
- 3 महीने में चौथी बार कर्ज लेने जा रही मप्र सरकार
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सरकार लगातार कर्ज ले रही है। सरकार एक बार में 5000 करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। यह चौथी बार है, जब मप्र सरकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लेगी। बड़ी बात यह है कि मध्य प्रदेश पिछले तीन महीने में चौथी बार कर्ज लेने जा रही है। इससे पहले भी मोहन सरकार ने 5000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। जानकारी के अनुसार 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज सरकार आज ही लेगी। लोन की यह राशि दो अलग-अलग कर्ज के रूप में ली जा रही है, जो 2500-2500 करोड़ रुपए की है। इसके पहले 24 सितंबर को 2500-2500 करोड़ के दो लोन राज्य सरकार ने लिए थे। आज लिए जाने वाले कर्ज के बाद मोहन यादव सरकार पर चालू वित्त वर्ष में कर्ज का आंकड़ा 20 हजार करोड़ पहुंच जाएगा। जबकि राज्य सरकार पर कुल कर्ज 3 लाख 95 हजार करोड़ से अधिक हो जाएगा।
एक वर्ष में 49,000 करोड़ का कर्ज
गौरतलब है प्रदेश सरकार चौथी बार 5000 करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है। अगस्त और सितंबर के महीने में सरकार द्वारा लिए जाने वाले कर्ज का आंकड़ा 20 हजार करोड़ तक पहुंच जाएगा। अगस्त महीने में सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। फिर 31 मार्च 2024 को खत्म हुए वित्त वर्ष में 3 लाख 75 हजार 578 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था, जबकि एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक सरकार ने एक साल में 44 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था। अगर देखा जाए तो विगत एक वर्ष में मप्र सरकार 49,000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है।
64 हजार करोड़ रुपए का लोन ले सकेगी
वित्त विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मप्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के शुरुआती चार महीने में कोई लोन नहीं लिया था। वित्तीय वर्ष 2024-25 में सरकार अधिकतम 64 हजार करोड़ रुपए का लोन ले सकेगी। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कर्ज की राशि इन्फ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट पर खर्च की जाएगी। कोई भी राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का अधिकतम 3 प्रतिशत की सीमा तक ऋण ले सकता है। मप्र का सकल घरेलू उत्पाद करीब 15 लाख करोड़ रुपए है। इसी के अनुपात में मप्र सरकार की कर्ज लेने की सीमा निर्धारित की गई है। वित्त अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के तहत किसी भी राज्य सरकार को कर्ज लेने की सहमति देती है। केंद्र की सहमति के बिना कोई राज्य ऋण नहीं ले सकता है।
11 और 19 साल की अवधि के लिए होंगे दोनों कर्ज
आज लिया जाने वाला पहला 2500 करोड़ रुपए का कर्ज 11 साल के लिए होगा। सरकार ब्याज समेत इस राशि का भुगतान अक्टूबर 2035 तक करेगी। दूसरा कर्ज 2500 करोड़ का होगा जो 19 साल के लिए लिया जा रहा है। इस कर्ज का भुगतान ब्याज के साथ अक्टूबर 2043 तक किया जाएगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के अगस्त महीने में पहले 2500-2500 करोड़ रुपए के चार कर्ज लिए थे। पहले राउंड में 6 अगस्त को 2500-2500 करोड़ रुपए के दो कर्ज लिए गए थे। इसके बाद 2500-2500 करोड़ के दो कर्ज सरकार ने 27 अगस्त को लिए हैं। कर्ज की इस राशि से सरकार ने लाड़ली बहना योजना की किस्त और कर्मचारियों को महंगाई राहत के एरियर्स के भुगतान की कार्यवाही की है। मप्र की जनता पर 31 मार्च 2024 को खत्म हुए वित्त वर्ष में 3 लाख 75 हजार 578 करोड़ रुपए का कर्ज है। एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक बीजेपी सरकार ने एक साल में 44 हजार करोड़ रुपए कर्ज लिया था। इसके पहले 31 मार्च 2023 को सरकार पर कर्ज की राशि 3 लाख 31 हजार करोड़ रुपए से अधिक थी।
करीब 4 लाख करोड़ का कर्ज
अगस्त 2024 के शुरुआत में मप्र सरकार ने 2500-2500 करोड़ रुपए का कर्ज दो किश्तों में मप्र सरकार ने 5000 करोड़ का कर्ज लिया था। यह कर्ज भी 11 साल और 21 साल की अवधि के लिए लिया गया था। 22 अगस्त 2024 को 2500-2500 करोड़ रुपए के दो किश्तों में 5 हजार रुपए का कर्ज 14 और 21 साल की अवधि के लिए फिर लिया गया। 24 सितंबर को 2500-2500 करोड़ रुपए का कुल 5 हजार करोड़ का कर्ज सरकार ने लिया,यह कर्ज 12 साल और 19 साल की अवधि के लिए लिया गया। मप्र सरकार पर 31 मार्च, 2024 की स्थिति में 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 42 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इसमें से 17 हजार 500 करोड़ रुपए का लोन मोहन सरकार के समय और 25 हजार करोड़ रुपए का लोन तत्कालीन शिवराज सरकार के समय लिया गया था। बीते वित्त वर्ष में मप्र सरकार की कर्ज लेने की सीमा 47 हजार 560 करोड़ रुपए थी। अब 5000 करोड़ का कर्ज लेने से राज्य सरकार पर कुल कर्ज 3 लाख 95 हजार करोड़ से अधिक हो जाएगा।