पदोन्नति में आरक्षण के समर्थन में सरकार ने फूंके करोड़ों

आरक्षण

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश सरकार राजनैतिक फायदे के लिए आमजन की गाड़ी कमाई से मिले कर के पैसों का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपए उन वकीलों पर अब तक खर्च कर चुकी है, जिनके द्वारा पदोन्नति में आरक्षण के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा जा रहा है। खास बात यह है कि इन वकीलों का चयन भी आरक्षित वर्ग की सलाह पर ही किया गया है। यह राशि बतौर फीस वकीलों को दी गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फीस के रुप में वकीलों पर अब तक 12 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इस मामले में अब भी कोर्ट में सुनवाई जारी रहने की वजह से खर्च का आंकड़ा बढ़ना तय है। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट 22 फरवरी से राज्यवार प्रकरणों में सुनवाई करने जा रहा है। दरअसल मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आरक्षित वर्ग को खुश करने के लिए सरकार ने अपने खर्च पर वकील उपलब्ध कराए थे। इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि वे सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए जिस वकील को पसंद करेंगे, सरकार उसका पूरा खर्च उठाएगी। इसके बाद अजाक्स (अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ) ने अलग-अलग समय में करीब 10 वकीलों के नाम सरकार को दिए थे, जो पिछले दो साल से मामले में लगातार पैरवी कर रहे हैं। गौरतलब है कि पदोन्नति में आरक्षण मामला जून 2016 से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इस दौरान प्रदेश में 60 हजार से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उनमें से 32 हजार को इन्हीं सालों में पदोन्नति मिलनी थी। अब सरकार ने पदोन्नति देने के संबंध में अपने स्तर से आंकलन करा लिया है। चूंकि, अधिकांश कर्मचारियों को क्रमोन्नति दी जा चुकी है, इसलिए उन्हें वरिष्ठ  पद का वेतनमान दिया जा रहा है। पदोन्नति देने पर सरकार के ऊपर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं आएगा, क्योंकि आर्थिक लाभ भूतलक्षी प्रभाव से नहीं दिए जाएंगे। यह बात अलग है कि सरकारों की भूमिका सभी के लिए मुंह के समान होनी चाहिए, लेकिन शिव सरकार अपने राजनैति फायदे व वोट बैंक के लिए सिर्फ आरक्षित वर्ग के साथ ही खड़ी हुई है।
नहीं लिया सबक
बीते आम विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जिस तरह से सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा आरचण के पक्ष में माई के लाल वाला बयान दिया गया था, उससे भाजपा को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। उनके इस बयान की वजह से ही पूरे प्रदेश में आंदोलन की स्थिति बन गई थी और ग्वालियर अंचल में तो हिसंक आंदोलन तक हो गया था। इसकी वजह से सवर्ण मतदाताओं ने भाजपा की जगह कांग्रेस का साथ दिया था, जिससे प्रदेश में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस सत्ता पाने में सफल रही थी। इसके बाद भी सरकार का मोह इस मामले में नहीं छूट पा रहा है।
सरकार का नहीं छूट रहा एक वर्ग का मोह : सपाक्स
अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों के संगठन सपाक्स (सामान्य, पिछड़ा, अल्पसंख्यक अधिकारी- कर्मचारी संस्था) के अध्यक्ष केएस तोमर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। एक तरह से फैसला आ चुका है, पर सरकार का एक वर्ग विशेष से मोहभंग नहीं हो पा रहा है। इसी मोह में सरकार ने दूसरे वर्गको नाराज कर लिया। सरकार आज भी उसी वर्ग के पक्ष में सोच रही है। जनता के पैसे से सरकार ने एक वर्ग पर 12 करोड़ की रकम खर्च कर दी, यह न्यायोचित नहीं है।

Related Articles