थोड़ी- थोड़ी शराब पीने से सरकार चिंतित, अफसर सक्रिय

अफसर सक्रिय

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की नौकरशाही को भले ही आम आदमी की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं हो, लेकिन उसे शराब बिक्री जैसी बुराई में कमी आने से जरुर चिंता में डाल देती है। सुप्रसिद्ध गजलकार पंकज उदास की गजल मंहगी हुई शराब कि थोड़ी-थोड़ी पिया करो पर लोगों के अमल ने सरकार और उसकी नौकरशाही की पेशानी पर बल डाल दिया है। यह हाल तब हैं जब प्रदेश में एक तरफ सरकार द्वारा ही नशे को सामाजिक बुराई के रुप में प्रचारित कर लोगों को उससे दूर रहने की सलाह दी जाती है, और मंच से बड़े से बड़ा नेता और अफसर शराब को बुरी लत बताने में नहीं थकते हैं। तो दूसरी ओर नशे के रुप में शराब की खपत कम होने पर अधिक बिक्री के लिए रणनीति बनाने में लग जाते हैं।
सरकार व नौकरशाही की हालत यह है कि हाल ही में सूबे में करीब बीस फीसदी शराब की ब्रिकी में कमी क्या आयी पूरी नौकरशाही में हलचल मच गई। इस हलचल को इससे ही समझा जा सकता है कि शराब बिक्री के लिए बाकायदा विभाग की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने अधीनस्थ अफसरों की बैठक तक बुला ली है। इस बैठक में शराब की खपत बढ़ाने के उपायों पर चर्चा कर अफसरों से सुझाव लेकर उन पर चर्चा की जाएगी। बैठक में आबकारी आयुक्त व सभी उपायुक्तों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल होने को कहा गया है। शायद प्रदेश में यह पहला मौका है जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से इस तरह की बैठक की जा रही है, जिसमें शराब की बिक्री बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी। खास बात यह है कि इस बैठक को इतनी जल्दबाजी में बुलाया गया है कि विभागीय अफसरों को शामिल होने के लिए एक दिन का भी समय नहीं दिया गया है। इस संबंध में बीते रोज ही विभाग के उपसचिव ने आबकारी आयुक्त को पत्र लिख कर अगले ही दिन दोपहर में सभी अफसरों को शामिल होने के लिए निर्देशित करने को कहा है। यह कवायद प्रदेश मे ऐसे समय की जा रही है जब शराब को लेकर कई बार सार्वजनिक रुप से प्रदेश की पूर्व मुखिया रहीं उमाभारती अभियान चलाने की बात कह चुकी हैं। यही नहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी प्रदेश में शराबबंदी के लिए कदम बढ़ाने की बात कहते रहते हैं।
बीस फीसदी की आई कमी प्रदेश में  
अगर सरकारी आंकड़ों को देखें तो प्रदेश में हर दिन लोगों द्वारा करीब तीस करोड़ रुपए की शराब पी ली जाती है। कारोना के बाद से प्रदेश में लगातार शराब की बिक्री में कमी आ रही है। यह कमी धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है। इसकी वजह से अब शराब की ब्रिकी में बीस फीसदी तक की स्थाई कमी आ चुकी है। इसकी वजह से सरकार की चिंताए बढ़ गई हैं। सरकार को आम आदमी में इस बुराई को लेकर होता सुधार रास नही आ रहा है, जिसकी वजह से अब अधिक शराब बिक्री के लिए नए उपाय तलाशने के लिए बैठक बुलाई गई है।
नकली शराब भी है बड़ी वजह
मध्यप्रदेश में शराब पड़ोसी राज्यों की तुलना में अत्याधिक महंगी है, इसकी वजह है कर का अधिक होने के साथ ही ठेकेदारों के सिंडिकेट की मनमानी होना। हालत यह है कि शराब ठेकेदार सौ फीसदी शराब की ड्यूटी जमा करने के बाद भी शराब नहीं उठाते है। शराब न उठाने की वजह ब्रिकी न होने को बताया जाता है, जबकि असल में पूरा खेल होता है गुपचुप शराब बुलाकर उसकी ठेकों पर बिक्री के रुप में। इसके अलावा मंहगी शराब होने की वजह से दूसरे राज्यों से सस्ती शराब तस्करी कर तो बड़े पैमान पर लाई ही जाती है साथ ही सस्ती होने की वजह से नकली शराब का भी चलन बढ़ा है। खास बात यह है के प्रदेश में नकली शराब पीने से कई जिलों में लोगों की मौतें हो चुकी हैं। इसकी जांच भी सरकार द्वारा कराई गई, जिसकी रिपोर्ट और उसमें दिए गए सुझावों पर अब तक कोई अमल ही नहीं किया गया है। जिसकी वजह से तस्करों द्वारा अभी भी जमकर अवैध रूप से न केवल शराब लाई  जा रही है बल्कि बनाई भी जा रही है।
भंडारण निजी हाथों में देने की तैयारी
विभाग द्वारा अब कुछ दिन के इंतजार के बाद एक बार फिर से विदेशी मदिरा के भंडारण का काम निजी हाथों में देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए भी आज विभाग द्वारा अलग से बैठक बुलाई गई है। यह बैठक प्रदेश में संचालित शासकीय विदेशी मदिरा भंडारण गृहों की निजी क्षेत्र में देने के लिए गठित समिति की बुलाई गई है। इस कमेटी का अध्यक्ष आबकारी आयुक्त आशीष भार्गव को बनाया गया है। खास बात यह है कि यह समिति आय में वृद्धि के उपायों के तहत भंडारण निजी क्षेत्र को देने पर भी चर्चा करेगी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अभी पन्द्रह शासकीय मदिरा भंडारण गृह हैं, जिनका किराया सरकार को मिलता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि उत्तर प्रदेश व एनसीआर के शराब के बड़े कारोबारी पोंटी चड्ढा इन दिनों इसके लिए प्रदेश में बेहद सक्रिय हैं।
सरकार को होती है हर साल दस हजार करोड़ की आय
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश सरकार को हर साल शराब बिक्री से दस हजार करोड़ के लगभग आय होती है। यह आय उसे शराब से ड्यूटी के रूप में होती है। प्रदेश में  कोरोना के बाद से लगातार शराब पीने वालों की संख्या में कमी आती जा रही है। इसके पीछे आबकारी विभाग के अफसरों का तर्क है कि निजी क्षेत्र में काम करने वाले हजारों युवाओं की नौकरी छूटने और वेतन कम होने की वजह से युवाओं ने या तो शराब पीना बंद कर दिया है, या कम कर दिया है। शादी-ब्याह के बड़े-बड़े आयोजन भी बंद रहने से एक साथ होने वाली शराब की बिक्री में कमी आयी है। उनका कहना है कि अधिकांश कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम में कार्य कर रहे हैं, जिससे घर से बाहर नहीं निकलते। छात्रों की भी आॅनलाइन पढ़ाई होने से वे बाहर नहीं निकल रहे है, इससे बीयर की खपत में कमी आयी है। मजदूरों को भी अब उतनी मजदूरी नहीं मिल रही है, जितनी कोरोना से पहले मिलती थी। इससे शराब की बिक्री में लगातार कमी आ रही है।

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