
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देशभर में बदनामी की वजह बन चुके निजी नर्सिंग कालेजों पर भले ही सरकार शिकंजा नहीं कस पायी हो, लेकिन न्यायालय ने सीबीआई को जांच सौंपकर इस मामलों की कई परतें उधड़वाकर रख दी हैं। इससे बहुत कुछ हद तक हकीकत सामने आने लगी है।
यही वजह है कि प्रदेश में सरकार के मुखिया बदलने के बाद अब इस साल नए निजी नर्सिंग कॉलेजों को खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। तय किया गया है कि इस साल सिर्फ पुराने निजी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता का ही नवीनीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि पूर्व सें संचालित निजी नर्सिंग कॉलेजों की सीटों में भी वृद्धि नहीं की जाएगी। इस बार कॉलेजों के लिए नवीनीकरण भी आसान नहीं होगा। कारण, हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने जिन कॉलेजों को उपयुक्त बताया है, उन्हें ही अन्य शर्तें पूरी करने पर मान्यता दी जाएगी। पहले इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आइएनसी) के मानकों के अनुरूप मान्यता देने की तैयारी थी, पर अब राज्य शासन द्वारा वर्ष 2018 में बनाए नियम और मापदंडों के आधार पर ही मान्यता देना तय किया है। इसकी बड़ी वजह यह भी है कि सीबीआई ने इन्हीं नियमों के आधार पर कॉलेजों की कमियों का मूल्यांकन किया है। मान्यता के लिए एक से 10 अक्टूबर तक आवेदन किए जा सकेंगे। 28-29 अक्टूबर को मान्यता प्रमाण पत्र जारी कर दिए जाएंगे। बता दें कि प्रदेश के नर्सिंग कॉलेज में गड़बड़ी को लेकर ला स्टूडेंट एसोसिएशन के विशाल बघेल ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर कोर्ट ने सीबीआई को कॉलेजों की जांच करने के लिए कहा था। मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण 2023-24 के सत्र में भी नए कॉलेजों को मान्यता नहीं मिल पाई थी न ही नवीनीकरण किया गया था।
इन शर्तों पर उतरना होगा खरा
मान्यता नियम 2018 के अनुसार संस्था के पास स्वयं का या संबद्ध 100 बिस्तर का अस्पताल होना अनिवार्य है। संस्थाओं को आवेदन के साथ जियो टैगिंग, आभा आइडी और नेशनल यूनिक आइडी संलग्न करना होगा। जियो टैगिंग एवं गूगल मैप आधारित अक्षांश-देशांतर दर्शाता हुआ अस्पताल भवन का सैटेलाइट फोटो लगाना होगा। शपथ पत्र देना होगा कि मान्यता नियम 2018 का पालन करेंगे नहीं तो मान्यता निरस्तीकरण या जुर्माना या दोनों तरह की कार्रवाई की जा सकेगी। यह शपथ पत्र भी देना होगा कि सीबीआई निरीक्षण के बाद संस्थाओं ने सुविधा, स्थान, बुनियादी संसाधन और फैकल्टी में अभी तक कोई परिवर्तन नहीं किया है। जिन संस्थाओं को वर्ष 2018 से लगातार मान्यता मिल रही थी, उन्हें चार वर्ष के लिए मान्यता मिल सकेगी। मान्यता प्रक्रिया हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर अंतिम आदेश के अधीन रहेगी।