निचले तबके तक बैंकिंग सुविधाओं पहुंचाने पर सरकार कर रही मंथन

 बैंकिंग सुविधाओं

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) को बढ़ाने और निचले तबके तक बैंकिंग सुविधाओं पहुंचाने के लिए सरकार ने खास योजना बनाई है। सरकार का मानना है कि इस योजना से प्रदेश में लोगों की क्रेडिट ग्रोथ बढ़ेगी। इस योजना को 6 अक्टूबर को होने वाली बैठक में पेश किया जाएगा। दरअसल, प्रदेश में लोगों की क्रेडिट ग्रोथ असंतुलित है। जहां भोपाल में हर व्यक्ति ने पिछले साल के मुकाबले 79000 रुपए अधिक कर्ज लिया। इस दौरान प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में लोगों ने नए कर्ज कम लिए। नतीजतन यहां हर व्यक्ति का औसतन कर्ज 112 रुपए घटा। इसके मायने यह हैं कि इंदौर में लोगों ने अपने घर, कार और उद्योग चलाने के लिए जो पुराने कर्ज लिए थे, वे उनकी ईएमआई तो चुकाते रहे, लेकिन नए कर्ज लेने से बच रहे है।
हर किसी के लिए कर्ज
प्रदेश में क्रेडिट ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज की दर बढ़ाने के लिए मत्स्य पालन और दुग्ध पालन को भी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के दायरे में लाया गया है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी फेरी वालों के लिए कर्ज की व्यवस्था की गई है। एसएलबीसी मप्र के समन्वयक एसडी माहूरकर का कहना है कि मप्र सरकार तेजी से विकास हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। बैंक उसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। जो जिले अभी भी पीछे हैं। वहां काम तेजी से बढ़ाया जाएगा।
भोपाल में आर्थिक गतिविधियों में अप्रत्याशित तेजी
कर्ज के जरिए सरकार आत्मनिर्भर मप्र के तय लक्ष्यों को हासिल करना चाहती है। कर्ज में वृद्धि को आर्थिक विकास का सबसे अहम पैमाना माना जाता है। इस आधार पर भोपाल में जहां आर्थिक गतिविधियों में अप्रत्याशित तेजी आई। यह बातें मप्र राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की एक विशेष रिपोर्ट में कही गई। इसकी एक अहम बैठक होने वाली है। इसमें प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) को बढ़ाने और निचले तबके तक बैंकिंग सुविधाओं पहुंचाने पर सरकार मंथन कर रही है। इस बैठक में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हो सकते हैं। 2019-20 में राजधानी में हर व्यक्ति पर औसतन कर्ज 301,570 रुपए था, जो 2020-21 में यह 26 प्रतिशत बढ़कर 380,529 रुपए हो गया। इस दौरान इंदौर में कर्ज की वृद्धि दर नकारात्मक चली गई।

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