प्रदेश में साढ़े तीन साल बाद खाली हो जाएंगे सरकारी दफ्तर

 सरकारी दफ्तर
  • सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती पर लगी रोक के दुष्परिणाम

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में कई विभागों में सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती पर रोक लगी हुई है। ऐसे में साल दर साल कर्मचारी तो रिटायर हो रहे हैं, लेकिन उनकी जगह नई भर्ती नहीं हो रही है। अगर सरकार ने सीधी भर्ती पर से रोक नहीं हटायी तो करीब साढ़े तीन साल बाद सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा पसर जाएगा। इसकी वजह यह है कि 2025 तक प्रदेश में कार्यरत कर्मचारियों में से 60.18 प्रतिशत कर्मचारी रिटायर हो जाएंगे। मंत्रालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राजधानी समेत प्रदेशभर के सरकारी दफ्तरों में कार्यरत 2 लाख 63 हजार अधिकारी-कर्मचारी अगले साढ़े तीन साल में रिटायर हो जाएंगे। इसी साल करीब 25 हजार अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे। कर्मचारी मामलों के जानकार एमपी द्विवेदी के मुताबिक अभी ज्यादातर पुराने कर्मचारी वे हैं जो वर्ष 1977-78 से सेवा में हैं। इस लिहाज से उनकी सेवा अवधि 44 साल और उम्र करीब 60 साल हो रही है। अगले 3 साल में यह सभी रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में सीधी भर्ती पर लगी रोक नहीं हटी तो विभागों में काम करने के लिए पर्याप्त नियमित कर्मचारी भी नहीं बचेंगे। फिलहाल सिर्फ स्कूल शिक्षा और गृह विभाग में  ही सीधी भर्तियों शुरू हो सकी हैं।
पिछले साल 22 हजार तो इस साल 15 हजार कर्मचारी होंगे रिटायर
प्रदेश में सरकार भर्तियां भले ही रुकी हुई हैं, लेकिन सरकारी अधिकारी-कर्मचारी हर साल रिटायर हो रहे हैं। वर्ष 2021 में 22 हजार 544 अधिकारी और कर्मचारी रिटायर हुए थे। इनमें वर्ष 1977-78 के आसपास सेवा में आए अधिकारी-कर्मचारी सबसे ज्यादा थे। 2001 में नियमित एम्प्लॉई 5 लाख 13 हजार थे, अब 4 लाख 37 हजार बचे हैं। रिटायर होने वालों में प्रथम श्रेणी अधिकारी- 1138, द्वितीय श्रेणी अधिकारी- 2136, तृतीय श्रेणी कर्मचारी- 15974 और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी- 3296 थे। वहीं इस साल 7 प्रमुख विभागों में ही 14 हजार 821 एम्प्लॉई रिटायर हो जाएंगे। सांख्यिकी अधिकारी जितेंद्र सिंह के मुताबिक 2001 में प्रदेश में नियमित अधिकारी-कर्मचारियों की संख्या 5 लाख 13 हजार थी। 31 मार्च 2018 में यह आंकड़ा घटकर 4,52,439 हो गया। मौजूदा स्थिति के मुताबिक प्रदेश में 4 लाख 37 हजार नियमित अधिकारी-कर्मचारी हैं।
सीधी भर्ती पर रोक हटाना होगी
जानकारों का कहना है कि कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए सरकार को सीधी भर्ती से रोक हटाना होगी।  कर्मचारी आयोग के पूर्व सदस्य वीरेंद्र खोंगल कहते हैं कि इतनी तादाद में रिटायरमेंट से विभागों में कार्य व्यवस्था प्रभावित होगी। राज्य सरकार के पास कैडर मैनेजमेंट की अब तक कोई पॉलिसी नहीं है, जो बनानी होगी। साथ ही सीधी भर्ती पर लगी रोक हटाना होगी। वहीं राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के चेयरमैन रमेशचंद्र शर्मा का कहना है कि विभागों में करीब 2.5 लाख अधिकारी-कर्मचारी 2025 के अंत तक रिटायर हो रहे हैं। इसकी बारीकी से समीक्षा कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जो मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी। इसमें व्यवस्था न बिगड़े, इसकी रूपरेखा भी शामिल रहेगी।

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