गोंगपा फिर बिगाड़ेगी खेल जयस ने भी फंसाया फच्चर

  • गौरव चौहान
गोंगपा

लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी कांग्रेस का खेल बिगाड़ने के लिए तैयार है। दरअसल वह कांग्रेस के प्रभाव वाले इलाके की दस लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे को तैयार है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भी यह क्षेत्रीय दल कई सीटों पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ चुकी है। इसके बाद अब उसके द्वारा वह शहडोल, मंडला, सागर, दमोह, जबलपुर, बालाघाट, छिदंवाड़ा, होशंगाबाद, देवास, बैतूल सहित 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी गई है। इसी तरह से जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) भी अपने प्रभाव वाली सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। वह भी धार खरगौन जैसी आरक्षित सीटों पर चुनाव लडऩे की इच्छा रखती है। उधर, क्रांति जनशक्ति पार्टी भी बालाघाट, शहडोल, छिंदवाड़ा सीटों पर अपनी सक्रियता दिखा रही है, जबकि भारत आदिवासी पार्टी (बाप) रतलाम, आलीराजपुर व बड़वानी में तेजी से अपना प्रभाव दिखा रही है।  विधानसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के अलावा अन्य किसी दल को कोई विधायक जीता है तों, वह बाप पार्टी ही है। इसके बाद इस दल के विधायक द्वारा लोकसभा चुनाव लड़ने की पहले ही घोषणा की जा चुकी है। गौरतलब है कि कांग्रेस पहले से ही सपा से गठबंधन करने की वजह से इस बार 28 सीटों पर चुनाव लडऩे जा रही है। उसने एक सीट खुजराहो सपा के लिए छोड़ दी है।
जयस का फच्चरजयस इन दिनों दो गुटों में फंसी हुई है, जिसकी वजह से कांग्रेस के सामने भी मुश्किल बनी हुई है। इसके एक गुट डां. हीरालाल अलावा का कांग्रेस को समर्थन है, जबकि दूसरे लोकेश मुजाल्दा का गुट कांग्रेस से इतर हटकर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। अलावा का गुट कांग्रेस से धार, खरगोन सीट मांग रहा है। यह गुट धार से महेंद्र कन्नौज, खरगोन से प्यारेलाल खरते को लड़ाना चाहता है। इसी तरह से दूसरा लोकेश मुजाल्दा व विक्रम अच्छालिया का गुट आरक्षित सीटों में शामिल शहडोल, मंडला, रतलाम, धार, खरगोन व बैतूल में अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रहा है। फिलहाल इन दोनों ही दलों को कांग्रेस से सीट मिलना मुश्किल नजर आ रही है।  
बसपा भी करेगी नुकसान
विधानसभा चुनाव में गोंगापा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लडऩे वाली बसपा भी इस बार प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा कर चुकी है। उसे हाल ही में हुए विस चुनाव में 2023 विधानसभा चुनाव में 178 सीटों पर महज 3.4 फीसदी वोट मिले और कोइ भी सीट नहीं जीत सकी थी, जबकि पांच साल पहले हुए चुनाव में उसे 5 फीसदी मत मिले थे। गौरतलब है कि प्रदेश में  दलित वोटर्स की संख्या 17 फीसदी और आदिवासी वोटर्स की संख्या मध्य प्रदेश में 22 फीसदी है।
विधानसभा चुनाव में ऐसा रहा प्रदर्शन
अगर हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो जयस समर्थित उम्मीदवारों ने आलीराजपुर, थांदला, सरदारपुर, पेटलावद, टिमरनी, मांधाता, भीकनगांव, बड़वाह, भगवानपुरा, झाबुआ, जोबट, नेपानगर, महू, रतलाम ग्रामीण, महेश्वर, बैतूल, राजपुर व पानसेमल जैसी 18 विधानसभा सीटों पर चुनाव  लड़ा था। जहां पर उसके प्रत्याशियों को एक लाख से भी कम कुल 98,288 वोट मिले थे और उसका कोई प्रत्याशी नहीं जीत सका था। इसकी वजह से कांग्रेस कोई भी सीट देने को तैयार नही है। इसी तरह से बाप पार्टी ने एक सीट जीतकर जरूर सभी को चौंकाया है, जिसकी वजह से इस दल पर सभी की निगाहें हैं। विधानसभा चुनाव में भले ही इस दल के किसी भी प्रत्याशी को जीत नहीं मिली हो , लेकिन उसने कई सीटों पर कांग्रेस को हारन पर जरूर मजबूर कर दिया। अगर गोंगापा की बात की जाए तो उसने मंडला, शहडोल, बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल, सीधी, सतना, दमोह समेत 1 अन्य लोकसभा क्षेत्र में आने वाली 75 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। भले ही उसे भी किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली हो , लेकिन उसने 392120 से ज्यादा वोट पाए, जिसकी वजह से भी कई सीटों पर कांग्रेस हार का सामना करना पड़ा है। यह बात अलग है कि इस दौरान उसके वोट शेयर में पचास फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। 2018 के विधानसभा चुनाव में उसे 1.8 फीसदी वोट मिले थे , जो कम होकर इस बार महज 0.9 फीसदी रह गया। फिलहाल जयस एक एक गुट के नेता विधायक डॉ. हीरालाल अलावा का कहना है कि धार, खरगोन के लिए प्रभावी उम्मीदवार हैं, इसलिए सीटें मांगी हैं। यदि नहीं भी मिलती हैं तो कांग्रेस का समर्थन करेंगे, जबकि दूसरे गुट के नेता इंजी. लोकेश मुजाल्दा का कहना है कि  आदिवासी समुदाय के प्रभाव वाली सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। संगठनों से बातचीत जारी है। निर्दलीयों का सहयोग लेंगे।

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