6 साल से प्राइवेट यूनिवर्सिटी में नियुक्त नहीं हुए सरकार के सदस्य

प्राइवेट यूनिवर्सिटी

– सरकारी सदस्यों के बिना कार्यपरिषद के कई निर्णय अधर में लटके
भोपाल/रवि खरे/ बिच्छू डॉट कॉम। उच्च शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देश के बाद भी प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों की गवर्निंग बॉडी में पिछले 6 साल से सरकार ने अपने सदस्यों की नियुक्ति नहीं की है। इस कारण निजी विश्वविद्यालयों की कार्यपरिषद में लिए गए गई निर्णय अधर में लटके हुए हैं। कई विश्वविद्यालयों ने सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में भी उच्च शिक्षा विभाग को पत्र भी लिखा है। क्योंकि वे ये जानते हैं कि कार्यपरिषद में जो भी निर्णय हो उसमें सरकार की राय होना जरूरी है। कुछ इसी तरह के प्रावधान निजी विवि के एक्ट में भी है। नियमानुसार, निजी विश्वविद्यालयों के गवर्निंग बॉडी में दो सदस्य सरकार की तरफ से नियुक्त किए जाते हैं। ये सदस्य कार्यपरिषद की बैठक में विश्वविद्यालय, परीक्षा, पाठ्यक्रम और विद्यार्थियों से जुड़े जो भी प्रस्ताव रखे जाते हैं, उसमें वे सरकार का पक्ष  रखते हैं। साथ ही विवि के जो भी प्रस्ताव उन्हें उचित नहीं लगते हैं उसे वे अस्वीकार करते हुए उन बातों को सरकार तक पहुंचाने का काम करते हैं। हालत यह है कि वर्तमान में किसी भी निजी विश्वविद्यालयों में इन सदस्यों की नियुक्ति सरकार ने नहीं की है। उच्च शिक्षा विभाग गवर्निंग बॉडी के सदस्यों की नियुक्ति का प्रस्ताव मंत्री के यहां भेजता है। मंत्री की सहमति के बाद प्रस्ताव सीएम के पास जाता है। सीएम की सहमति के बाद उसे राज्यपाल के पास भेजा जाता है और राज्यपाल नियुक्ति करते हैं।
ठंडे बस्ते में उच्च शिक्षा विभाग के प्रस्ताव
सूत्रों का कहना है कि निजी विश्वविद्यालयों के गवर्निंग बॉडी में सरकारी सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में उच्च शिक्षा विभाग ने मंत्रियों के यहां कई बार प्रस्ताव भेजा है लेकिन हर बार मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। यह स्थिति आज से नहीं बल्कि पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया के समय से है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी सदस्यों के नियुक्त नहीं हुई। इसके बाद वर्तमान मंत्री मोहन यादव के पास भी सदस्यों के नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन यहां भी फाइल ठंडे बस्ते में है। इस कारण निजी विश्वविद्यालय भी असमंजस में हैं।

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