केंद्र की मंशा पर… पानी फेर रहे प्रदेश के सरकारी इंजीनियर

सरकारी इंजीनियर
  • फ्लाई एश ब्रिक्स की जगह कर रहे एएसी ब्लॉक पर फोकस

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ केन्द्र सरकार फ्लाई एश ब्रिक्स सहित फ्लाई एश से बनने वाले अन्य सामानों को बढ़ावा दे रही है तो वहीं मप्र के सरकारी इंजीनियर उसकी मंशा पर पानी फेरने में लगे हुए हैं। खास बात यह है कि इस मामले में सरकार भी चुप्पी साधे हुए है। केन्द्र दो साल पहले 2021 में एक  नोटिफिकेशन जारी कर निर्माण कार्यों में फ्लाई एश प्रोडक्ट का उपयोग करने को कहा चुका है। इसमें प्रमुख रुप से फ्लाई एश ब्रिक्स शामिल है। इसकी गुणबत्ता के लिए आईएसआई मार्क लेना भी जरूरी किया जा रहा है। इसके उलट प्रदेश में बनाए जा रहे सीएम राइज स्कूल के निर्माण सहित अन्य सरकारी भवनों में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर फ्लाई एश ब्रिक्स की बजाय एएसी (ऑटोक्लेव्ड एयरेटेड कंक्रीट) ब्लॉक के इस्तेमाल पर पूरा जोर लगा रहे हैं। इसके लिए 5 करोड़ की लागत से अधिक के सभी भवनों में केवल एएसी ब्लॉक लगाने का नियम लागू भी कर दिया गया है। इस मामले में फ्लाई एश ब्रिक्स के निर्माताओं का आरोप है कि फ्लाई एश ब्रिक्स की गुणवत्ता पर सवाल उठा कर महंगे एएसी ब्लॉक को बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है। जबकि भोपाल में ही स्मार्ट सिटी की जिस बिल्डिंग की दीवार गिरी वह एएसी ब्लॉक की बनी हुई है। दरअसल हाल ही में पीडब्ल्यूडी की पीआईयू शाखा द्वारा  बिल्डिंग निर्माण की बेहतर गुणबत्ता के लिए इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस के एक्सपट्र्स की एक वर्कशाप आयोजित की थी , जिसमें मुंबई के एक्सपट्र्स ने एएसी ब्लॉक का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी। इसके पीछे पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर व एक्सपर्ट का तर्क था कि फ्लाई एश ब्रिक्स की गुणवत्ता अच्छी नहीं है।  इनमें फ्लाई एश की जगह रेत मिलाई जा रही है।
दो हजार  निर्माता है फ्लाई एश ब्रिक्स के
एसोसिएशन ऑफ फ्लाई एश प्रोडक्ट्स मेन्यूफेक्चरर्स एसोसिएशन इस मामले में इंजीनियर्स के तर्क से सहमत नहीं है। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष देवेंद्र पाल सिंह चावला का कहना है कि फ्लाई एश ब्रिक्स की स्ट्रेंथ एएसी ब्लॉक से अधिक होती है और वह सस्ते भी होते हैं। उनका दावा है कि फ्लाई एश ब्रिक्स से बनी बिल्डिंगों की गुणबत्ता की कोई भी जांच कर सकता है। प्रदेश में एएसी ब्लॉक के निर्माता भी गिने-चुने हैं। प्रदेश के 2000 से ज्यादा फ्लाई एश ब्रिक्स निर्माताओं के लिए यूनिट चलाना मुश्किल हो जाएगा।
व्हाइट कैटेगरी पर्यावरण की होती है सुरक्षा  
खास बात यह है कि फ्लाई एश निर्माण में प्रदूषण नहीं होता है। यही वजह है कि इसे व्हाइट कैटेगरी में रखा गया है, जबकि एएसी ब्लॉक इंडस्ट्री को ऑरेंज कैटेगरी में रखा गया है यानी उससे प्रदूषण होता है।

Related Articles