आरएसएस के सब्जियां उगाने के प्रयोग को अपनाएगी सरकार

सब्जियां उगाने


भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरणा लेकर जैविक खेती खासतौर पर सब्जियां उगाने के लिए नई योजना बनाने की तैयारी की जा रही है। दरअसल संघ जैविक खेती के लिए गांव-गांव में नए प्रयोग कर रहा है। जिन्हें  जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल के मुताबिक इस योजना के तहत इस तरह के प्रयोग को पूरे प्रदेश स्तर पर लागू किया जाएगा।
मंत्री पटेल ने कहा कि संघ के प्रमुख रहे स्वर्गीय सुदर्शन की जयंती 18 जून को राज्य सरकार इस योजना को लांच करेगी। हाल ही में संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य भोपाल प्रवास पर पहुंचे थे। ज्ञात रहे कि संघ ने उनका मुख्यालय भोपाल रखा है। वैद्य ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार को अनेक सुझाव दिए हैं। यही वजह है कि इन सुझावों पर तुरंत अमल करने के लिए प्रदेश का कृषि विभाग तैयारियों में जुट गया है।
योजना को जन-जन तक पहुंचाने और अपनाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। इसमें प्रमुख रूप से किसानों को भूमि सुधार पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए जैविक पद्धति से खेती करने को प्रोत्साहित करना, गोपालन, नशा मुक्ति, शिक्षा और स्वच्छता को भी शामिल किया गया है। यही नहीं दिए गए सूझावों में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को छतों पर सब्जियां उगाने का प्रयोग भी शामिल है। इसके साथ ही प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के ग्राम मोहद और राजगढ़ जिले के गांव झिरी के मॉडल को प्रदेश के अन्य जिलों में लागू किया जाएगा।
‘समिधा’ में उगाई जा रहीं सब्जियां
आरएसएस के भोपाल स्थित कार्यालय समिधा भवन के छत पर जैविक पद्धति से कई प्रकार की सब्जियां उगाई जा रही है। खास बात है कि 500 वर्ग फीट के इस छोटे से टेरेस गार्डन में गोबर खाद से भरपूर सब्जियां पैदा हो रही है। इनमें लौकी के चार पौधों में करीब डेढ़ क्विंटल से ज्यादा लौकी का उत्पादन हुआ है। इसी तरह गिलकी, बैंगन, करेला, बरबटी और मिर्ची सहित अन्य मौसमी सब्जियां उगाई गई है। यही वजह है कि अब इससे प्रेरणा लेकर इस तरह के प्रयोग को पूरे प्रदेश स्तर पर योजना के माध्यम से लागू किया जाए।
गांवों में भी हो रहे प्रयोग
प्रदेश के कुछ जिलों में भी इस तरह की जैविक खेती के प्रयोग किए जा रहे हैं। इस क्रम में नरसिंहपुर जिले के ग्राम मोहद और राजगढ़ जिले के ग्राम झिरी में प्रयोग किए गए हैं। जो सफल रहे हैं। अब इन प्रयोगों को अन्य जिलों में भी लागू किए जाने की योजना है।

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