मंडियों को करोड़ों के टैक्स की राशि नहीं दे रही सरकार, पड़े वेतन के लाले

 टैक्स की राशि

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार द्वारा मंडियों को करोड़ों रुपए के टैक्स की राशि का भुगतान अब तक नहीं किए जाने से मंडियों के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। खासतौर पर सी ग्रेड की मंडियों की हालत ज्यादा खराब है। दरअसल सरकार ने समर्थन पर गेहूं खरीदी के बाद अब तक मंडी शुल्क का भुगतान नहीं किया है। मंडी बोर्ड को सरकार से गेहूं धान के साथ ही अन्य फसलों की खरीदी पर लगभग सवा चार सौ करोड़ से भी अधिक मंडी शुल्क लेना है। यह राशि नहीं मिलने से प्रदेश की मंडियों में करीब पांच महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं बट पाया है।
उल्लेखनीय है कि कृषि उपज मंडियां खरीदी बिक्री पर डेढ़ रुपए शुल्क वसूलती हैं। सरकार ने इस साल गेहूं, बाजरा व धान के साथ ही अन्य फसलें समर्थन मूल्य पर खरीदी है। लेकिन अब तक मंडी शुल्क का भुगतान नहीं किया गया है। यही वजह है कि मंडी शुल्क नहीं मिलने से मंडियों की अर्थव्यवस्था धराशाई हो गई है।
बढ़ती जा रही हैं बोर्ड की सरकार से लेनदारी
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने चार साल पहले किसानों को बोनस देने के लिए मंडी बोर्ड से पांच सौ करोड़ रुपए लिए थे। यह राशि अब तक वापस नहीं की गई। इसके पहले भी सरकार अलग-अलग सालों में लगभग छह सौ करोड रुपए ले चुकी है। जिसे भी अब तक वापस नहीं किया गया है। ऐसे में सरकार पर बोर्ड की लेनदारी लगातार बढ़ती जा रही है और मंडिया आर्थिक नुकसान झेलने को मजबूर बनी है। यही नहीं मंडितो कि हालत यह हो गई है कि वे अब अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं दे पा रही हैं।
नहीं मिला चार-पांच महीने से वेतन
सरकार से टैक्स की राशि कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। वहीं अन्य खर्चो और रखरखाव के लिए भी उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा हालात सी ग्रेड के मंडियों की है। इनकी संख्या प्रदेश में लगभग पचास से भी ज्यादा है। केंद्र सरकार के नए मंडी एक्ट से प्रदेश की कृषि उपज मंडियों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। यही नहीं मन्फियों कि आय आधे से भी कम रह गई है। मंडी टैक्स से बोर्ड को तकरीबन बढ़ सौ करोड़ रुपए हर साल मिलता था लेकिन अभी तक छह सौ करोड़ रुपए भी नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में टैक्स नहीं मिलने के कारण विकास के काम भी अटक गए हैं।

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