
मप्र में गोबर और गोमूत्र खरीदेगी सरकार
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार जल्द ही राज्य में गोबर और गोमूत्र खरीदने का काम करेगी। बताया जा रहा है कि इसके लिए योजना तैयार हो चुकी है। जल्द ही इस योजना पर शिवराज कैबिनेट की मुहर लग सकती है। बता दें कि मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में गोबर और गोमूत्र खरीदा जा रहा है।
मध्य प्रदेश गौ संवर्धन बोर्ड ने छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना का अध्ययन किया है। जिसके बाद सरकार ने इस योजना पर काम करने की तैयारी की है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में यह योजना लागू और इसका अच्छा रिस्पॉन्स भी मिला है। इसको देखते हुए चुनावी साल में किसानों को रिझाने सरकार ने अब मध्यप्रदेश में भी गोबर और गो-मूत्र खरीदने की तैयारी कर ली है। शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में गोबर धन योजना के प्रारूप को तैयार करने के अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हैं। इसमें मध्य प्रदेश में मौजूदा गौवंश की संख्या के हिसाब से किस भाव में कितना गोबर और गौ मूत्र खरीदा जाएगा, इसका खाका तैयार करना है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शहरों और ग्रामीण अंचलों में गोबर और गौमूत्र खरीदी केंद्र और प्रोजेक्ट तैयार करने के साथ ही अन्य राज्यों में संरक्षण के लिए गए नवाचारों का अध्ययन करने की भी बात कही है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इससे पहले भी पचमढ़ी के चिंतन शिविर में भी गोबर धन योजना की खूबियां गिनाई थीं। गो- संवर्धन बोर्ड अध्यक्ष अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि हमने 7 बिंदुओं पर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस अनूठी योजना के लिए मध्यप्रदेश में ज्यादा अच्छी संभावनाएं हैं। छत्तीसगढ़ भ्रमण के दौरान हमें उनकी गोधान योजना पसंद आई। इसमें हमने अपनी जरूरतों के हिसाब से बदलाव किया है। इसके बाद विभागीय अधिकारी और मप्र गो-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष ने दूसरे राज्यों की योजना का अध्ययन कर मप्र के संदर्भ में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। योजना के पक्ष में तर्क दिए गए हैं कि इसके लागू होने से गो- संरक्षण के साथ ही गो-शालाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगीं। गो-पालकों की आमदनी बढ़ेगी। सडक़ों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों की संख्या घटेगी।
किसानों के साथ गौपालकों को फायदा
मध्यप्रदेश में गौ-संरक्षण और सुरक्षा देने के लिए बड़ी संख्या में गौशालाएं तैयार की गई हैं। गौशालाओ तैयार होने की साथ ही गोबर धन योजना तैयार करने का मुख्य उद्देश्य यही है कि गौ संरक्षण को संबल मिलेगा और गौशालाएं मजबूत होंगी। गौ पालकों की आमदनी में इजाफा होगा। गोबर और गौ मूत्र का गो-काष्ठ के निर्माण में ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाएगा जिससे व्यापार और व्यवसाय बढ़ेगा। गोबर की खाद जैविक खेती में उपयोगी साबित होगी। सडक़ों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों की संख्या में कमी होगी तो वहीं मवेशियों को भी संरक्षण मिलेगा। गौ पालकों के साथ किसानों की स्थिति भी मजबूत होगी। उल्लेखनीय है कि छग में योजना लागू होने के बाद जैविक खेती का रकबा बढऩे के साथ ही गो-पालकों की संख्या में 26 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। योजना से गो-काष्ठ का निर्माण बढऩे से किसानों का व्यवसाय बढ़ेगा। गोबर के उत्पाद के बतौर अगरबत्ती, दीपक, हवन सामग्री, उपले, कलर पेंट, कीटनाशक और कलात्मक वस्तुओं के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
अनुशंसाएं सरकार को सौंपी
मप्र के अधिकारियों ने योजना के छत्तीसगढ़ मॉडल का अध्ययन कर आंशिक बदलाव के साथ नीति का खाका तैयार कर लिया है। इस संबंध में मप्र गो-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने अपनी अनुशंसाएं सरकार को सौंप दी हैं। गोबर खरीदने का भाव तय होना बाकी है, छत्तीसगढ़ के खरीदी केंद्रों पर गोबर का भाव 2 रुपए से बढ़ाकर 5 रुपए प्रति किलोग्राम कर दिया गया है। ऐसी संभावना है कि अप्रैल अंत तक शासकीय स्तर पर योजना का ऐलान हो सकता है। प्रदेश में लाड़ली बहना योजना के साथ ही गोबर-धन योजना को भी गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। सरकार ने पिछले साल पचमढ़ी में आयोजित मंत्रिमंडल की चिंतन बैठक के दौरान भी इस योजना की खूबियां गिनाते हुए इसे लागू करने की मंशा जताई थी।