओं समेत अन्य कार्यकर्ताओं को भाजपा में लाने का श्रेय। अरविंद भदौरिया शिवराज की पिछली सरकार में सहकारिता मंत्री रहे। पिछला विधानसभा चुनाव अटेर से कांग्रेस के हेमंत कटारे से हारे। विद्यार्थी परिषद से भाजपा की सक्रिय राजनीति में प्रवेश। संघ से भी करीबी रिश्ते। महत्वपूर्ण निगम मंडल में पद मिल सकता है। रामनिवास रावत कांग्रेस के पुराने दिग्गज नेता, लोकसभा चुनाव के समय पार्टी का दामन थामा, फिर भाजपा सरकार में वन जैसे महत्वपूर्ण महकमें के मंत्री भी रहे पर उपचुनाव में मिली पराजय के बाद मंत्री पद छोडऩा पड़ा। भाजपा अब उन्हें निगम मंडल में पद देकर उनका सम्मान बरकरार रखने की तैयारी में। उमाशंकर गुप्ता भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह मंत्री। 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के पीसी शर्मा से भोपाल के दक्षिण-पश्चिम विधानसभा से हारे। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया। अब निगम मंडल में पद देकर वरिष्ठता का सम्मान करने की तैयारी। इन पूर्व मंत्रियों के अलावा ऐसे नेताओं के नाम सूची में प्राथमिकता से रखे गए हैं जो पूर्व में विधायक रहे हैं और चुनाव में किन्ही कारणों से पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था। इसके अलावा वर्तमान में संगठन में प्रदेश संगठन के पदाधिकारियों के नाम भी सूची में हैं। इसके अलावा पूर्व संभागीय संगठन मंत्रियों को भी निगम मंडलों में मौका दिया जाएगा। ये शिवराज सरकार में भी निगम मंडलों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाए गए थे। इसके अलावा प्रदेश के शासकीय कालेजों में जनभागीदारी समिति में भी स्थानीय नेताओं को एडजस्ट करने की तैयारी चल रही है। जिला संगठन से विधायकों से चर्चा के बाद इन समितियों के अध्यक्षों के नाम ले लिए गए हैं। अब तक विधानसभा क्षेत्र स्थित कॉलेजों में विधायकों की पसंद के ही लोग जनभागीदारी समिति अध्यक्ष बनते आए हैं।
