विंध्य में गिरीश गौतम और राजेन्द्र शुक्ला आमने-सामने

गिरीश गौतम और राजेन्द्र शुक्ला

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। बीते आम विधानसभा चुनाव में जब भाजपा के कई मजबूत गढ़ ढह गए थे, तब विंध्य अंचल भाजपा के नए गढ़ के रुप में उभरा था। अब इस भाजपाई गढ़ में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। हालात यह हो गए हैं कि इस इलाके के दो बढ़े नेताओं में शामिल विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला आमने – सामने आ गए हैं। इन दोनों नेताओं के बीच की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है। यह लड़ाई ऐसे समय सामने आई है जब भाजपा और उसकी सरकार के लिए इसी अंचल के पार्टी विधायक नारायण त्रिपाठी पृथक विंध्य की मांग को लेकर बड़ा संकट खड़ा किए हुए हैं। इसकी वजह से अब इस अंचल में भाजपा की मुश्किलें बढ़ना तय हैं। खास बात यह है कि यह गुटबाजी उस समय खुलकर सामने आयी जब मुख्यमंत्री भी मौजूद थे। दरअसल मुख्यमंत्री रीवा जिले के देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में स्पीकर गिरीश गौतम की साइकिल यात्रा के समापन कार्यक्रम में शामिल होने गए थे।
इस दौरान मौजूद ग्रामीणों की सभा को संबोधित करते हुए गौतम का कम मार्जिन से जीतने का दर्द ऐसा छलका की उनके द्वारा बगैर पूर्व मंत्री व रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ला के नाम का जिक्र किए कई सवाल उठाते हुए यह भी बता दिया की उनके कम मतों से जीतने की वजह क्या रही है। वे यहीं नहीं रुके बल्कि यहां तक कह दिया की उन्हें कम मतों से जीतने की वजह से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने भी नीचा देखना पड़ा। उन्होंने पूर्व मंत्री शुक्ला का नाम लिए बिना कहा कि जो विकास पुरुष कहलाते हैं उनसे ज्यादा काम तो हमने अपने क्षेत्र के लिए किया। लेकिन कम वोट मिलने का मुझे दुख है। इस दौरान उन्होंने नल-जल योजना और सड़क निर्माण जैसे विकास कार्यों के आंकड़े गिनाते हुए काम-काज संबंधी ब्यौरा भी दिया।  गौतम वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष हैं, इसके बाद भी उनका मलाल कम नहीं हुआ और उन्होंने जनसंपर्क साइकिल यात्रा के दौरान भरी सभा में जनता को कोसते हुए कहा कि मैं सीएम के सामने मुंह चोरी करके बैठ जाता हूं कि कम मार्जिन से चुनाव जीतकर आया हूं इतना ही नहीं विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में हुए विकास कार्य की तुलना रीवा विधानसभा से कर अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला पर तंज कसकर जता दिया कि उनके बीच अंदरूनी राजनैतिक अदावत जारी है।  दरअसल इन दोनों ही नेताओं के बीच अंचल में अपने वर्चस्व की लड़ाई है। खास बात यह है कि दोनों ही नेता एक दल के तो हैं ही साथ ही वे दोनों ब्राह्मण समाज से आते हैं। विंध्य इलाके में ब्राह्मण और ठाकुर समाज के इर्द गिर्द ही राजनीति रहती है। भाजपा में इस अंचल में कोई बड़ा ठाकुर नेता न होने की वजह से भाजपा के ब्राह्मण नेता ही अत्याधिक प्रभावशाली रहते हैं।
विधायक नागेंद्र सिंह का पलटवार
 गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह ने रीवा के विकास को जिले को नई दिशा देने का आयाम बताया है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के बयानों पर अपना पक्ष रखते हुए भाजपा विधायक नागेंद्र सिंह ने कहा है कि रीवा के अलावा मनगवां विधानसभा सहित जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में हुए विकास कार्यों का योगदान मात्र क्षेत्र के विधायक को जाता है ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष किस भावना से अपने को आगे कर रहे यह समझ से परे है। दरअसल वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने रीवा जिले की 8 में से 8 सीटों पर प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की थी परंतु देवतालाब विधानसभा एक ऐसी सीट थी जहां सबसे कम मार्जिन बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में गिरीश गौतम ने चुनाव जीता था।
गौतम की टिप्पणी को बताया पार्टी की अंतर्कलह
अलग विंध्य की अलख जगा रहे भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी का इस मामले में कहना है कि गौतम जी हमारे सम्मानीय व विंध्य के मालिक-मुखिया हैं। लेकिन संवैधानिक पद पर रह कर अपने ही दल के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री पर उनकी टिप्पणी पार्टी की गुटबाजी- अंतर्कलह को दर्शाती है। शीर्ष नेतृत्व को संज्ञान लेने की जरूरत है।
 विंध्य प्रदेश के समर्थन में आए गौतम
अलग विंध्य प्रदेश बनाने की मांग कर उसके लिए अलख जगा रहे मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी की इस मांग को अब विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का समर्थन मिला है। इससे यह बात तो है की 2023 के विधानसभा चुनाव में अलग विंध्य प्रदेश का मुद्दा गरमाएगा। इसलिए राजनीतिक पार्टियां और नेता इस मुद्दे को भुनाने के लिए अभी से रणनीति बनाने में जुट गए हैं। विंध्य प्रदेश की मांग भले ही लगातार की जा रही है कि भाजपा सरकार फिलहाल पृथक राज्य बनाने के मूड में नहीं है।  इस बीच विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने भी अलग विंध्य प्रदेश बनाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि छोटे प्रदेश बनाने से अगर विकास होता है तो फिर दिक्कत क्या है, हमें बस इसकी मांग करने वालों के तरीके से दिक्कत है। गौरतलब है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी विंध्य प्रदेश की मांग उठाते रहे हैं। अलग राज्य के समर्थन में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम भी उतर आए हैं, इनके मैदान में उतरने के बाद नारायण त्रिपाठी को बल जरूर मिलेगा।
बुंदेलखंड राज्य का मामला अधर में
विंध्य प्रदेश की मांग जोरों पर है, वहीं अलग बुंदेलखंड राज्य का मामला अभी अधर में लटका हुआ है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने अपने दो प्रांतीय कार्यकर्ता अधिवेशन में बुंदेलखंड राज्य निर्माण के पक्ष में प्रस्ताव पारित किए। साल 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी छोटे राज्यों के निर्माण का समर्थन किया। वहीं यूपी में बसपा सरकार ने भी विधानसभा से बुंदेलखंड प्रदेश को अलग राज्य का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजा था। केंद्रीय मंत्री रहीं उमा भारती ने 2014 के चुनाव में पृथक बुंदेलखंड राज्य निर्माण के मुद्दे को उठाया था। साथ ही वादा किया था कि भाजपा के नेतृत्व की सरकार बनने के 3 साल के भीतर बुंदेलखंड राज्य बन जाएगा। भाजपा सरकार ने सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह, पन्ना और दतिया को शामिल कर बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण बनाया। यूपी ने झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट और महोबा को मिलाकर बुंदेलखंड विकास निगम बनाया। इन 13 जिलों को मिलाकर पृथक राज्य की मांग लगातार उठ रही है।

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