
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की शिवराज सरकार जल्द ही प्रदेश के कई नामचीन उत्पादों की विदेशों में ब्रांडिग करने की योजना पर काम कर रही है। इससे निर्यात में मदद मिलने के साथ ही उत्पादकों के लिए भी विदेशों में बाजार उपलब्ध हो सकेगा। इस ब्रांडिंग के लिए प्रदेश के जीआई टैग उत्पादों का चयन किया गया है। इस काम के लिए अफसरों की एक टीम गठित की गई है। यह टीम इन उत्पादों के निर्यात करने में न केवल मदद करेगी , बल्कि उन्हें हर तरह से मदद करेगी , जिससे की निर्यात करने में आसानी हो सके। शुरुआती दौर में कुछ उत्पादों को पैकेजिंग कर उन्हें बतौर सैंपल के तौर पर विदेशों में भेजा जाएगा। विदेशी बाजारों में इसके बाद मिलने वाले प्रतिसाद का अध्ययन किया जाएगा, जिसके आधार पर निर्यात के लिए उत्पादों को भेजा जाएगा। इसकी शुरुआत रीवा में पैदा होने वाले सुंदरजा आम और रतलामी सेव से की जा रही है। निर्यात के लिए इनके सैंपलों की पैकेजिंग का काम शुरु भी किया जा चुका है। शुरुआत में इन उत्पादों को विदेशों में होने वाले बड़े आयोजनों में बतौर सैंपल नि:शुल्क वितरित किया जाएगा। इसके साथ ही तय किया गया है कि एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी), जिला निर्यात हब (डीईएच) और रिवर्स बायर सेलर मीट के माध्यम से जीआइ टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेशंस) उत्पादों की ब्रांडिंग की जाएगी। फिलहाल प्रदेश में ऐसे 21 उत्पाद हैं, जिन्हें जीआई टैग मिल चुका है। बीते कुछ सालों से प्रदेश सरकार राज्य के उत्पादों को जीआई टैग दिलाने का प्रयास कर रही है। मध्य प्रदेश सरकार चाहती है कि प्रदेश के हर छोटे बड़े उत्पाद को जीआई टैग मिले।
इन्हें मिल चुका है जीआई टैग
प्रदेश सरकार के लगातार प्रयासों से बीते कुछ सालों में प्रदेश के चंदेरी साड़ी, इंदौर के चमड़े के खिलौने, बाग प्रिंट, दतिया टीकमगढ़ के बेल मेटल वेयर, महेश्वर की साडिय़ां और कपड़े, नागपुरी संतरा, इंदौर के चमड़े के खिलौने (लोगो), रतलामी सेव, बाग प्रिंट (लोगो), झाबुआ का कडक़नाथ, बालाघाट का चिन्नोरी चावल, महोबा का देसावरी पान, मुरैना की गजक, रीवा का सुंदरजा आम, शरबती गेहूं, गोंड पेंटिंग, डिंडौरी का लौह शिल्प, उज्जैन बाटिक प्रिंट, ग्वालियर का हस्तनिर्मित कालीन, वारासिवनी की हथकरघा साड़ी और कपड़े, जबलपुर के पत्थरशिल्प को जीआई टैग मिल चुका है। इसके अलावा कुछ अन्य उत्पादों के लिए भी जीआई टैग पाने की कवायद जारी है।