सरकार भूली कारम बांध

कारम बांध
  • दोषियों को भी किया जा चुका है बहाल

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार से लेकर शासन तक की कार्यशैली अजब गजब है। इसका उदाहरण कारम बांध है। इसके टूटने पर बेहद सक्रिय नजर आने वाली सरकार व शासन ने अब इस मामले को पूरी तरह से भुला दिया है। यही नहीं बांध का पुर्ननिर्माण भले ही शुरू नहीं हो सका है , लेकिन दोषी अफसर जरुर बहाल होकर नए सिरे से पदस्थापनाएं पा चुके हैं।
    अब तो लगता है कि इस मामले से संबंधित फाइल को ही बंद कर दिया गया है। शायद यही वजह है 8 महीने बाद भी बांध को फिर से बनाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। दरअसल यह निर्माणाधीन बांध 14 अगस्त 2022 को फूट गया था। इसके बाद मची हायतौबा के बाद मंत्रियों से लेकर अफसर तक मौके पर गए थे , लेकिन इसके बाद इन सभी ने उसकी तरफ मुडक़र देखना भी मुनासिब नहीं समझा है। हालांकि इस बीच बांध की गुणवत्ता पर सवाल उठाकर जिन इंजीनियरों को निलंबित किया था, उन्हें बारी-बारी से बहाल कर पदस्थापना दे दी गई है। निर्माता कंपनी दिल्ली की एनएनसी कंस्ट्रक्शन और उसकी सहयोगी ग्वालियर की सारथी कंस्ट्रक्शन को सिर्फ ब्लैकलिस्ट कर इतिश्री कर ली गई है।  जल संसाधन विभाग ने बांध फूटने की जांच के लिए गठित की गई कमेटी की रिपोर्ट और इंजीनियरों के टीप के आधार पर केंद्रीय जल आयोग को पत्र लिखकर जरुर कारम बांध को फिर से बनवाने के लिए मार्गदर्शन मांगा है। इसके पीछे विभाग का तर्क है कि कारम बांध से पानी निकालने का ऑपरेशन पीएमओ और भारत सरकार की एजेंसियों के निगरानी में किया गया था। ऐसे में अब आगे बांध को किस तरह से बनाना है, इसका सुझाव सीडब्ल्यूसी ही देगा। खास बात यह है कि अभी तक कारम बांध को बनाने की दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। विभाग के इंजीनियर और अफसर अगले चुनाव तक इस मामले को टालना  चाहते हैं। कारम बांध मामले के जांच दल में तत्कालीन अपर सचिव जल संसाधन आशीष कुमार, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र भोपाल के वैज्ञानिक डॉ. राहुल कुमार जायसवाल, मुख्य अभियंता ब्यूरो ऑफ डिजाइन एंड हायडल, जल संसाधन भोपाल दीपक सातपुते और संचालक बांध सुरक्षा भोपाल अनिल सिंह शामिल थे। समिति ने रिपोर्ट में डिजाइन, टेंडर शर्तें, सुपरविजन आदि को क्लीन चिट दी। जिससे बड़े अफसर और इंजीनियर बच निकले। रिपोर्ट शासन को मिलने के बाद अन्य पर कार्रवाई करनी थी, जो अभी तक नहीं की गई। बांध का निर्माण सिंचाई के लिए किया था। घटिया निर्माण की वजह से समय पर सिंचाई नहीं हुई। बांध भी समय पर नहीं बना। किसानों और सरकार को हुई क्षति का हर्जाना कौन देगा। हालांकि यह कंपनी से वसूला जाना चाहिए।
    ब्लैक लिस्ट करने के बाद मांगा वर्क प्लान
    कारम बांध प्रोजेक्ट 304 करोड़ का है। जिसमें से बांध की पाल एवं अन्य काम 97 करोड़ का है। बांध का निर्माण कर रही दिल्ली की एएनएस कंपनी ने पूरा काम ग्वालियर की सारथी कंस्ट्रक्शन कंपनी को दे दिया था। विभाग ने कंपनी को काम से ज्यादा भुगतान भी किया। न ठीक से मिट्टी की पाल बनाई और न गेट लगाए। बांध का काम देख रहे इंजीनियरों ने भी भरपूर लेतलाली की। पार पर डाली गई मिट्टी कॉम्पैट नहीं हो गई। जिससे बांध में पानी आने पर मिट्टी दबाव सह नहीं पाई और रिसाव आ गया। तबाही से बचने के लिए आनन-फानन में सुराख कर तालाब खाली करना पड़ा था। तब लापरवाही सामने आने पर कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया। बाद में गुपचुप तरीके से शेष काम करने का वर्क प्लान भी मांग लिया।

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