
- पदोन्नति में आरक्षण पर आज सुनवाई
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र हाईकोर्ट में आज प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुनवाई होगी। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पुराने नियम (2002) और नए नियम (2025) में क्या फर्क है? आज सरकार इस मामले में अपना जवाब देगी। इस दौरान प्रदेश में पदोन्नति मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 से अभी होंगी या नहीं, यह हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई से साफ हो सकता है। सरकार कोर्ट को बताएगी कि 2025 के नियम में आरक्षण स्थायी नहीं है। पदोन्नति सशर्त यानी सुप्रीम कोर्ट में प्रचलित याचिका पर अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी।
सूत्रों का कहना है कि सरकार ने हाई कोर्ट में अपना जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है। उधर, सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था (सपाक्स) का तर्क है कि जब सरकार ने नए नियम बनाए, तो सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस क्यों नहीं ली गई। जो अधिकारी-कर्मचारी हाई कोर्ट द्वारा निरस्त नियम से पदोन्नत हुए उन्हें पदावनत किए बिना पदोन्नति कैसे दी जा रही है। यह तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है। जानकारी के अनुसार पदोन्नति पर रोक वर्ष 2016 में हाई कोर्ट जबलपुर के मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 को निरस्त करने के समय से लगी हुई थी। इस बीच एक लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारी बिना पदोन्नत हुए सेवानिवृत्त हो गए। कर्मचारी लगातार यह मांग उठाते रहे कि सरकार कोई रास्ता निकाले।
सभी वर्गों से संवाद के बाद बनाए नियम
मोहन सरकार ने सभी प्रभावित पक्षों से संवाद करके नए नियम बनाए, जिसका सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने इस आधार पर विरोध किया कि इसमें वही सब प्रावधान किए गए, जो पुराने नियम में थे। कोर्ट ने सुनवाई के बाद नए नियम के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए पुराने और नए नियम में अंतर का चार्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। सामान्य प्रशासन विभाग ने इन्हें तैयार करके महाधिवक्ता कार्यालय को उपलब्ध कराया है, जिसके आधार पर आज न्यायालय के समक्ष सरकार का पक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। उधर, सपाक्स के संस्थापक अध्यक्ष केपीएस तोमर का कहना है कि जब सरकार ने नए नियम बना लिए तो पुराने नियम को निरस्त किए जाने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस क्यों नहीं ली गई। यदि सशर्त पदोन्नति ही देनी थी तो फिर नौ वर्ष तक कर्मचारियों को मानसिक प्रताडऩा क्यों दी गई। 2002 के नियम से जो पदोन्नतियां हुईं, उन्हें पदावनत क्यों नहीं किया जा रहा है?
